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IAS Success Story: दो बार हुईं असफल पर नहीं मानी हार, तीसरी बार में कर गईं अनीषा UPSC पार

साल 2019 के अपने तीसरे अटेम्पट में अनीषा ने 94 रैंक के साथ यूपीएससी-सीएसई परीक्षा पास की है. इस दौरान क्या रही उनकी स्ट्रेटजी आइए जानते हैं.

Success Story Of IAS Anisha Tomar: साल 2019 की टॉपर अनीषा तोमर को यह सफलता तीसरे प्रयास में मिली. पहले दो प्रयासों में से पहले में वे प्री भी नहीं कर पायी थीं और दूसरे में मेन्स तक पहुंची पर आगे नहीं बढ़ पायी. अनीषा ने अपने दोनों अटेम्पट्स की गलतियों को समझा और अगले प्रयास में उन्हें दूर किया. नतीजा यह हुआ कि तीसरी बार में न केवल उनका सेलेक्शन हुआ बल्कि उन्होंने टॉपर्स की सूची में जगह भी बनायी. अनीषा ने पंजाब यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है. साल 2016 में उनका ग्रेजुएशन पूरा हो गया था और तभी से वे यूपीएससी की प्रिपरेशन में लग गई थीं. उन्होंने अपना पहला अटेम्पट 2017 में दिया जिसमें बहुत कम अंकों से प्री पास करते-करते रह गईं. दूसरे अटेम्पट में मेन्स तक पहुंची और तीसरे में सारे चरण पार करते हुए अंततः विजेता बनकर निकली. आज जानते हैं अनीषा से उनकी तैयारी के टिप्स.

आप यहां अनीषा तोमर द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू का वीडियो भी देख सकते हैं

सबसे पहले करें अपनी गलतियों पर काम –

अनीषा, दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए साक्षात्कार में कहती हैं कि अपनी कमियों को पहचानकर दूर करने से ही सफलता मिलती है. यह हर किसी के केस में अलग होती है. आप देखिये कि आपके प्रयास में क्या है जो पूरा नहीं पड़ रहा है. वे अपना उदाहरण देती हैं कि प्री के लिए तैयारी करने के बाद वे टेस्ट देती थी और टेस्ट में उनके काफी कम नंबर आते थे. पर बजाय इस बात को एनालइज करने के कि नंबर क्यों कम आ रहे हैं वे और ज्यादा नंबरों के पीछे भागती थी. वे कहती हैं, नंबरों का ऑब्सेशन ठीक नहीं. टेस्ट दीजिये, अपनी गलती देखिये और हर प्रश्न को एनालाइज कीजिए. जैसे की कोई प्रश्न है और उसके चार ऑप्शन हैं और आपको किसी के बारे में अंदाजा नहीं है तो उसे वहीं खत्म मत करिए. गूगल पर जाइये और पांच मिनट निकालकर उन चारों ऑप्शंस के बारे में पता लगाइये. हो सकता है अगली बार उन चार ऑप्शंस में से किसी से ही प्रश्न आ जाए. ठीक इसी प्रकार हर टेस्ट देने के बाद देखें कि जो प्रश्न गलत हैं वे क्यों गलत हैं और उन्हें सुधारिये. नंबरों के पीछे मत भागिये, वे धीरे-धीरे सुधर जाएंगे. अपनी दूसरी बड़ी गलती अनीषा मानती हैं बहुत सारे सोर्स इकट्ठा कर लेना पर एंड में उन्हें रिवाइज न कर पाना क्योंकि वे कहीं कंसोलिडेट नहीं किए. इसलिए सीमित सोर्स रखिए और उन्हें बार-बार पढ़िये.

ऑप्शनल को दें सबसे ज्यादा समय –

अनीषा का ऑप्शनल पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन था. वे कहती हैं कि इस विषय में पीजी लेवल की नॉलेज होनी चाहिए इसलिए कम से कम छ महीने तो यह पढ़ना ही पड़ता है. चूंकि वे इंजीनियरिंग बैकग्राउंड की थी और आईटी को कोई विषय यूपीएससी में नहीं होता तो दो-तीन विषय देखने के बाद उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का चुनाव किया जो उन्हें बाद में और पसंद आया. इतना कि अपनी तैयारी के दौरान उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में इग्नू से पीजी भी कर लिया.

अपनी तैयारी के विषय में आगे बात करते हुए अनीषा कहती हैं कि वे नोट्स बनाकर पढ़ने में यकीन  करती थी खासकर करेंट अफेयर्स क्योंकि उनके पिछले प्रयासों की गलती में से एक थी रिवीजन न कर पाना. वे कहती हैं इतना सारा मैटीरियल होता है कि आप चाहकर भी एंड में सब कुछ रिवाइज नहीं कर सकते. बेहतर होगा छोटे-छोटे नोट्स बना लें जो फटाफट रिवाइज हो जाएं. वे अखबार पढ़ते समय, यूपीएससी कि सिलेबस पास में रखती थीं और जो भी जरूरी लगता था उसे नोट करती चलती थी. शुरू में इस काम में उन्हें समय लगता था पर धीरे-धीरे वे एक घंटे में पेपर पढ़ने लगीं. अनीषा एक मजेदार बात बताती हैं कि उन्हें कॉफी बहुत पसंद है. इसलिए उन्होंने तय किया हुआ था कि कॉफी और पेपर हमेशा साथ-साथ ही पढ़ना है. इसलिए वे सुबह दोनों को साथ लेकर बैठती थी. इससे अगर किसी दिन पढ़ाई नहीं भी कि तो न्यूज पेपर नहीं छूटता था.

जब ऐसा हो आपके साथ तो न घबराएं –

अनीषा अपना अनुभव शेयर करते हुए कहती हैं कि शुरू-शुरू में हर कैंडिडेट के साथ कुछ चीजें होती हैं जिनसे बिलकुल न घबराएं क्योंकि वे अमूमन सभी के साथ होती हैं. जैसे शुरुआत में पेपर पढ़ने में तीन-चार घंटे लग जाते हैं, इससे न परेशान हों, यह धीरे-धीरे सैटल होगा. पेपर समझ नहीं आता खासकर यूपीएससी प्रिपरेशन के लिए जरूरी माना जाने वाले एक खास पेपर. कुछ समय में यह भी समझ आने लगेगा. अगली समस्या आती है ऑप्शनल में, चाहे कोचिंग ले लो, चाहे कितनी भी सेल्फ स्टडी कर लो शुरू में लगता है कि यह ऑप्शनल है क्या और इसमें क्या लिखा है. इससे घबराएं न, ये भी कुछ समय में ठीक हो जाएगा. अगली समस्या तब आती है जब मॉक टेस्ट में बहुत खराब अंक आते हैं. तो यहां भी वही बात कि दिल छोटा न करें कुछ दिनों में आप इम्प्रूव कर जाएंगे. नंबरों के चक्कर में न पड़ें अपनी तैयारी करते रहें. अगली बड़ी समस्या आती है तैयारी के बीच में कई बार डिमोटिवेटेड फील करने की. ऐसा भी आमतौर पर सभी के साथ होता है. इसके लिए अपने परिवार, दोस्तों से बात करते रहें और अगर किसी दिन पढ़ाई में दिल न लगे तो इसे अन्यथा न लें. कुछ दिनों में सब सही हो जाएगा. अनीषा अपना केस बताती हैं जहां उनकी मां उन्हें मेंटल सपोर्ट देती थी और उन्होंने अनीषा को हिस्ट्री में भी काफी मदद की क्योंकि वे हिस्ट्री की शिक्षिका हैं.

अंत में अनीषा यही कहकर अपनी बात खत्म करती हैं कि पूरे पेपर के दौरान सेल्फ स्टडी पर सबसे ज्यादा भरोसा करें. ऐस्से, एथिक्स जैसे पेपरों को कमतर न मानें और इनकी भी बराबर से तैयारी करें. अपनी ताकत और कमजोरी के अनुसार मेहनत करें क्योंकि हर कोई हर विषय में अच्छा नहीं हो सकता. जो अच्छा है उसे और अच्छा बनाएं और परीक्षा के हर हिस्से को महत्व दें. इस परीक्षा में पेशेंस रखना जरूरी है. ग्रोथ ओवरनाइट नहीं होती यह एक धीमा प्रॉसेस है. डिसिप्लीन रखें यह आपको परीक्षा के अलावा जीवन में भी हेल्प करेगा.

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