Success Story Of IAS Namita Sharma: दिल्ली की नमिता शर्मा उन कैंडिडेट्स के लिये बहुत बड़ा उदाहरण हैं जो एक-दो बार असफल होने पर ही हार मान लेते हैं. नमिता ने यूपीएससी परीक्षा में एक दो नहीं बल्कि पूरे पांच बार असफल होने के बावजूद हार नहीं मानी और तब तक लगी रहीं जब तक सफल नहीं हो गयीं. हालांकि उनका यह सफर आसान नहीं था, कई बार उन्हें लगा कि बस अब उनसे नहीं होगा, कई बार दूसरे विकल्प भी तलाशे और कई बार तो अपने सपने को ठंडे बस्ते में डालने की भी सोची लेकिन हर बार नयी ताकत के साथ उठ खड़ी हुईं. नमिता को असफलताओं ने झकझोरा जरूर पर परिवार के सहयोग ने उन्हें बहुत हिम्म्त दी.
दिल्ली से इंजीनियरिंग की थी नमिता ने –
नमिता दिल्ली की रहने वाली हैं और उनके पिताजी दिल्ली पुलिस में असिस्टेंट सबइंसपेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. माता जी हाउस वाइफ हैं और उनके अलावा परिवार में एक भाई भी है. इन सभी ने हमेशा नमिता का हौंसला बढ़ाया और बार बार सेलेक्शन न होने के बावजूद अगला प्रयास करने के लिये मोटिवेट किया. नमिता ने दिल्ली की ही आईपी यूनिवर्सिटी से बीटेक किया और ऑफलाइन कैम्पस इंटरव्यू में आईबीएम में जॉब के लिये चुन ली गयीं. इस प्रकार नमिता जॉब के लिये मुंबई चली गयीं. दो साल जॉब करने के बाद उन्होंने यूपीएससी एग्जाम देने की सोची. 2018 के पहले के अपने अटेम्प्ट में से दो अटेम्प्ट को नमिता सीरियस अटेम्प्ट नहीं मानतीं. उसके बाद के तीन अटेम्प्ट के लिये उन्हें लगता है कि कुछ में वे तैयार नहीं थी और कुछ में स्ट्रेटजी गलत थी.
सबसे बड़ा झटका था पांचवा अटेम्प्ट
नमिता ने एक साक्षात्कार में बताया कि उन्हें जीवन का सबसे बड़ा शॉक तब लगा जब 2017 की परीक्षा में प्री और मेन्स दोनों क्लियर कर लेने के बावजूद उनका चयन नहीं हुआ. वे कहती हैं इस झटके से उबरने में सबसे ज्यादा समय लगा. वे लगभग मानकर बैठी थी कि इस बार चयन पक्का है. यहां तक की उन्होंने साल 2018 के लिये प्री की तैयारी भी नहीं करी थी. लेकिन रिजल्ट आने के बाद जब उन्होंने लिस्ट में अपना नाम नहीं देखा और फैमिली ने मोटिवेट किया तो उन्होंने आवेदन के आखिरी दिन फॉर्म भर दिया.
अधिकारियों ने किया सपोर्ट
यूपीएससी की तैयारियों के दौरान नमिता ने एसएससी सीजीएल परीक्षा पास की थी. चयन होने के बाद वे टैक्स असिस्टेंट के पद पर काम करती थी. वहां उनके सीनियर्स ने उन्हें कहा कि वे इस नौकरी से ज्यादा पाने के काबिल हैं और उन्हें अपनी तैयारी फिर से करनी चाहिये. उनके अधिकारियों ने न केवल उनका सपोर्ट किया बल्कि साक्षात्कार पास करने के टिप्स भी दिये. इससे नमिता को बहुत मदद मिली. अपने आखिरी अटेम्प्ट के बाद उन्हें चयनित होने के पहले इस बात की संतुष्टि थी कि सेलेक्शन हो या न हो इस बार उन्होंने कोई गलती नहीं की है और अपना बेस्ट दिया है. साल 2018 में आखिरी अटेम्प्ट में चयन होने पर उन्होंने चैन की सांस ली.
रिवीज़न को मानती हैं जरूरी
नमिता कहती हैं कि इस परीक्षा का सिलेबस केवल पढ़ लेना ही काफी नहीं होता रिवीज़न बहुत जरूरी होता है. बिना रिवाइज़ करे आपकी सारी तैयारी बेकार है. इसके साथ ही लिखने की खूब प्रैक्टिस करें. जितना ज्यादा लिखेंगे उतना इस बात के लिये श्योर हो पायेंगे कि मेन्स में कुछ छूट नहीं रहा. इसके साथ ही नमिता दूसरे उम्मीदवारों को सलाह देती हैं कि चाहे कितनी बार भी असफल हों पर मन से खुद को असफल न मानें.
ऐसे लोगों की बिलकुल न सुनें जो आपको डिमोटिवेट करते हों. उन्होंने खुद अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों की डिप्रेसिव बातों से बचने के लिये घर के बजाय मुंबई के हॉस्टल में रहकर तैयारी करना उचित समझा. अंततः साल 2018 में उनकी मेहतन रंग लायी और उनका चयन हो गया. नमिता की कहानी धैर्य की अनोखी कहानी है जहां बार-बार असफल होने के बावजूद उन्होंने प्रयास करना नहीं छोड़ा. वे आगे कहती हैं कि मैंने भी टॉपर्स के साक्षात्कार देखें, अधिकारियों की सलाह ली लेकिन अपनी स्ट्रेटजी अपने अनुसार बनायी क्योंकि हर किसी की स्ट्रेन्थ और वीकनेस अलग होती है, किसी की कॉपी नहीं करनी चाहिए.
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