Success Story Of IAS Topper Akshat Kaushal: यूपीएससी का सफर हर किसी के लिए अलग होता है. कोई जल्दी मंजिल पर पहुंच जाता है तो किसी को अधिक समय लगता है. ऐसे में कुछ ऐसे भी कैंडिडेट्स होते हैं जो अंत तक सफल नहीं होते और अंततः यह क्षेत्र ही छोड़ देते हैं. कुछ ऐसा ही फैसला ले लिया था अक्षत कौशल ने जब चौथे प्रयास में भी उनका सेलेक्शन नहीं हुआ. वे मान चुके थे कि यह क्षेत्र उनके लिए नहीं है.


तभी कुछ ऐसा हुआ कि अक्षत ने फिर से एक अटेम्प्ट देने का मन बनाया और यह अटेम्प्ट उनके लिए गेम चेंजर साबित हुआ. अंततः साल 2017 में अपने पांचवें प्रयास में अक्षत ने 55वीं रैंक के साथ टॉप किया और उनकी सालों की मेहनत का फल उन्हें मिला. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में अक्षत ने अपनी असफलताओं के कारणों पर विस्तार में चर्चा की.


दोस्तों के शब्दों ने बदला जीवन –


अक्षत अपनी कहानी बताते हैं कि चौथे प्रयास की असफलता से निराश वे घर से निकले तो अपने दोस्तों से यूं ही टकरा गए. उनके करीबी चार दोस्तों ने उनसे पता नहीं क्या कहा कि अक्षत की सारी निराशा हवा हो गई और वे पूरे जोश के साथ पांचवें अटेम्प्ट की तैयारी में जुट गए. इस समय प्री परीक्षा में केवल 17 दिन बचे थे लेकिन अक्षत ने पूरी जान लगा दी और यूपीएससी जैसी परीक्षा जिसके लिए कहा जाता है कि यहां किसी भी स्टेज पर कोई भी असफल हो सकता है में अक्षत ने इतने कम समय की तैयारी में सफलता पाई. इन 17 दिनों में वे सबकुछ भूलकर अपना सौ प्रतिशत देकर केवल परीक्षा की तैयारी में लगे रहे और सफल भी हुए.


 


पहले समझें कि यूपीएससी आपसे चाहता क्या है -


अक्षत कहते हैं कि इस राह पर निकलने से पहले राह के बारे में पूरी जानकारी कर लेना ठीक रहता है. सबसे पहले जानें कि यूपीएससी आखिर एक कैंडिडेट में देखता क्या है और तीनों चरणों में आपसे क्या अपेक्षा की जाती है. सही दिशा का ज्ञान होने के बाद ही आगे बढ़ें, ऐसे में रास्ता भटकने के चांसेस कम हो जाते हैं और मंजिल पर पहुंचने के ज्यादा.


दूसरी जरूरी बात अक्षत ओवर-कांफिडेंस को लेकर कहते हैं. वे कहते हैं कि किसी विषय पर आपकी पकड़ अच्छी हो तो उसे इग्नोर न करें क्योंकि यूपीएससी जिस स्तर पर उसे जांचता है, वहां तक पहुंचने के लिए आपको बढ़िया लेवल पर तैयारी तो करनी ही पड़ेगी. उन्होंने हिंदी पर ध्यान नहीं दिया था और इसी में फेल हो गए.


यहां देखें अक्षत कौशल द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू - 




कई बार जो हम नहीं देख पाते वह दूसरे देख लेते हैं –


अक्षत अपनी स्टोरी के बारे में आगे बताते हैं कि कई बार कुछ चीजें हम नहीं देख पाते लेकिन दूसरे देख लेते हैं. ऐसे में अगर वह आपको कोई जेन्युन सलाह दें तो उसे मानें. जैसे उनके दोस्त ने उन्हें दूसरे प्रयास के समय नौकरी करने से काफी मना किया पर अक्षत नहीं माने. नतीजा यह हुआ कि उनका चयन हो गया पर अक्षत रह गए.


अगली जरूरी बात है अपनी स्ट्रेंथ को लेकर घमंड न करना. कई बार हमें लगता है कि यह एरिया हमारा बहुत स्ट्रांग है लेकिन जब यूपीएससी जैसी परीक्षा में वह टेस्ट होता है तो हम स्कोर नहीं कर पाते. इसलिए यूपीएससी के मापदंडों पर खरा उतरने के लिए जरूरी है उसी स्तर की तैयारी. अक्षत के साथ यह समस्या ऐस्से के पेपर में आयी थी और उनके बहुत ही खराब अंक आए थे.


हर चीज आपके हाथ में नहीं है, यह समझें -


अक्षत आखिरी सलाह देते हैं कि जब अपना सौ प्रतिशत देने के बाद भी रिजल्ट न आए तो कुछ चीजें समय पर छोड़ देनी चाहिए. कुछ घटनाओं का समय शायद तय होता है, वे जब होनी होती हैं, तभी होती हैं. इसका सबसे बडा उदाहरण अक्षत के जीवन में उनके वे दोस्त हैं जिनकी सलाह ने उनकी जिंदगी बदल दी वरना वे कब का यह क्षेत्र छोड़ चुके होते.


यही नहीं अक्षत अपने पांचवें अटेम्पट के उन 17 दिनों को भी ईश्वर की मर्जी मानते हैं, जिनमें वे इतने मोटिवेट हुए की कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसलिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करें लेकिन फल न मिले तो निराश न हों क्योंकि सबकुछ आपके हाथ में नहीं होता. आप केवल ईमानदार कोशिश करें और बाकी सब ईश्वर पर छोड़ दें.


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