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बार-बार मिली असफलता पर नहीं हारी हिम्मत, राजस्थान के देव चौधरी ऐसे बने IAS

राजस्थान के बाड़मेर जिले के देव चौधरी ने यूपीएससी की परीक्षा पास करने के लिये जितने पापड़ बेले हैं, उतने में अच्छे अच्छों की हिम्मत टूट जाती है पर हर बार असफल होने के बावजूद उनका बस एक ही मंत्र रहता था, इस बार नहीं तो अगली बार सही

Success Story Of IAS Dev Chaudhary: यूपीएससी की परीक्षा पास करना आसान नहीं होता. तमाम तैयारियों के बावजूद कई बार कोई न कोई कमी रह ही जाती है और यह एक ऐसी परीक्षा है जो छोटी सी कमी को भी स्वीकार नहीं करती. ऐसा ही कुछ बार-बार हो रहा था, बाड़मेर जिला राजस्थान के देव चौधरी के साथ. देव ने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल सर्विसेस की तैयारी शुरू तो की लेकिन 2012 से जो उन्होंने परीक्षा देना शुरू किया वह सिलसिला खत्म हुआ जाकर 2015 में चयन के बाद. चार साल तक देव परीक्षा देते रहे, असफल होते रहे पर उनके इरादे हमेशा अटल और विश्वास अडिग रहा. शायद उनकी यही खूबी थी जो तीन बार अलग-अलग तरह की असफलता देखने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. मन में जो ठान लिया था जब तक वह पूरा नहीं हो जाता देव रुकने वालों में से नहीं थे. आखिरकार 2015 में देव का यह सफर मंजिल तक पहुंचा और उन्हें अपने मन का पद मिला. देव की यह कहानी जो उनके जीवन की सच्चाई है, सचमुच बार -बार असफल होने के बावजूद हौसला न खोने की शिक्षा देती है.

छोटे शहर में नहीं थी सुविधायें –

जब आप किसी छोटे शहर या गांव में रहते हैं तो संसाधनों की कमी का सामना होना आम बात हो जाती है. ऐसे में अगर किसी बड़ी परीक्षा की तैयारी की बात आती है तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं. छोटे शहरों में स्टडी मैटीरियल से लेकर सही शिक्षक मिलना तक खासा दिक्कत भरा होता है. देव के साथ भी यही हो रहा था. वे राजस्थान के एक गांव से ताल्लुक रखते हैं. वहां उन्हें अपनी तैयारी के रास्ते में आने वाले बहुत से रोड़ों का लगभग रोज सामना करना पड़ता था पर इरादों के मजबूत देव ने संसाधनों की कमी को कभी बीच में नहीं आने देते थे और तन मन से बस परीक्षा की तैयारी में लगे रहते थे. आखिरकार उनकी मेहतन रंग लायी और देव का चयन आईएएस परीक्षा में हो गया.

अंग्रेजी ने भी खूब रुलाया –

इस बारे में एक साक्षात्कार में देव ने बताया कि वे हिंदी मीडियम के स्टूडेंट थे और उनकी अंग्रेजी कुछ खास नहीं थी. लेकिन यूपीएससी की परीक्षा का स्टडी मैटिरियल अंग्रेजी भाषा में ज्यादा अच्छा उपलब्ध है. इस कारण देव को अपनी अंग्रेजी पॉलिश करने के लिये भी बहुत मेहनत करनी पड़ी. देव के पिताजी शिक्षक थे उन्होंने अच्छी शिक्षा के लिये देव को शहर तो भेज दिया लेकिन कुछ कारणवश उन्हें ग्यारहवीं में फिर गांव आना पड़ा. यहीं से उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की यहां तक की स्नातक भी यहीं से पूरा किया. इसके बाद सिविल सर्विसेस की तैयारी शुरू हुई.

यूं रहा तीन साल का सफर –

यूपीएससी परीक्षा देने के क्रम में देव हर बार कुछ यूं चूक जाते थे. 2012 में जब उन्होंने पहली बार यह परीक्षा दी तो प्री एग्जाम तो पास कर लिया पर मेन्स में रह गए. फिर उन्होंने 2013 में दोबोरा परीक्षा दी तो प्री और मेन्स तो निकाल लिया पर अंतिम चयन में पीछे रह गए. हिम्मत रखते हुये देव ने 2014 में फिर परीक्षा दी और विडंबना देखिये अब की बार प्री, मेन्स अंतिम चयन सब हो गया पर अपने मन की सर्विस आईएएस नहीं मिली. इतनी असफलताओं के बावजूद भी देव का हौसला नहीं डगमगाया. अंततः उनकी सालों की मेहनत रंग लायी और 2015 में उनका चयन हो गया. फिलहाल देव गुजरात कैडर में 2016 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. देव ऐसे लोगों के लिये मिशाल पेश करते हैं जो असफलता से घबराकर अपने कदम पीछे कर लेते हैं, जबकि देव की कहानी हमें बताती है कि सफलता न मिले तो तरीका बदलो, सपना नहीं.

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