IAS Topper Srushti Deshmukh: सृष्टि को देखते ही सबसे पहले उनकी सादगी आकर्षित करती है. ऐसा लगता ही नहीं कि ये आईएएस टॉपर रह चुकी हैं और सालों से एक बड़ा पद और उस पद से जुड़ी बड़ी जिम्मेदारियां उठा रही हैं. उनकी सरलता बातों में भी झलकती है. जितनी सादगी और शालीनता से वे अपनी सफलता का श्रेय दूसरों को देती हैं, वह आसान नहीं है. सृष्टि का यही नजरिया उनकी सफलता में सबसे अहम साबित हुआ.


उन्होंने यूपीएससी परीक्षा को कभी देश की कठनितम परीक्षा की श्रेणी में रखा ही नहीं. वे कहती हैं कि वे केवल ईमानदारी से प्रयास करती थी और ये भूल जाती थी कि जो वो पाना चाह रही हैं, वह कठिन नहीं बहुत कठिन है. जानते हैं सृष्टि की सफलता की कहानी.


बचपन का सपना था आईएएस बनना


सृष्टि काफी कम उम्र से ही आईएएस बनना चाहती थी और उनके इस सफर की सबसे मजेदार बात ये है कि न ही बचपन में और न ही समझ आने के बाद उन्होंने कभी ये जानने की कोशिश की कि उनका सपना देश की सबसे कठिन परीक्षा पास करना है. इस पहलू पर कभी ध्यान न देते हुए सृष्टि केवल लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए तैयारी करती रहीं और पहले ही प्रयास में सफल भी हुईं.


इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी की साथ


यूपीएससी जैसी परीक्षा के साथ दूसरे एग्जाम देने की चुनौती सृष्टि जैसे कैंडिडेट ही पूरी कर सकते हैं. उन्होंने इंजीनियरिंग के तीसरे साल से यूपीएससी सीएसई परीक्षा की तैयारी की और अगले ही साल यानी ग्रेजुएशन का चौथा साल पूरा होते ही इंजीनयरिंग की डिग्री भी ली और पांचवीं रैंक लाकर यूपीएससी टॉपर भी बनीं.


ऐसे लोगों से बनाई दूरी


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सृष्टि का मानना है कि इस बात का आपके मोटिवेशन और तैयारी पर बड़ा असर पड़ता है कि आप किन लोगों से घिरे रहते हैं. वे कहती हैं कि निगिटेव लोगों से दूर न हों, उन्हें अपने जीवन से ही हटा दें. ये एनर्जी सकर्स होते हैं जो आपको कदम-कदम पर रोकेंगे. आपको कहेंगे कि यह आपसे नहीं होगा. ऐसी बातों का दिमाग पर कई बार गहरा असर होता है, जिसका प्रभाव सफलता पर पड़ता है.


सोशल मीडिया से होता है समय बर्बाद


सृष्टि एक साक्षात्कार में बताती हैं कि मेहतन सभी करते हैं लेकिन फर्क डालता है हर कैंडिडेट का दिमागी स्तर. जिसका दिमाग जितना शांत और सही दिशा में है उसे उतना ही फायदा मिलता है. अपनी ऊर्जा को सही दिशा में खर्च करना जरूरी है. वे फिजिकल और मेंटल फिटनेस को सफलता के लिये बहुत आवश्यक मानती हैं. सृष्टि ने खुद का ध्यान भटकने से बचाने के लिये तैयारी की शुरुआत करने से पहले ही सोशल मीडिया एकाउंट्स डिलीट कर दिये थे.


सृष्टि ने दिये टिप्स


इसके अलावा वे दो टिप्स देती हैं. वे कहती हैं सिविल सर्विसेस की तैयारी में कंसिसटेंसी और फेथ बहुत जरूरी है. ऐसा न करें कि एक दिन सात-आठ घंटे पढ़ लिया फिर अगले दिन दो घंटे पढ़ा या स्किप कर दिया. जितने भी घंटे अपनी क्षमता के अनुसार आप फिक्स करें, उतने घंटे रोज़ पढ़ें, इसी कंसिसटेंसी की जरूरत होती है और दूसरी अहम बात कोई कुछ भी कहे अपने ऊपर विश्वास रखें.


पहले मौके को मानें आखिरी  


सृष्टि कहती हैं कि अपने मन को यह समझा दें कि मेरा पहला अटेम्पट ही आखिरी है. अब आगे मौका नहीं मिलेगा. परीक्षा का स्तर देखने या परीक्षा को समझने के लिहाज से एग्जाम में न बैठें. ऐसे तैयारी करें और ऐसे परीक्षा दें जैसे बस यही पहला और आखिरी मौका है, इसी में सफलता हासिल करनी है. इससे बहुत फायदा मिलता है.


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