Success Story Of IAS Topper Abhishek Kumar: झारखंड के अभिषेक कुमार उन कैंडिडेट्स के लिए एकदम सटीक उदाहरण हैं जिन्हें लगता है कि उनका बैकग्राउंड यूपीएससी जैसी बड़ी परीक्षा देने के लायक नहीं. कम से कम उनके मन में यह ख्याल तो आता ही है कि बड़े शहर के अंग्रेजी मीडियम से पढ़ें स्टूडेंट्स के सामने वे कहीं स्टैंड नहीं करते. झारखंड के अभिषेक इन सभी भ्रांतियों को तोड़ते दिखते हैं. वे न तो किसी बड़े शहर के हैं न ही उनकी स्कूलिंग किसी खास स्कूल से हुई पर अभिषेक ने आईआईटी से लेकर आईएएस तक वह सब पाया जो उनके सपनों में था. हालांकि उनकी यूपीएससी की जर्नी इतनी आसान नहीं रही पर अभिषेक ने कभी हिम्मत नहीं हारी और तब तक प्रयास किया जब तक मन की रैंक नहीं पा गए. आज जानते हैं अभिषेक से उनकी सफलता का सीक्रेट.


आप यहां अभिषेक कुमार द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू का वीडियो भी देख सकते हैं



कई प्रयासों के बाद मिली सफलता –


दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए साक्षात्कार में अभिषेक बताते हैं कि उन्होंने साल 2014 में अपना पहला अटेम्पट दिया जिसमें उन्होंने प्री भी पास नहीं किया था, उस समय में वे जॉब थे. अगले साल उन्होंने प्रयास नहीं किया और अंततः 2016 में नौकरी छोड़कर फिर से परीक्षा दी और 2017 की परीक्षा में सभी बाधाओं को पार करते हुए सेलेक्ट हो गए. इस समय उनकी रैंक आयी 133, जिसके अनुरूप उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस मिला. इसके तहत वे नागपुर में असिस्टेंट कमिशनर ट्रेनी के पद पर काम कर रहे हैं. साल 2018 में अभिषेक ने पुनः कोशिश की और इस बार उनकी रैंक पिछले साल से भी खराब हो गई और उन्होंने 243वीं रैंक के साथ परीक्षा पास की. हालांकि इस बात का सकारात्मक पहलू यह है कि अभिषेक ने लगातार तीन साल तक मेरिट सूची में जगह बनाई जोकि आसान नहीं है. खैर इस रैंक के आने से अभिषेक की सर्विस अपग्रेड नहीं हुई पर इरादों के पक्के अभिषेक कहां हार मानने वाले थे. उन्होंने साल 2019 में फिर कोशिश की और इस बार वे टॉपर्स की सूची में जगह बनाने में सफल हुए. साल दर साल निकलते गए पर अभिषेक के हौंसले कभी पस्त नहीं हुए. आखिरकार उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से सफलता हासिल कर ही ली.


 


अपने अनुसार बनाएं अपनी स्ट्रेटजी –


अभिषेक साक्षात्कार में आगे बात करते हुए कहते हैं कि कभी किसी और की स्ट्रेटजी को आंख बंद करके फॉलो न करें बल्कि अपने अनुसार अपनी स्ट्रेटजी बनाएं. शुरुआत एकदम बेसिक बुक्स से करें और सभी विषयों की एनसीईआरटी जरूर पढ़ें, ये बहुत लाभ देती हैं. जब इन्हें खत्म कर लें तब ही अगले लेवल पर जाएं. अगर बात करें करेंट अफेयर्स की तो इसके लिए न्यूज पेपर पढ़ें और बहुत से कोचिंग संस्थानों के मंथली कंपाइलेशंस आते हैं, अपनी च्वॉइस के हिसाब से चुन लें और इनसे भी तैयारी करें. मॉक टेस्ट भी खूब दें और टेस्ट देने के बाद जो आंसर नहीं आते उन्हें कहीं अलग लिख लें और बार-बार पढ़ें जब तक वे याद नहीं हो जाते. गलतियों को ऐसे ही नहीं छोड़ना है, उन्हें सुधारना है. इसके साथ ही अभिषेक नोट्स बनाने पर भी यकीन करते हैं. वे कहते हैं यूपीएससी का सिलेबस हमेशा ध्यान में रखें और उसके अनुसार नोट्स बनाते चलें. अपने केस में अभिषेक बताते हैं कि तीन साल पहले के नोट्स भी कभी बेकार नहीं हुए क्योंकि अगर किसी विषय पर कोई नया अपडेट होता था तो वे उन्हीं नोट्स में ऐड कर लेते थे यानी उन्हें ही अपडेट कर लेते थे. नोट्स बनाने का एक फायदा यह भी होता है कि एंड में उनसे रिवाइज करना आसान हो जाता है.


अभिषेक की सलाह –


अभिषेक दूसरे कैंडिडेट्स को यही सलाह देते हैं कि पढ़ाई के कोई फिक्स घंटे नहीं होते. आप अपनी क्षमताओं और जरूरत के मुताबिक पढ़ाई करिए. जब लगे की बहुत थक गए हैं तो ब्रेक लीजिए क्योंकि ठीक से पढ़ाई के लिए माइंड फ्रेश रखना बहुत जरूरी है. खुद को पूरी तरह थका न लें बीच में ही कोई दूसरा काम जो आपको पसंद हो वो कर लें. परिवार और दोस्तों के जो आपके खास हैं, के संपर्क में हमेशा रहें क्योंकि ये आपका संबल बनते हैं. जैसे उनके परिवार की तरफ से उन पर कोई दबाव नहीं था. दिल्ली के जिस रूम में रहकर वे तैयारी कर रहे थे वहां अपने दोस्तों के साथ कई विषयों पर चर्चा करते थे जिससे किसी भी विषय के बारे में बहुत से दूसरे एंग्ल भी सामने आते थे. इससे आपकी सोचने की क्षमता बढ़ती है और साथ चर्चा करने से कांफिडेंस में भी बढ़ोत्तरी होती है. इसके अलावा अभिषेक आंसर राइटिंग और रिवीजन पर भी बहुत ध्यान देने के लिए कहते हैं. वे कहते हैं शुरू में केवल अच्छा आंसर लिखने पर फोकस करें स्पीड की चिंता न करें जब आंसर अच्छा लिखने लगें तो धीरे-धीरे स्पीड बढ़ायें. ऐस्से और एथिक्स के पेपर को बराबर महत्व दें और खूब टेस्ट पेपर प्रैक्टिस करें. अंत में अभिषेक यही कहते हैं कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता इसलिए खूब मेहनत करें, इतनी की लक की ज्यादा जरूरत ही न पड़ें. वे एक प्रचलित कविता कि इस लाइन को बहुत मानते हैं कि मेहनत करने वालों की हार नहीं होती.


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