यूपीएससी यानी संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस एग्जाम को देश की कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है और काफी अभ्यर्थी इसको पास करने के लिए सालों तक मेहनत करते है. कुछ अभ्यर्थी असफलताओं से हारकर प्रयास करना छोड़ देते हैं, जबकि कुछ अभ्यार्थी परीक्षा को पास करने की ठान लेते है, ऐसी ही कुछ कहानी हरियाणा की रहने वाली देवयानी की है, जिन्होंने साल 2021 में एक बार फिर अपनी प्रतिभा से ऑल इंडिया में 11वीं रैंक हासिल की और आईएएस बनने में सफल रहीं. इससे पहले देवयानी ने अपने चौथे प्रयास में 222वीं रैंक प्राप्त की थी.
हरियाणा के महेंद्रगढ़ की रहने वाली देवयानी ने अपनी स्कूली शिक्षा चंडीगढ़ के एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की और इसके बाद देवयानी ने साल 2014 में बिट्स पिलानी के गोवा कैंपस से इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की. देवयानी के परिवार की बात करे तो उनके पिता विनय सिंह हिसार में संभागीय आयुक्त हैं और देवयानी ने शुरू से ही अपने पिता को एक सिविल सेवक के रूप में काम करते देखा था, इसलिए वे भी अपने पिता जैसा बनने की चाह रखती थी. देवयानी ने अपने पिता को ही अपनी प्रेरणा माना है.
देवयानी के लिए आईएएस बनने का सफर आसान नहीं था और लगातार तीन बार असफलताओं का सामना करने के बाद उन्हें सफलता मिली. देवयानी ने वर्ष 2015, 2016 और 2017 में यूपीएससी परीक्षा दी थी, लेकिन वे परीक्षा पास नहीं कर पाईं. पहले और दूसरे प्रयास में देवयानी प्री एग्जाम भी नहीं पास कर पाई थीं, हालांकि साल 2017 में वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंची, लेकिन फाइनल लिस्ट में उनका नाम नहीं आया. इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और 2019 के एग्जाम में सफलता हासिल कर 222 वीं रैंक पाने में सफल रहीं. 222 वीं रैंक हासिल करने के बाद देवयानी का सिलेक्शन सेंट्रल ऑडिट विभाग के लिए हुआ और इसके लिए उन्होंने ट्रेनिंग शुरू की, लेकिन इसके साथ ही यूपीएससी की तैयारी वे साथ में करती रहीं. कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ देवयानी ने ऑल इंडिया में 11वीं रैंक हासिल की आईएएस बनने में सफल रहीं. इससे पहले साल 2019 में देवयानी का चयन राजस्थान सिविल सेवा में भी हुआ था.
ऐसे की तैयारी
देवयानी ने कभी भी ये नहीं देखा कि उन्होंने कितने घंटे पढ़ाई की है और वह बिना किसी टेंशन के गंभीरता से पढ़ाई करती थी. सेंट्रल ऑडिट विभाग में चयन के बाद उन्हें पढ़ाई के लिए ज्यादा समय नहीं मिलता था, इसलिए वे शनिवार और रविवार को ही पढ़ाई कर पाती थी. देवयानी के मुताबिक उन्होंने इस बार की परीक्षा में ऑप्शनल सब्जेक्ट में ज्यादा नंबर लाने का लक्ष्य रखा था और इसलिए वे इसमें सफल हुईं. इसके साथ ही इंटरव्यू की तैयारी के लिए उन्होंने मॉक इंटरव्यू की भी मदद ली और इसका उन्हें फायदा मिला. इसके अलावा देवयानी रोज अखबार पढ़ती थीं और लिखने का अभ्यास करती थी.
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