असफलताओं के बीच सफलता की मंजिल कैसे मिलती है यह बात लाखों में कोई एक समझता है. ऐसी ही कहानी 2013 बैच के आईएएस राजकमल यादव की भी है. जिंदगी के दूसरे इम्तिहानों में जब असफलताएं ही आगे आकर हाथ पकड़ रही थीं तो एक मौका ऐसा भी आया जब देश की सबसे कठिन परीक्षा भी वह पहले ही प्रयास में पास कर गए. वह भी अच्छी रैंक के साथ और मनचाहा कैडर भी उसी बदौलत मिल गया.


यूपी के फिरोजाबाद से ताल्लुक रखने वाले राजकमल के घर के पास ही वायु सेना का स्टेशन था. घर की छत के ऊपर से जब फाइटर प्लेन उड़ते थे तो मोहल्ले के सभी बच्चे बाहर निकल कर दौड़ लगाने लगते. कुछ कागज के जहाज उड़ाते. इन सब चुहलबाजियों के बीच सेना में जाने का सपना वह मन के किसी कोने में बनने लगे. पिता ग्रामीण बैंक में मैनेजर थे तो उन्होंने पढ़ाई को ही महत्व दिया.


सैनिक स्कूल से वेटनरी कॉलेज तक सेना ही सपना

लखनऊ में सैनिक स्कूल में दाखिला लिया और फिर उड़ने के लिए पंखों को तैयार करना शुरू किया. 12वी में एनडीए की परीक्षा दी पास हुए लेकिन नेक्स्ट राउंड में उन्हें निराशा हाथ लगी. बंगलुरू से आगरा तक ट्रेन में वह अकेले और रोते हुए ही घर लौटे, मानों सारे सपने चकनाचूर हो गए. फिर लगा कि डॉक्टर बनकर सेना में जा सकते हैं, सीपीएमटी में फेल हुए दूसरी परीक्षाओं में भी सफलता नहीं मिली. वेटनरी मेडिसिन के टेस्ट में पास किया और चेन्नई के वेटनरी कॉलेज में दाखिला लिया. सेना में जाने का सपना मन मे.बना रहा. स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम में अमेरिका भी गए लेकिन सेना में जाने की कसक बनी रही.


फिर मिला मौका


वेटनरी की पढ़ाई के दौरान ही एक सीनियर से सिविल सर्विसेज की तैयारी के बारे में जानकारी मिली. उनकी हौसलाअफजाई पर उनके ही नोट्स लेकर तैयारी शुरू कर दी. कॉलेज पास किया और तैयारी जारी रहे इसके लिए गुरुग्राम के एक वेटनरी हॉस्पिटल में नाइट शिफ्ट की ड्यूटी जॉइन की. खर्च के लिए पिता जी पर आश्रितता कम रहे इस बात का भी ध्यान रखा. रात में पढ़ाई जारी रही, सेना में जाने के लिए पहले से ही एकाग्रता और निश्चय ने मन को मजबूत किया हुआ था. जब संतुष्ट हुए तो तय किया कि परीक्षा दी जाए. प्री पास हो गए, मेंस भी पास हुए, लेकिन इंटरव्यू में पुरानी विफलताओं ने हौसला तोड़ने का काम किया. उदासी और निराशा के बीच परिवार और दोस्तों ने मदद की. हिम्मत बढ़ी और उसे भी क्लियर किया. वहां भी सेना में जाने के सवाल पर अपनी बात फिर से दुहराई. सवालों के जवाब डटकर दिए और रिजल्ट आया तो देश मे 21वीं रैंक थी. सीमा पर डटकर देश की रक्षा का सपना तो नहीं पूरा हुआ लेकिन देश के लिए कुछ कर दिखाने का मौका सिविल सेवा में आकर जरूर मिल गया. राजकमल यादव अभी यूपी राज्य आयुष मिशन के मिशन निदेशक के पद पर तैनात हैं.

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