Co-Education Benefits: अगर आप अपने बच्चे को एक बेहतर और सुलझा हुआ इंसान बनाना चाहते हैं, आप चाहते हैं कि आपके बच्चे का फिजिकल और मेंटल डेवलपमेंट शानदार तरीके से हो जो उसे को-एजुकेशन (Co-Education) जरूर दें. हाल ही में हुए एक रिसर्च में यह बात निकलकर सामने आई है कि को-एजुकेशन वाले स्कूल, कॉलेज या इंस्टीट्यूशन में पढ़ने वाले बच्चे काफी बेहतर होते हैं. इससे छात्र और छात्राएं एक-दूसरे के साथ कैसे व्यवहार करें, इसे सबसे बेहतर तरीके से सीखते हैं. एक दूसरे की बातों को भी समझने की समझ उनमें आती है. इसलिए अगर बच्चों का संपूर्ण विकास (Holistic Development) करना हो तो पैरेंट्स को चाहिए कि उसका एडमिशन को-एड स्कूल में ही कराएं. आइए बताते हैं कोएड स्कूल में पढ़ाना बच्चों के लिए क्यों है बहुत जरूरी..
कॉन्फिडेंस की नहीं होती कमी
कोएड स्कूल में बच्चों को अपोजिट जेंडर के साथ रहने और पढ़ने का चांस मिलता है. एक-दूसरे के साथ ग्रो करने पर उनकी सेल्फ कॉन्फिडेंस (Self Confidence) बढ़ता है.. बच्चों का कॉन्फिडेंस लेवल काफी अच्छा रहता है. इससे वे एक-दूसरे की मदद भी करते हैं और यही आदत बड़े होने के बाद भी उनमें रहती है.
म्यूचल अंडरस्टैंडिंग से बेहतर फरफॉर्मेंस
एक स्टडी के मुताबिक, अगर लड़के और लड़कियां एक ही क्लास में साथ-साथ पढ़ाई करते हैं तो उनकी समझ विकसित होती है और आपसी तालमेल यानी म्यूचल अंडरस्टैंडिंग भी बढ़ती है. बच्चों को सही-गलत का फर्क भी समझ आता है. इससे उनका परफॉर्मेंस भी काफी अचछा होता है. एक-दूसरे के प्रति हेल्दी कॉम्पटीशन (Healthy Competition) होने की आदत डेवलत होती है और बच्चा भविष्य में काफी समझदार होता है.
बच्चा एकाग्र होता है
अपोजिट जेंडर के साथ पढ़ने से बच्चों की एकाग्रता (Concentration) बढ़ती है. पढ़ाई-लिखाई के साथ उनमें खेलकूद और अन्य क्रिएटिव एक्टिविटीज की भावना आती है और वे किसी काम में ज्यादा फोकस्ड हो पाते हैं. इससे उनका मेंटल डेवलपमेंट भी होता है.
बिहेवियर होता है बेहतर
कोएड स्कूल में एक साथ पढ़ने से लड़के-लड़कियां एक-दूसरे का सम्मान करते हैं. वहां का माहौल अच्छा रहता है. अपोजिट जेंडर के सामने किसी दूसरे से गलत तरीके से व्यवहार करने या गंदी भाषा का इस्तेमाल करने से वे शरमाएंगे और उनके व्यवहार में बदलाव आएगा. इससे बच्चा बहुत कुछ सीखता है.
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