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UPSC Success Story: नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आने वाली नम्रता बुलंद हौसले के दम पर बनीं आईएएस, मुश्किल था सफर
Success Story: नम्रता जैन ने कड़ी मेहनत के बाद आईएएस अफसर बनीं. उन्होंने आईपीएस की ट्रेनिंग के दौरान भी यूपीएससी की तैयारी जारी रखी और आईपीएस के बाद आईएएस ऑफिसर बनीं.
![UPSC Success Story: नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आने वाली नम्रता बुलंद हौसले के दम पर बनीं आईएएस, मुश्किल था सफर Success Story Namrata, coming from Naxal affected area, became IAS on the strength of high spirits, the journey was difficult UPSC Success Story: नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आने वाली नम्रता बुलंद हौसले के दम पर बनीं आईएएस, मुश्किल था सफर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/01/26/ec724c67478e5e2392d98542fe166ffb_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
IAS Success Story: 'जिंदगी की कठिनाइयों से भाग जाना आसान होता है, जिंदगी में हर पहलू इम्तेहान होता है, डरने वालो को नही मिलता कुछ जिंदगी में, लड़ने वालों के कदमो में जहां होता है.' ये लाइन नक्सल प्रभावित इलाके की रहने वाली नम्रता जैन (Namrata Jain) पर बिलकुल सटीक बैठती हैं. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) राज्य के दंतेवाड़ा जिले की रहने वाली नम्रता ने गरीबी और असुविधाओं को पार कर सफलता की कहानी लिखी. बेहद कम आयु में नम्रता ने कुछ ऐसी परिस्थितियों का सामना किया जिससे किसी भी इंसान की हिम्मत टूट जाएगी. लेकिन उन्होंने इन परिस्थितियों को शिकस्त दी और आईएएस ऑफिसर (IAS Officer) बनीं.
नम्रता जैन ने एक बार बताया था कि वह जिस कस्बे से आती हैं, वहां एक बार पुलिस स्टेशन में विस्फोट हुआ था. इस वारदात के पीछे नक्सलियों का हाथ था. इस दहशत भरे माहौल में नम्रता ने यह निर्णय लिया था कि वह अपने गांव में एक दिन विकास (Development) जरूर लाएंगी और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं की पूर्ती करेंगी. नम्रता की शुरुआती शिक्षा निर्मल निकेतन स्कूल से हुई थी. जब उन्होंने 10वीं क्लास पास की थी तब उनके घर वालों ने पढ़ाई के लिए बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी थी. लेकिन उनकी मां ने घरवालों के विपरीत जाते हुए नम्रता की पढ़ाई पर जोर दिया और पांच साल भिलाई और तीन साल दिल्ली में रहकर नम्रता ने अपनी बाकी की पढ़ाई (Study) पूरी की.
एक समय ऐसा दौर भी आया की जब नम्रता पूरी तरह से टूट गई थीं. यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान उन्होंने अपने दो चाचा को 6 महीने के अंदर खो दिया था. उनके चाचा नम्रता (Namrata) को आईएस ऑफिसर बनता देखना चाहते थे. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. जिसके बाद नम्रता ने अपना खून पसीना एक कर दिया था. वर्ष 2015 में पहली बार नम्रता ने यूपीएससी की परीक्षा दी थी लेकिन उन्हें असफलता हाथ नहीं लगी. जिसके बाद वर्ष 2016 में उन्होंने एक बार फिर परीक्षा दी और इस परीक्षा (Exam) में उन्होंने 99 रैंक हासिल की.
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ट्रेनिंग के साथ की तैयारी
जिसके बाद मध्य प्रदेश कैडर की आईपीएस बनी. उन्होंने बचपन से आईएएस बनने का सपना देखा था. जिसके चलते उन्होंने तैयारी जारी रखी. जब वह हैदराबाद में ट्रेनिंग करती थीं, तब ट्रेनिंग के साथ वह यूपीएससी (UPSC) की तैयारी भी करती थीं. वर्ष 2018 में नम्रता ने एक बार यूपीएससी की परीक्षा दी. जिसमें उन्होंने ऑल इंडिया में 12 रैंक हासिल की और आईएएस अधिकारी बनीं.
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