General Knowledge: विदेशी बैंकों में सोना क्यों रखते हैं सभी देश? जानें RBI ने कहां रखा है भारत का सोना
World Gold Council (WGC): भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) की रणनीति की बदौलत गोल्ड रिजर्व (Gold Holdings) के मामले में भारत विश्व के शीर्ष-10 देशों में शुमार है.
World Gold Council (WGC): विश्वभर में सबसे ज्यादा सोना रखने वाले देशों की लिस्ट में भारत नौवे पायदान पर है. विश्व स्वर्ण परिषद की आधिकारिक वेबसाइट (Goldhub) पर 28 जनवरी 2022 को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत के पास कुल 760.42 मिट्रिक टन सोने का रिजर्व है जिसकी कीमत 41 बिलियन डॉलर है.
हर साल बड़ी हो रही RBI की शॉपिंग लिस्ट
गोल्ड रिजर्व के मामले में फिलहाल भारत भले ही 9वें पायदान पर हो, लेकिन सोना खरीदने के मामले में दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है. साल 2021 में जहां थाईलैंड ने करीब 90 मिट्रिक टन सोना खरीदा वहीं, भारत ने 77.5 मिट्रिक सोना अपने गोल्ड रिजर्व में जोड़ दिया. बीते सालों की खरीददारी पर गौर करें तो धीरे-धीरे भारत गोल्ड रिजर्व बढ़ाता जा रहा है. इसके लिए वह साल दर साल ज्यादा से ज्यादा सोना खरीद रहा है.
साल 2009 में बंपर खरीददारी
साल 2009 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) से 200 मिट्रिक टन सोना खरीदा. इसके बाद आठ साल के लंबे गैप के बाद वर्ष 2017 में आरबीआई ने अपना गोल्ड पोर्टफोलियो मजबूत करने की दिशा में काम शुरू किया. साल 2019 में जहां 34.52 मिट्रिक गोल्ड की खरीददारी की गई वहीं साल 2020 में भारत ने 41.68 टन सोना खरीदा जिससे गोल्ड रिजर्व 676.6 टन तक हो गया.
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहां रखा है भारत का सोना
12 मई 2022 में जारी की गई आरबीआई की रिपोर्ट "मैनेजमेंट ऑफ फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व" (Half Yearly Report on Management of Foreign Exchange Reserves, October 2021 - March 2022 ) के अनुसार मार्च 2022 के अंत तक भारत के पास 760.42 मिट्रिक टन सोना है. इनमें से 453.52 मिट्रिक टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और स्विट्जरलैंड स्थित बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स में सुरक्षित रखा हुआ है. शेष 295.82 मिट्रिक टन सोना भारत में रखा गया है.
रिजर्व बैंक ने विदेश में क्यों रखा है देश का सोना?
विश्वभर में बढ़ती महंगाई और वित्तीय अशांति को देखते हुए अमेरिका, जर्मनी, इटली, फ्रांस आदि देशों के साथ-साथ भारत भी गोल्ड पोर्टफोलियों को गंभीरता से ले रहा है. इसलिए ज्यादा से ज्यादा सोना खरीदने पर जोर दिया जा रहा है.
बड़ी तादाद में सोना विदेश से खरीदकर देश में लाने पर परिवहन और सुरक्षा संबंधी व्यवस्थाओं पर अतिरिक्त खर्च होगा. साथ ही देश में वित्तीय संकट पड़ने पर इस सोने पर कर्ज लेने या इसे गिरवी रखने की नौबत आई तो दोबारा सोना को विदेश भेजने के खर्च का बोझ बढ़ेगा. यही वजह है कि आरबीआई समेत दुनियाभर के सभी सेंट्रल बैंक विदेशी बैंक में सोना रखते हैं ताकि बुरा वक्त पड़ने पर (Balance of Payment Crisis, 1991) उस सोने के आधार पर आसानी से वित्तीय सहायता प्राप्त की जा सके.
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