नई दिल्ली: रामजस कॉलेज में गुरुकुल तरीके से शिक्षा देने की योजना के बारे में खबरें सामने आने के बाद कॉलेज के प्रवक्ता ने कहा कि इस तरह की कोई योजना नहीं है. कॉलेज के स्टॉफ काउंसिल के सचिव शिशिर कुमार झा ने बताया कि प्रिंसिपल और उनके सहित केवल तीन व्यक्ति ही अधिकारिक बयान जारी करने के लिए अधिकृत हैं.


उन्होंने बताया, ‘‘गुरूकुल तरीके से शिक्षा व्यवस्था रामजस कॉलेज में नहीं अपनायी जा रही. इस तरह का कोई एजेंडा यहां नहीं है. जारी किये गलत बयानों को व्यक्तिगत राय के रूप में देखा जा सकता है.’’


विवादों  में रहा था रामजस कॉलेज
रामजस कॉलेज के इतिहास विभाग में फरवरी महीने में दो दिन का सेमिनार ‘कल्चर ऑफ प्रोटेस्ट’ आयोजित किया था. पहले दिन इसमें जेएनयू के विवादित छात्र उमर खालिद और जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व सदस्य शेहला राशिद को भी बुलाया गया था. लेकिन एबीवीपी के विरोध में उतर आने की वजह से ये कार्यक्रम रद्द कर दिया गया था.


हालांकि ये मामला इतनी आसानी से शांत नहीं हुआ था. सेमिनार रद्द होने के बाद एबीवीपी और आइसा के छात्र आमने सामने आ गए थे और मारपीट हो गई थी. इस मामले में आठ पुलिस अफसर भी घायल हुए थे, जिसे लेकर अज्ञात लोगों पर दंगे करने और ड्यूटी से रोकने का केस दर्ज हुआ था.


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