इरादा अगर अटल हो तो खराब तकदीर भी घुटने टेक देती है. आईआईटी दिल्ली के टेक फेस्ट ट्राइस्ट-2024 में शिरकत कर पाकिस्तान से आईं चार हिंदू शरणार्थी छात्राओं ने अपने हुनर से सबको अचंभित कर दिया है. पाकिस्तान के बेहद गरीब परिवारों से ताल्लुक रखने वाली छात्राओं का बनाया ग्रिपर बॉट इन दिनों सुर्खियों में है.
छोटी सी उम्र में कमाल का जज्बा
चारों लड़कियों की उम्र 9 से 12 साल के बीच है. ये सभी पांचवी और छठी कक्षा की छात्राएं हैं. टेक फेस्ट में देशभर के इंजीनियरों ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया है. ये छात्राएं भी अपने रोबोट को लेकर यहां पहुंची. इतनी कम उम्र में इस टेक फेस्ट में शिरकत करने के कारण सभी इनके जज्बे की तारीफ करते नहीं थक रहे. इस फेस्ट में केवल इंजीनियर्स ही अपने रोबोट का प्रदर्शन कर सकते थे. कुछ मामलों में 11वीं और 12वीं के छात्रों को भी शामिल होने की छूट दी जा सकती है. शरणार्थी छात्राओं को यह मंजूरी मिलना आसान नहीं था. उन्हें निर्धारित मापदंड पूरे करने थे और उनकी दूसरे बच्चों से प्रतिस्पर्धा भी थी. हालांकि लड़कियों की रोबोटिक्स की बेहतर समझ ने इस समस्या का हल निकाल लिया. आयोजकों के आश्वस्त होने के बाद उन्हें फेस्ट में शामिल होने की स्वीकृति दे दी गई.
आईआईटी के “दीदी-भईया” ने बढ़ाया हौंसला
फेस्ट में शामिल होने पर लड़कियों के अंदर काफी झिझक थी. इस पर फेस्ट में शामिल दूसरे इंजीनियर्स ने उनको प्रेरित किया और सहज होने में मदद की. इससे छात्राओं का मनोबल बढ़ गया. उन्होंने न केवल अपने रोबोट के बारे में बेहतर तरीके से सभी को जानकारी दी बल्कि फेस्ट में शामिल दूसरे रोबोट, उनके कार्य करने के तरीके आदि के बारे में बेहतर तरीके से जानने की कोशिश की.
धार्मिक उत्पीड़न के डर से छोड़ा पाकिस्तान
फेस्ट में पाकिस्तान से आए हिंदू परिवारों से ताल्लुक रखने वाली संध्या, रेशमा, मुस्कान और आरती ने शिरकत की. ये सभी गरीब परिवारों से ताल्लुक रखती हैं. इनमें से कुछ पाकिस्तान के सिंध सूबे में साइकिल पंक्चर जोड़ने आदि का काम करते थे. ये परिवार कुछ समय पहले धार्मिक उत्पीड़न के डर से पाकिस्तान छोड़कर भारत आ गए थे और जोधपुर में बस गए थे. जोधपुर के एनजीओ सेवा न्याय उत्थान फांउडेशन की मदद से इन लड़कियों के भविष्य को उज्जवल बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. आईआईटी टेक फेस्ट में शिरकत करने पर परिवार के सभी सदस्य बेहद उत्साहित हैं और उन्हें उम्मीद है कि भारत आने पर अब उनकी बच्चियों का भविष्य संवर सकेगा.
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