Restrict Use Of Social Media For Kids: आजकल के बच्चों का तकनीकी से लगाव, किसी से छिपा नहीं है. इसी क्रम में वे सोशल मीडिया पर भी खूब एक्टिव रहते हैं. इस बारे में यूनियन गवर्नमेंट के टॉप स्कूल शिक्षा अधिकारी का कहना है कि बच्चों के लिए सोशल मीडिया से दूर रहना बहुत जरूरी है लेकिन चुनौती ये है कि तकनीकी के इस युग में जब एजुकेशन का मेजर हिस्सा टेक्नोलॉजी से जुड़ा है, ऐसे में ये काम किया कैसे जाए. उनका मानना है कि इससे बच्चों की इमेजिनेशन पावर पर उल्टा असर पड़ रहा है.


बड़े इमेजिनेशन की जरूरत


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इस बारे में डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजुकेशन एंड लिट्रेसी के सेक्रेटरी संजय कुमार का कहना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 280 लेटर्स लिखना और अपना विचार होना अच्छा है पर इससे आपकी इमेजिनेशन पावर भी सीमित होती है. बच्चों को बड़े इमेजिनेशन की जरूरत है और प्रिंट ये मौका देती है.


टेक्नोलॉजी से बाहर निकलना बेहद मुश्किल


संजय कुमार ने आगे कहा कि टेक्नोलॉजी को मैनेज करना बेहद कठिन होता है. कोई रास्ता ही नहीं है जिसकी मदद से लोग इससे बाहर आ सकें. दरअसल वे एक सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें उनसे पूछा गया कि कैसे एजुकेशन में तकनीकी का फायदा उठाया जा सके लेकिन इससे शिक्षाशास्त्र और सीखने के दृष्टिकोण को प्रभावित न हो.


फायदों पर भी की बात


इन्क्लेव में बात करते हुए स्कूल शिक्षा अधिकारी ने तकनीकी के फायदों पर भी बात की. उन्होंने बताया कि कैसे अपार आईडी के माध्यम से हर स्टूडेंट को एक यूनिक आइडी दी जाएगी और उनका सारा डेटा डिजिलॉकर में सेफ तरीके से रखा जाएगा. इससे हर बच्चे को ट्रैक करने में और उसकी प्रगति समझने में भी मदद मिलेगी. इसके बाद हर बच्चा एजुकेशन सिस्टम का हिस्सा बन सकेगा.


क्या है ‘अपार’


जिस आईडी की बात स्कूल एजुकेशन ऑफिशियल कर रहे हैं, उसका फुल फॉर्म है ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक एकाउंट रजिस्ट्री. इसे स्टूडेंट्स की अपार आईडी के नाम से जाना जाएगा. इसमें उसके सारे क्रेडिट, सारे सर्टिफिकेट, या यूं कहें सारे एकेडमिक डिटेल का लेखा-जोखा होगा. इस यूनिक नंबर से इसे कहीं भी खोला जा सकेगा और एक क्लिक पर स्टूडेंट का सारा एकेडमिक रिकॉर्ड मिल जाएगा. उसे जगह-जगह अपने सर्टिफिकेट लेकर नहीं घूमना होगा.


अटेंडेंस तक दिखेगी इस आईडी में


संजय कुमार ने आगे कहा कि जैसे ही हम डिजिलॉकर पर किसी स्टूडेंट की आईडी एक्सेस करेंगे हम ये तक देख सकते हैं कि कौन सा स्टूडेंट कि कितनी अटेंडेंस हैं, वो किस विषय में कैसा कर रहा है. किसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा खराब प्रदर्शन मैथ्स में कितने बच्चे कर रहे हैं (सबसे पहले स्कूल मैथ्स में खराब परफॉर्मेंस देने वाले बच्चे ही छोड़ते हैं), वगैरह. इस प्रकार उन्होंने तमाम फायदों पर भी बात की. 


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