आईएएस बनने का सपना लिए दिल्ली गए इन स्टूडेंट्स ने कभी नहीं सोचा होगा कि इस तरह उनके जीवन का अंत होगा. इस हादसे के बाद से अचानक राउज आईएएस एकेडमी चर्चा में आ गई है. यहां के बेसमेंट में पानी भरने से तीन स्टूडेंट्स की मौत हो गई. इस हादसे ने पूरे महकमे में भूचाल ला दिया है. कोचिंग संस्थान सील हो रहे हैं, गिरफ्तारियां हो रही हैं. आज जानते हैं इस कोचिंग सेंटर और इसके मालिक के बारे में.


एक छोटे से कमरे से हुई थी शुरुआत


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राउज आईएएस एकेडमी (Rau’s Study Circle) की शुरुआत साल 1953 में एक छोटे से कमरे में हुई थी. दिल्ली के कनॉट प्लेस में होटल पैलेस हाइट में ये कोचिंग चलती थी. उस समय कोचिंग चलाते थे डॉ. ए राव, उन्हीं के नाम पर इस संस्थान का नाम पड़ा. ऐसा भी माना जाता है कि इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज की कोचिंग के जनक डॉ. राव ही हैं. उसके बाद कई और संस्थान खुले.


कौन है मालिक


इस कोचिंग संस्थान के चेयरमैन का नाम वीपी गुप्ता हैं और सीईओ यानी चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर का नाम है अभिषेक गुप्ता. हादसे के बाद से सीईओ अभिषेक गुप्ता और कोऑर्डिनेटर देशपाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है. 70 साल से चल रहे इस कोचिंग संस्थान की शाख पर इस हादसे ने बड़ा दाग लगाया है. हालांकि बड़ा सवाल ये है कि कोचिंग संस्थान का तो जो होगा सो होगा, यहां के बच्चों के भविष्य का क्या होगा.


कहां-कहां हैं सेटर


इनके सेंटर दिल्ली और बेंगलुरू में हैं और बड़ी संख्या में कैंडिडेट्स यहा पढ़ते हैं. अभिषेक गुप्ता ने इसकी बागडोर साल 2010 में संभाली. उन्होंने अपने फादर इन लॉ वीपी गुप्ता के हाथ से इसकी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली. वीपी गुप्ता ने करीब 20 साल इसे संभाला और फिर अपने दामाद अभिषेक गुप्ता को कार्यभार सौंप दिया.


लग गया ताला


हादसे के बाद से एमसीडी अचानक हरकत में आया और कई सारी कोचिंगों को सील कर दिया गया. दिन के 10 घंटे यहां पढ़ने वाले छात्रों के पास अब मार्गदर्शन का कोई ठिकाना नहीं रहा. कुछ ही महीनों में मेन्स एग्जाम है. ऐसे में कैंडिडेट्स की तैयारी प्रभावित होना लाजिमी है. राउज आईएएस एकेडमी में पढ़ रहे बच्चों के साथ ही बाकी सील गई कोचिंग के बच्चों का भविष्य क्या होगा, ये बड़ा सवाल है.


सुरक्षा या भविष्य?


मेन्स एग्जाम की चिंता को आगे करते हुए स्टूडेंट्स की सुरक्षा को पीछे नहीं किया जा सकता. ये सच है कि यहां छात्र इकट्ठा ही जिस मकसद से हुए हैं उस राह पर अब कैसे आगे बढ़ेंगे और कब तक स्थितियां सामान्य होंगी, ये एक सवाल है. पर दूसरा बड़ा सवाल है कि जान है तो जहान है. केवल पढ़ाई की चिंता का मुद्दा उठाकर स्टूडेंट्स को मौत के इन कोचिंग सेंटरों में पढ़ने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता. इस संबंध में नियमों को सख्त करने की जरूरत है. 


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