Success Story Of BPSC Topper Shreyansh Tiwari: बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन परीक्षा टॉप करने वाले श्रेयांश मूलतः मध्य प्रदेश, इंदौर के हैं. श्रेयांश ने इसके पहले भी बहुत सी परीक्षाएं दीं पर किन्हीं कारणों से चयनित नहीं हो पाए. करीब से देखें तो श्रेयांश का यह सफर काफी लंबा और कठिन रहा पर इरादों के मजबूत श्रेयांश ने कभी हार नहीं मानी और हमेशा खुद को ये कहकर मोटिवेट किया कि उनसे भी बुरे हालातों में लोगों ने परीक्षा दी है और चयनित भी हुए हैं. बार-बार असफल होने वाले श्रेयांश को 63वीं बीपीएससी परीक्षा में सेलेक्ट हो जाने की उम्मीद तो थी पर टॉप कर जाएंगे ये उन्होंने कभी नहीं सोचा था. सुबह तीन बजे रिजल्ट डिक्लेयर होने के बाद श्रेयांश ने दो घंटे इस खबर को किसी से शेयर नहीं किया क्योंकि सब उस वक्त सो रहे थे. आज जानते हैं श्रेयांश से उनकी सफलता की सीक्रेट्स.


श्रेयांश का एजुकेशनल बैकग्राउंड


श्रेयांश की स्कूलिंग कटनी में सेंट पॉल और सेंट्रल स्कूल से हुयी. इसके बाद उन्होंने साल 2011 में भोपाल के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. श्रेयांश ने कॉलेज के समय से ही यूपीएससी परीक्षा में बैठने का मन बना लिया था और उसी के हिसाब से तैयारियां शुरू कर दी थी. कॉलेज खत्म करते ही उन्हें कई बड़ी कंपनियों से जॉब ऑफर मिला. यही नहीं अपने पहले ही अटेम्पट में श्रेयांश यूपीएससी के साक्षात्कार राउंड तक पहुंच गए पर वहां से आगे नहीं बढ़ पाये. श्रेयांश की जिंदगी में साल 2015 के पहले तक सब बढ़िया चल रहा था कि साल 2015 में तीन महीने के अंदर उनके घर में तीन डेथ्स हो गयीं. श्रेयांश इससे काफी हिल गये क्योंकि उनमें एक तो उनके पिताजी ही थे. यही नहीं कुछ दिनों के बाद जिस बीमारी से उनके पिताजी की मृत्यु हुयी थी, वही बीमारी उनके चाचा को भी हो गयी और वो अस्पताल में पड़ें मौत से जूझ रहे थे. थोड़े दिनों बाद मां को भी हार्ट अटैक आ गया. इन हालातों में श्रेयांश का पढ़ाई कार्यक्रम काफी प्रभावित हुआ पर उन्होंने खुद को समझाया की लोग इससे भी बड़ी समस्याओं से उबर जाते हैं. श्रेयांश ने खुद को समेटा और लग गए परीक्षा की तैयारी में.


श्रेयांश की सलाह


श्रेयांश बीपीएससी परीक्षा के लिये सलाह देते हैं कि सबसे जरूरी है कि बेसिक्स से शुरू करें. जैसे बच्चे ज़ीरों से शुरू करते हैं, वैसे ही करें. अपने नोट्स बनायें और उन्हीं पर अंत तक विश्वास रखें. श्रेयांश अपनी स्ट्रेटजी बनाने पर जोर देने से ज्यादा इस बात पर जोर देते हैं कि जो भी स्ट्रेटजी बनायें उस पर स्टिक रहें. ऐसा न करें कि चार दिन उसे फॉलो किया फिर छोड़ दिया. शुरू से लेकर अंत तक प्लांड वे में काम करें. श्रेयांश ने कोचिंग ली थी और अपनी सफलता का बड़ा श्रेय वे अपने शिक्षकों को देते हैं. वे कहते हैं जो गाइडेंस उनसे मिलता है, वो लाजवाब होता है. पहले श्रेयांश एमपी के अपने घर में ही रहकर पढ़ते थे फिर उन्हें ऐसा लगा कि वे अपने कुकून में ही सिमटे जा रहे हैं इसलिये उन्होंने दिल्ली का रुख किया. वहां और बच्चों को देखकर वे ज्यादा मेहनत करने के लिये मोटिवेट हुए. श्रेयांश ने खूब मॉक टेस्ट दिए साथ ही आंसर लिखने की भी जमकर प्रैक्टिस की. यही नहीं अपने आंसर लिखकर वे किसी जानकार को दिखाते थे कि इसमें क्या कमी है फिर उसे दूर करते थे.


दूसरे कैंडिडेट्स से अलग श्रेयांश नहीं मानते कि बीपीएससी परीक्षा के लिए बहुत ज्यादा बिहार केंद्रित तैयारी की जरूरत है क्योंकि कुछ प्रश्न ही इससे संबंधित आते हैं. हालांकि साक्षात्कार के पहले जरूर उन्होंने बिहार के बारे में अच्छा ज्ञान इकट्ठा कर लिया था. श्रेयांश कहते हैं पढ़ाई का जो भी शेड्यूल बनाएं उसे रोज़ फॉलो करें. दो दिन जमकर पढ़ लेने और एक दिन का ब्रेक लेने से रिद्म टूट जाती है. जितने घंटे भी पढ़ें रोज़ पढ़ें. किताबों के विषय में वे मानते हैं कि कुछ ही किताबें हैं जो लगभग सभी स्टूडेंट्स पढ़ते हैं बस महत्व यह रखता है कि पढ़ा हुआ आपको कितना याद रहा या आपने कितने अच्छे से रिवाइज़ किया. इसलिये संसाधन भी सीमित रखें पर अच्छे से पढ़ें. वे कहते हैं कि मैं खुद से ही कांपटीट करता था जिसमें मेरा लक्ष्य रहता था पिछली बार से और अच्छा अगली बार करना. इससे उनमें बहुत सुधार हुआ. साक्षात्कार में जितना पूछा गया है उतना ही जवाब दें न ज्यादा न कम और इसके लिये साक्षात्कार के पहले खूब प्रैक्टिस करें. अगर अपनी गलतियों को नहीं दोहराएंगे और सही मार्गदर्शन के साथ तैयारी करेंगे तो मेहनत और लगातार प्रयास के दम पर यह परीक्षा पास की जा सकती है. श्रेयांश के साथ भी ऐसा ही हुआ और सफलता मिलने के बाद एसडीएम पद पर उनकी तैनाती हुयी.


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