कोरोना संक्रमण महामारी के दौर में स्कूल बंद हैं और ऑनलाइन कक्षाएं चालू हैं. ऐसे में इन दिनों एक ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि पैरेंट्स अपने बच्चों का एडमिशन प्री-पाइमरी में न कराकर सीधे क्लास 1में करा रहे हैं. दरअसल स्कूलों में चल रही ऑनलाइन क्लासेस की वजह से कुछ पैरेंट्स प्री-प्राइमरी कक्षाओं को पूरी तरह से छोड़ रहे हैं और बच्चों को सीधे कक्षा 1 में दाखिला दे रहे हैं. कई माता-पिता को लगता है कि वे कुछ पैसे बचा सकते हैं लेकिन ये पूरी तरह गलत धारणा है क्योंकि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्री-प्राइमरी क्लास भी उनके लिए बेहद जरूरी हैं.


बच्चों के लिए प्री-प्राइमरी एजुकेशन भी बेहद जरूरी


विशेषज्ञों के मुताबिक पैरेंट्स को इस बात का एहसास नहीं ह कि बचपन की शिक्षा में जीरो ईयर जैसी कोई चीज नहीं होती है क्योंकि ब्रेन का 95% विकास पहले पांच वर्षों में होता है और ये वर्ष भाषा, सामाजिक-भावनात्मक विकास और संज्ञानात्मक पोषण के माध्यम से मस्तिष्क की उत्तेजना के लिए महत्वपूर्ण है.


कई स्कूल ने प्री एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए फीस भी कम की


कुछ एजुकेटर्स का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते 2020 प्रीस्कूलों के लिए काफी खराब वर्ष रहा था, वहीं 2021 में केवल मामूली सुधार हुआ है.  अब भी कई माता-पिता अपने बच्चों की प्री स्कूल एजुकेशन को इतना तवज्जो नहीं देते हैं और वे प्री स्कूल में बच्चों का एडमिशन कराने को फालतू का खर्च बताते हैं हालांकि कई स्कूलों ने प्री एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए अपनी फीस में कटौती भी कर दी है. वहीं प्री स्कूल चेन का कहना है कि हालांकि नामांकन धीरे-धीरे अब बढ़ रहा है, फिर भी वे प्री-एजुकेशन के महत्व के बारे में पैरेंट्स को ज्यादा से ज्यादा जागरूक कर रहे हैं.


कई शॉर्ट टर्म ब्रिज कोर्स किए जा रहे हैं ऑफर


बता दें कि अब भी बड़ी संख्या में माता-पिता प्रॉपर प्री-प्राइमरी कार्यक्रम के स्कूल में बच्चों का नामांकन नहीं कर रहे हैं, इसलिए कई कंपनियों ने शॉर्ट टर्म ब्रिज कोर्स भी ऑफर किए हैं जो पैरेंट्स को काफी पसंद भी आ रहे हैं. ये ऐसे कोर्स हैं जिनमें दो से तीन महीनों में सालभर की एजुकेशन को कवर करने की कोशिश की जाती है. हालांकि अफसोस की बात है कि यह बच्चों के लिए हानिकारक है क्योंकि इससे बच्चों के लिए पर शिक्षा को लेकर नन्ही की उम्र में बोझ पड़ता है क्योंकि उन्हें इतने कम समय में इतना ज्यादा सीखना पड़ रहा है.


ऐसे में जरूरी है कि पैरेंट्स इस बात को समझे कि बच्चों के लिए प्री-प्राइमरी एजुकेशन भी बेहद महत्वपूर्ण हैं. एकदम नन्ही सी उम्र में उन पर बड़ी क्लास की पढाई का बोझ डाल देना कतई सही नहीं है


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