Success Story Of IAS Topper Alok Singh: आलोक सिंह की यूपीएससी जर्नी की दो खास बाते हैं. एक तो ये कि आलोक ने कभी भी परीक्षा की तैयारी के लिए जॉब नहीं छोड़ी और दूसरा यह कि कुल चार प्रयासों में से पहले प्रयास को छोड़ वे हर बार प्री परीक्षा में सफल हुए. आलोक के साथ एक और रिकॉर्ड जुड़ा है कि उन्होंने हमेशा सेल्फ स्टडी से इस परीक्षा को पास किया. उन्होंने जो भी गाइडेंस लिया वह इंटरनेट के माध्यम से लिया. इसके अलावा आलोक काफी लकी रहे कि लगभग हर जॉब में उन्हें बहुत ही सपोर्टिंग और एनकरेजिंग बॉस मिले जिन्होंने हमेशा उन्हें मोटिवेट किया. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में आलोक ने अपनी जर्नी के बारे में बात की खासकर प्री परीक्षा की तैयारी के लिए टिप्स दिए.
आप यहां आलोक सिंह द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया इंटरव्यू भी देख सकते हैं
इस कारण आया यूपीएससी का ख्याल -
आलोक के पिताजी मूलतः बिहार के हैं लेकिन आलोक का जन्म और शुरुआती पढ़ाई-लिखाई नोएडा, उत्तर प्रदेश से हुई. इसके बाद मैकेनिकल इंजीनियर आलोक को स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया में नौकरी मिल गई. यहां जॉब के दौरान वे आदिवासी जनजातियों के संपर्क में आए और यह देखकर काफी द्रवित हुए कि उनके पास आधारभूत संसाधन भी नहीं हैं. पीने का पानी तक उन्हें उपलब्ध नहीं है. इस कारण से आलोक ने किसी ऐसे क्षेत्र में जाने का मन बनाया जहां से इनके लिए कुछ किया जा सके. यूपीएससी उन्हें एक बढ़िया विकल्प दिखा. पढ़ाई के लिए समय कम मिल पाने के कारण आलोक ने जॉब बदली और उनका सेलेक्शन यूपीएससी ईपीएफओ में हो गया. यहां जॉब करते हुए उन्होंने अटेम्प्ट्स दिए और तीसरे प्रयास में सेलेक्ट हो गए.
बेसिक बुक्स, करेंट अफेयर्स और टेस्ट सीरीज –
प्री की तैयारी के लिए आलोक तीन चीजों पर भरपूर ध्यान देने की बात कहते हैं. वे कहते हैं कि सबसे पहली बात तो जो प्रचलित बेसिक बुक्स हैं, उन्हीं से तैयारी करें और हर विषय के लिए कोशिश करें कि एक ही किताब प्रयोग करें. इससे अंत में रिवीजन करना आसान होता है.
अब आते हैं करेंट अफेयर्स पर. वे बताते हैं कि इसके लिए चाहे आप अखबार पढ़ें, चाहे मंथली मैगजीन सब्सक्राइब कर लें या कोई और तरीका अपनाएं जो आपको ठीक लगता हो. लेकिन यहां भी एक ही सेलेक्शन करें. बहुत ज्यादा सोर्स रखेंगे तो कहीं नहीं पहुंचेंगे केवल एक-आध बार कोर्स पूरा हो पाएगा.
अंत में आते हैं तीसरे बिंदु पर और वह है टेस्ट सीरीज. जब तैयारी हो जाए तो टेस्ट सीरीज जरूर हल करें. इसमें भी केवल पेपर नहीं देना है बल्कि उसे एनालाइज भी करना है और जहां गलतियां की हैं उन्हें दूर करके पेपर रिवाइज भी करना है. कई लोग तो टेस्ट सीरीज को ही रिवीजन का जरिया बना लेते हैं. हालांकि पहले तैयारी और बाद में रिवीजन ज्यादा बढ़िया विकल्प है.
आलोक की सलाह –
आलोक कहते हैं कि सबसे पहले तो एक बात जान लें कि चाहे परीक्षा की तैयारी की स्ट्रेटजी हो, चाहे पढ़ाई के लिए शेड्यूल बनाने की या प्रश्न-पत्र अटेम्प्ट करने की, हमेशा खुद की जरूरत के हिसाब से शेड्यूल बनाएं. किसी की नकल न करें. जरूरी नहीं जो किसी और के लिए काम किया हो, वह आपके लिए भी काम करे क्योंकि हर किसी की स्ट्रेंथ और वीकनेस अलग होती है. इसलिए अपनी जरूरत के मुताबिक अपने लिए प्लान बनाएं.
प्री में सफलता के लिए रिवीजन बहुत जरूरी है इसलिए बार-बार रिवाइज करें और यह ठीक से हो सके इसके लिए सीमित सोर्स रखें. अगर बाद में कुछ टॉपिक नहीं मिलते तो इंटरनेट की मदद से उन्हें तलाशें उनके लिए अलग से किताब न खरीदें. बाकी किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए इंटरनेट का रुख करें. यहां आपके हर प्रश्न का जवाब उपलब्ध है.
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