नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की 10वीं क्लास की परीक्षा में प्रत्येक विषय में सिर्फ़ 80 नम्बर की परीक्षा ही सीबीएसई लेता है. बाक़ी 20 नम्बर ‘इंटर्नल असेसमेंट’ के रूप में, प्रत्येक विषय में, स्टूडेंट के स्कूल की ओर से दिए जाते हैं. कैसे दिए जाते हैं ये हम आगे बताएँगे. यहाँ जान लीजिए कि 12वीं क्लास के सिर्फ़ तीन विषयों में ‘इंटर्नल असेसमेंट’ होता है . बाक़ी सभी विषयों में पूरे 100 नम्बर की परीक्षा सीबीएसई ही लेता है.


इंटर्नल असेसमेंट की ज़रूरत क्यों है


सीबीएसई की गवर्निंग बॉडी की सदस्य और दिल्ली पब्लिक स्कूल ग़ाज़ियाबाद की प्रिंसिपल डा. ज्योति गुप्ता ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि साल के अंत में एक बार ली गई परीक्षा पर निर्भरता से स्टूडेंट का सही आँकलन नहीं हो पाता. इसलिए ‘पूरे साल भर’ स्टूडेंट की क्या परफ़ॉरमेंस रही है इसको भी ध्यान में रखा जाता है. इसलिए सीबीएसई ने सभी स्कूलों को निर्देश दे रखे हैं कि प्रत्येक स्टूडेंट का ‘इंटर्नल असेसमेंट’ कर के बताएँ कि वो पूरे साल किस तरह परफ़ॉर्म कर रहा है. इंटर्नल असेसमेंट का पैटर्न भी सीबीएसई ने निर्धारित कर रखा है.


इंटर्नल असेस्मेंट का पैटर्न


इंटर्नल असेस्मेंट के लिए साल भर पिरिऑडिक लिखित टेस्ट लिए जाते हैं. इसमें यूनिट टेस्ट, हाफ़ ईयरली इग्ज़ाम या प्री-बोर्ड इग्ज़ाम सभी शामिल हो सकते हैं. पर अधिकतर स्कूल कोई एक पैटर्न अपनाते हैं और उसके एवरेज नम्बर को लेकर उसे फिर 10 नम्बर में बदला जाता है.जैसे उदाहरण के रूप में साल भर में किसी एक विषय के चार टेस्ट लिए गए और किसी स्टूडेंट के चारों टेस्ट में आए अंकों का औसत अंक (सौ में) सत्तर है. तो इसे दस अंक में बदलने के बाद कहा जाएगा कि उस स्टूडेंट को इंटर्नल असेस्मेंट में उस विषय में लिखित परीक्षा के 10 में 7 नम्बर मिले हैं. इसके अलावा 5 नम्बर होते हैं ‘सब्जेक्ट एनरिचमेंट एक्टिविटी’ पे और 5 नम्बर का होता है ‘कॉपी मेंटेनेन्स और पोर्टफ़ोलियो’. इस तरह इंटर्नल असेस्मेंट के कुल 20 अंक स्कूल की ओर से दिए जाते हैं.


स्कूलों को पैटर्न चुनने की है छूट


CBSE ने स्कूलों को ये छूट दे रखी है कि वो इंटर्नल असेसमेंट कैसे करें. यानी स्कूल टेस्ट तरीक़ा चुनेनें के लिए स्वतंत्र हैं. कुछ स्कूल साल भर के टेस्ट का एवरेज लेते है तो कुछ बेस्ट ऑफ़ आल टेस्ट का नम्बर बोर्ड को भेजते हैं. कुछ स्कूल साल में तीन एग्ज़ाम लेते हैं और उनका एवेरेज भेजते हैं. अन्य स्कूल प्री बोर्ड के पैटर्न को चुनते हैं. स्कूल सीधे अपलोड करता है इंटर्नल असेस्मेंट मार्क़्स हर बच्चे को अलग-अलग सब्जेक्ट में मिले इंटर्नल असेस्मेंट मार्क़्स को स्कूल सीबीएसई के पोर्टल पर सीधे अपलोड करता है.


इंटर्नल असेस्मेंट में सम्भव नहीं है कोई पक्षपात


इंटर्नल मार्क़्स किस आधार पर दिए गए हैं इसका प्रमाण भी स्कूलों को छः महीने तक रखना पड़ता है. बोर्ड ये भी देखता है कि एक्स्टर्नल असेसमेंट और इंटर्नल असेस्मेंट में कितनी साम्यता है. अगर किसी बच्चे में ये साम्यता नज़र नहीं आई तो इंटर्नल असेस्मेंट में पॉज़िटिव या नेगेटिव पक्षपात की सम्भावना मानी जाएगी. ऐसे में बोर्ड स्कूल से जवाब तलब कर सकता है. यानी इस व्यवस्था में टीचर अपनी मर्ज़ी से किसी को कम या ज़्यादा मार्क़्स नहीं दे सकते.


किन सब्जेक्ट में लागू है इंटर्नल असेस्मेंट


इंटर्नल असेस्मेंट 10वीं के सभी सब्जेक्ट में लागू है. 10वीं में सोशल साइंस और साइंस में स्टूडेंट को एक प्रोजेक्ट बनाना पड़ता है जिसमें वायवा होता है. इसके पाँच नम्बर होते हैं. जबकि 12वीं क्लास के सिर्फ़ अंग्रेज़ी ( एएसएल) , गणित और लीगल स्टडीज़ में इंटर्नल असेस्मेंट लागू है. अंग्रेज़ी के इंटर्नल असेस्मेंट सेग्मेंट को एएसएल यानी एक्टिविटी ऑफ़ स्पीकिंग एंड लिस्निंग कहते हैं. 12वीं क्लास के बाक़ी विषयों में इंटर्नल असेस्मेंट की जगह 20 नम्बर का प्रैक्टिकल इग्ज़ाम होता है जिसे बोर्ड ही लेता है.


कहां लागू नहीं है इंटर्नल असेस्मेंट


12वीं क्लास में साइंस के साथ-साथ इतिहास , राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान, एकाउंट्स , बिज़नेस स्टडीज़ , इकोनोमिक्स में भी 20 नम्बर का प्रैक्टिकल इग्ज़ाम होता है लेकिन वो सीबीएसई लेता है जिसमें एक्स्टर्नल इग्ज़ामनर आते हैं.


असेस्मेंट और इवैलुएशन में अंतर है


असेस्मेंट का मतलब है स्टूडेंट ने साल भर कितना समझा, जबकि ईयर एंड में होने वाले इवैलुएशन का मतलब है कि स्टूडेंट कितना पढ़ पाया. असेस्मेंट फ़ॉर लर्निंग, इवैलुएशन ऑफ़ लर्निंग.


Education Loan Information:

Calculate Education Loan EMI