कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट पर दिल्ली विश्वविद्यालय के फैसले से छात्रों में आक्रोश, जानें क्या है पूरा मामला
दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा CUET में विषयों के चुनाव को प्रतिबंधित किये जाने को लेकर छात्रों में काफी नाराजगी है, उन्होंने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है.
Delhi University: दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों में इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति है कि प्रवेश पाने के इच्छुक लोगों को केवल उन्हीं विषयों में बैठने का निर्देश दिया जा रहा है, जिन्हें उन्होंने कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) में शामिल होने के दौरान बारहवीं कक्षा में पास किया था. छात्रों का कहना है कि यूजीसी अधिसूचना छात्रों को सीयूईटी में 6 विषयों और एक भाषा के चुनाव की अनुमति देती दे, ऐसे में डीयू का प्रतिबंध उचित नहीं है.
जो छात्र स्ट्रीम बदलना चाहते हैं उनका क्या?
छात्रों का तर्क है कि जब उन्होंने बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के लिए अंग्रेजी सहित केवल चार विषयों में परीक्षा लिखी, तो यूजीसी ने उन्हें एप्टीट्यूड टेस्ट सहित नौ पेपर में बैठने का मौका दिया. डीयू का फैसला यह उन उम्मीदवारों के लिए एक समस्या है जो कॉलेज में स्ट्रीम बदलना चाहते हैं.
डीयू के उम्मीदवार अश्विनी ने कहा कि यह उचित समय है जब शिक्षा मंत्रालय को हस्तक्षेप करना चाहिए. वहीं, सूरज कुमार पहले ही विश्वविद्यालय प्रशासन को शिकायत भेज चुके हैं. कुमार ने लिखा, 'डीयू के ब्रोशर में कहा गया है कि एक छात्र केवल उन्हीं विषयों को चुन सकता है, जिन्हें उसने बारहवीं कक्षा में पास किया है.' 'मुद्दा यह है कि यदि कोई छात्र पीसीएम बैकग्राउंड से है और बीए ऑनर्स करना चाहता है, तो उसे राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी की वेबसाइट पर उल्लिखित भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित या अन्य विषयों को चुनना होगा.'
कांग्रेस ने शिक्षा मंत्री से की हस्तक्षेप की मांग
छात्रों का कहना है कि जब वे अपनी पसंद के विषय में परीक्षा देने के लिए तैयार हैं, तो विश्वविद्यालय उन्हें सीमित करने का प्रयास क्यों कर रहा है. एक छात्र ने कहा 'यूजीसी का कहना है कि हम सीयूईटी में छह डोमेन विशिष्ट विषयों में उपस्थित हो सकते हैं. लेकिन अगर हम डीयू के निर्देश पर चलते हैं, तो हमें खुद को बारहवीं कक्षा में उत्तीर्ण विषयों तक ही सीमित रखना होगा. इसका मतलब है कि एक छात्र के पास तीन या चार विषयों के अलावा कोई विकल्प नहीं है. क्या हमें 12वीं के विषयों को छोड़कर अन्य विषय चुनने का अधिकार नहीं है. उत्तराखंड में विपक्ष के नेता कांग्रेस के यशपाल आर्य ने भी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की मांग की है.
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