भारत में दिवाली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. हालांकि, कुछ राज्यों में इसे लेकर छुट्टियों का प्रावधान नहीं होता या कम छुटि्टयां होती हैं. इसके पीछे कारण है कि सांस्कृतिक विविधता के कारण दिवाली के साथ-साथ अन्य त्योहारों का भी महत्व है, लेकिन दिवाली की छुट्टी का कोई महत्व नहीं है. आइए हम आपको बताते हैं कि कौन-कौन से राज्य हैं, जहां बच्चों को दिवाली की छ्ट्टी पर मायूसी हाथ लगी है.


दिवाली पर्व पर भारत के विभिन्न राज्यों में छुट्टियों का ऐलान किया जाता है. हालांकि, कुछ राज्यों में दिवाली पर कोई छुट्टी नहीं होती है. इस साल भी कई राज्यों में दिवाली की छुट्टी नहीं दी गई है. इनमें प्रमुख रूप से केरल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू एंड कश्मीर, असम आदि शामिल हैं.



केरल और हिमाचल प्रदेश


केरल में दिवाली का प्रभाव कम होता है और केवल एक नवंबर को एक दिन की छुट्टी दी गई है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में भी दिवाली पर कोई विशेष छुट्टी नहीं होती है.


उत्तराखंड


उत्तराखंड में एक नवंबर से तीन नवंबर तक की छुट्टियां हैं, लेकिन दिवाली के लिए कोई विशेष अवकाश नहीं दिया गया है. यहां के स्कूलों में एक नवंबर की ही छुट्टी दिवाली के लिए घोषित की गई है.


जम्मू एंड कश्मीर


जम्मू और कश्मीर जैसे पहाड़ी इलाकों में भी दिवाली की छुट्टी नहीं होती. यहां लोग अपनी स्थानीय परंपराओं और त्योहारों को प्राथमिकता देते हैं. हालांकि, कई बार यहां के लोग दिवाली का पर्व मनाते हैं, लेकिन यह आम तौर पर सरकारी छुट्टी के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है.



मेघालय और अरुणाचल प्रदेश


मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में अन्य त्योहारों का महत्व अधिक होता है. मेघालय के उच्च पर्वतीय इलाकों में स्थानीय आदिवासी संस्कृतियों की अपनी विशेषताएं हैं, जहां दिवाली की तुलना में अन्य त्योहारों को प्राथमिकता दी जाती है.


इन राज्यों के लोगों को नहीं होता फायदा


ऐसे राज्यों में कई बार यह देखा गया है कि कामकाजी लोगों के लिए दिवाली जैसी महत्वपूर्ण छुट्टियां नहीं होने पर भी, वे अपने काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करते हैं. इस स्थिति में, लोग अधिकारियों से छुट्टी की अपील करते हैं, ताकि वे अपने प्रियजनों के साथ इस खास अवसर का जश्न मना सकें.



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