IAS Success Story: डॉक्टर से आईएएस तक का सफर कुछ यूं पूरा किया प्रियंका शुक्ला ने
छत्तीसगढ़ की आईएएस ऑफिसर प्रियंका शुक्ला के इस पद तक पहुंचने की कहानी बहुत ही रोचक है. एक महिला के यह कह देने पर कि तुम कहां की कलेक्टर हो, वे इतना हर्ट हुई कि उन्होंने सच में कलेक्टर बनने की ठान ली.
Success Story Of IAS Priyanka Shukla: प्रियंका शुक्ला का झुकाव हमेशा से एकेडमिक्स की तरफ था. इस बात का सबूत देता है उनका डॉक्टर के पद पर चयनित होना. आईएएस ऑफिसर बनने से पहले प्रियंका डॉक्टर थीं. साल 2006 में प्रियंका ने लखनऊ की प्रतिष्ठित किंग जॉर्ज्स मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस किया था. डिग्री पूरी होने के बाद प्रियंका लखनऊ में ही प्रैक्टिस करने लगीं. इस प्रैक्टिस के दौरान ही उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि पहले से मन में दबे प्रशासनिक ऑफिसर बनने के उनके सपने को और बल मिल गया. इस बारे में हम आगे पढ़ेंगे.
पिता चाहते थे बनें ऑफिसर –
आईएएस प्रियंका शुक्ला वुमेन इम्पावरमेंट की जीती-जागती मिसाल हैं. 2009 की इस प्रशासनिक अधिकारी की कहानी किसी के भी लिये मिसाल बन सकती है. अगर प्रियंका की शुरुआती शिक्षा-दीक्षा की बात करें तो वे हरिद्वार में जन्मीं और पली-बढ़ीं. उनकी शुरुआती शिक्षा भी वहीं से हुयी. प्रियंका के पिताजी हमेशा से चाहते थे कि बेटी डीएम बने. प्रियंका भी अपने पिताजी के साथ-साथ इस सपने को जीने लगीं. फिर कुछ ऐसी स्थितियां बनीं कि उन्होंने मेडिकल के क्षेत्र में कैरियर बनाने का फैसला लिया. जैसा की हम जानते हैं कि एमबीबीएस में चयन होना भी आसान नहीं होता पर प्रियंका ने न केवल परीक्षा दी बल्कि अच्छे नंबरों से उसे पास भी कर लिया. फलस्वरूप उन्हें लखनऊ का केजीएमयू मेडिकल कॉलेज एलॉट हुआ. प्रियंका ने एमबीबीएस यहीं से किया.
इस घटना ने बदला जीवन –
लखनऊ में प्रैक्टिस के दौरान प्रियंका एक बार स्लम एरिया में चेकअप के लिये गयीं. वहां एक महिला खुद भी गंदा पानी पी रही थी और अपने बच्चों को भी पिला रही थी. यह देखकर प्रियंका ने उसे ऐसा करने से मना किया तो उस महिला ने जवाब में कहा, तुम कहीं की कलेक्टर हो क्या? प्रियंका को यह शब्द अंदर तक चुभ गए और उन्होंने उसी दिन तय किया कि वे सच में कलेक्टर बनकर दम लेंगी. दरअसल उस महिला की इस लाइन के अलावा झुग्गी-झोपड़ियों की यह दशा देखकर भी वे द्रवित हो गयी थीं. उन्हें लगा की समाज को सुधारने और ऐसे लोगों की मदद करने के लिये उन्हें प्रशासनिक सेवा में ही जाना चाहिए. बचपन से भी यह सपना उनके मन में पल ही रहा था. बस फिर क्या था प्रियंका ने कमर कस ली और लग गयीं यूपीएससी की तैयारी में.
दूसरी बार में हुईं सफल –
यूपीएससी परीक्षा में सफल होने में प्रियंका को दो साल का समय लगा. पहले प्रयास में उनका सेलेक्शन नहीं हुआ. पर दूसरे प्रयास में वे न सिर्फ चयनित हुईं बल्कि उनकी रैंक भी अच्छी आयी. प्रियंका ने 2009 में इस परीक्षा में सफलता पायी. वर्तमान में वे छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के डीएम के रूप में कार्यरत हैं. इस जिले की तस्वीर बदलने में वे निरंतर अपना योगदान दे रही हैं. वे इस पद को केवल काम के रूप में नहीं लेतीं बल्कि इसे एक जुनून की तरह करती हैं. इस बात का प्रमाण देते हैं, उन्हें मिलने वाले अवॉर्ड और रिकॉग्निशन. प्रियंका को सेंसस 2011 के दौरान बेहतर काम करने के लिये राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सेंसर सिल्वर मैडल पुरस्कार से नवाज़ा. साक्षरता के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिये उन्हें एक बार और राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है. इस तरह के और भी कई पुरस्कार उन्हें दिये जा चुके हैं. यही नहीं प्रियंका सोशल मीडिया पर भी छायी रहती हैं. उनके 70 हजार फॉलोअर उन्हें लगातार कुछ नया करने के लिये प्रेरित करते रहते हैं.
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