केंद्र सरकार ने पूजा खेडकर को तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा से मुक्त कर दिया है. आयोग ने हाल ही में एक बड़ा और कड़ा कदम उठाते हुए सिविल सेवा परीक्षा 2021 की सफल उम्मीदवार पूजा खेडकर को बर्खास्त कर दिया था. खेडकर पर गंभीर आरोप लगे थे, जिनमें फर्जी विकलांगता और OBC सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर परीक्षा में सफल होने का दावा किया गया.


केंद्र सरकार ने पूर्व ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर को तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से हटा दिया है. उन पर धोखाधड़ी करके सिविल सेवा परीक्षा में चयनित होने और OBC और दिव्यांगता कोटा का गलत फायदा उठाने का आरोप है. हालांकि पूजा खेडकर ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक 6 सितंबर 2024 को जारी आदेश में IAS (ट्रेनी) नियम 1954 के तहत खेडकर को सेवा से मुक्त किया गया है. इस नियम के अनुसार यदि कोई ट्रेनी अधिकारी परीक्षा में फेल हो जाता है या सरकार को लगता है कि वह सेवा के लिए अयोग्य है, तो उसे हटाया जा सकता है.


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कब रद्द की गई थी उम्मीदवारी 


इससे पहले UPSC ने 31 जुलाई को खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य की सभी परीक्षाओं में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया था. खेडकर महाराष्ट्र में एक ट्रेनी IAS अधिकारी के रूप में कार्यरत थीं.

IAS अधिकारी को हटाने और निलंबित करने की प्रक्रिया


भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से किसी अधिकारी को अनुच्छेद 311(2) के तहत हटाने का प्रावधान है. इस नियम के अनुसार यदि कोई अधिकारी किसी अपराध में दोषी पाया जाता है, तो उसकी रैंक घटाई जा सकती है या उसे नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता है. यह नियम बताता है कि एक सिविल सेवक राष्ट्रपति की इच्छा से पद पर होता है और केवल उनके आदेश से ही हटाया जा सकता है. इस प्रक्रिया में UPSC की कोई भूमिका नहीं होती है.


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सस्पेंशन की प्रक्रिया


हालांकि, किसी IAS अधिकारी को निलंबित करने का अधिकार राज्य सरकार के पास भी होता है, लेकिन इसे विशेष परिस्थितियों में ही लागू किया जा सकता है. यदि किसी अधिकारी को निलंबित किया जाता है. तो इसकी जानकारी कैडर कंट्रोल अथॉरिटी को देनी होती है. निलंबन को 30 दिन से अधिक जारी रखने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेनी जरूरी होती है.


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