(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
IAS Success Story: अपने पहले ही अटेम्पट में सफल होने वाले अंकित तब तक नहीं रुके जब तक नहीं मिल गया IAS पद
दिल्ली के अंकित पन्नु ने पहली ही बार में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली थी पर रैंक कम थी. ऐसे में अंकित ने फिर से परीक्षा दी और 31वीं रैंक हासिल करके न केवल टॉप किया बल्कि आईएएस का मनचाहा पद भी पाया.
Success Story Of IAS Topper Ankit Pannu: दिल्ली के रहने वाले अंकित पन्नु ने साल 2017 में अपने दूसरे प्रयास में सिविल सर्विसेस परीक्षा पास कर ली थी. यही नहीं उन्होंने 31वीं रैंक के साथ टॉप भी किया था. यह अंकित का दूसरा प्रयास था. पहले प्रयास में भी उनका चयन हो गया था पर उनकी रैंक 444 थी. इस वजह से उन्हें आईआरएस (सीई एंड ई) सर्विस एलॉट हुयी थी पर अंकित अपने पद से संतुष्ट नहीं थे क्योंकि उन्हें हमेशा से आईएएस बनना था. अंकित ने पिछली गलतियों से सीखा और फिर से कोशिश की. अपनी दूसरी कोशिश में अंकित को न सिर्फ सफलता मिली बल्कि उन्हें अच्छी रैंक की वजह से मनचाहा पद भी मिला. आज जानते हैं अंकित से इस परीक्षा की तैयारी के टिप्स.
जितनी जल्दी शुरुआत, उतना ज्यादा फायदा –
अंकित ने दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की है. इस क्षेत्र में जाने के पहले ही अंकित सोच चुके थे कि उनकी लाइफ का अल्टीमेट गोल आईएएस ही है. मन में प्लान साफ होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग के तीसरे साल से ही यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी. जैसे ही उनका ग्रेजुएशन पूरा हुआ उन्होंने केवल यूपीएससी परीक्षा पर फोकस करना शुरू कर दिया. एक साक्षात्कार में अंकित बताते हैं कि जितनी जल्दी तैयारी शुरू कर दी जाए उतना अच्छा रहता है. तैयारी के लिए आधारभूत जानकारियां जैसे सिलेबस, बुक लिस्ट वगैरह आप इस समय में ही तैयार कर सकते हैं. ताकि जब पढ़ाई का समय आये तो आप केवल पढ़ाई पर पूरा ध्यान दें क्योंकि सारा स्टडी मैटीरियल इकट्ठा हो चुका है, स्ट्रेटजी बन चुकी है केवल प्लान के अनुसार पढ़ाई करना बाकी है.
एक साक्षात्कार से मिली सिविल सर्विसेस में जाने की प्रेरणा –
अंकित कहते हैं यह क्षेत्र चुनने का सबका अपना कारण होता है. कोई जनता के लिए कुछ करना चाहता है तो किसी को स्टेबल जॉब चाहिए तो किसी को प्रशासनिक पद का रुतबा पसंद होता है. वे अपना केस बताते हैं कि उन्होंने काफी समय पहले एक महिला ऑफिसर का साक्षात्कार पढ़ा था जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे एक साइन मात्र से एक पूरे कस्बे को बिजली मिलने लगी थी जो सालों से अंधेरे में जी रहा था. उस महिला ऑफिसर को इस अनुभव ने बहुत रोमांचित किया और गौरान्वित भी. अंकित ये इंटरव्यू पढ़कर काफी प्रभावित हुए और उन्होंने तय किया कि वे भी आईएएस बनेंगे जो लोगों की जिंदगी को सीधे तौर पर इतना प्रभावित कर सकते हैं. उनकी जिंदगी में सकारात्मक और बड़े बदलाव लाकर उस खुशी और संतुष्टि को महसूस करेंगे. बस यहीं से उन्होंने कमर कस ली और ठान लिया की सिवल सर्विसेस में ही जाएंगे.
निगेटव लोगों से रहें दूर –
अंकित कहते हैं तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स के जीवन में कई बार ऐसे पल आते हैं, जब उन्हें निगेटिव लोग और उनकी निगेटिव बातों का सामना करना पड़ता है. ये लोग जिन्होंने कभी अंकित से भी कहा था कि जेईई तो तुमसे हुआ नहीं यूपीएससी क्या करोगे. ऐसे लोगों से दूर रहें. ये एनर्जी सकर्स होते हैं जो केवल आपको डिमोटिवेट करने के लिए पास आते हैं. अंकित कहते हैं, किसी की बात पर ध्यान न दीजिए केवल खुद पर, अपने सपने पर भरोसा रखिए. सबसे पहले सिलेबस पता कीजिए ताकि जैसे ही किताब में कोई टॉपिक देखें आपको पता चल जाए कि यह सिलेबस में है या नहीं. एक लिस्ट बनाकर अपनी टेबल पर चिपका लें. इसके साथ ही पहले प्रॉपर स्ट्रेटजी प्लान करें उसके हिसाब से तैयारी शुरू करें. हफ्ते के हफ्ते टाइमटेबल बनाएं और ये टाइमटेबल भी अपनी मेज पर लगा लें और रोज़ के रोज़ अपना टारगेट पूरा करें.
लगातार प्रयास है जरूरी –
अंकित आईएएस एस्पिरेंट्स को यही सलाह देते हैं कि यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए पढ़ाई में कंसिसटेंसी बहुत जरूरी है. जितने भी घंटे आपके लिए सफीशियेंट हों, उतना पढ़ें पर रोज पढ़ें. अंकित खुद को लकी मानते हैं कि वे दिल्ली के राजेन्द्र नगर में तैयारी के लिए नहीं फंसे वरना वहां इतने निगेटिव लोग हैं जिनकी निगेटीविटी से आप बच ही नहीं सकते. वे घर से ही पढ़ाई करने को महत्व देते हैं. इसके साथ ही अंकित पहले अटेम्पट में अच्छी रैंक न आने का कारण निबंध के पेपर पर ध्यान न देने को मानते हैं. वे कहते हैं उन्होंने निबंध के पेपर में बहुत कम स्कोर किया था. अगली बार उन्होंने खूब अभ्यास किया और हर पेपर में अपना बेस्ट दिया. वे आगे कहते हैं कि मेरे जैसे कैंडिडेट अगर पहली बार में परीक्षा पास कर सकते हैं तो आप भी कर सकते हैं. यहां तक की कुछ कैंडिडेट्स ऐसे होते हैं जो तीन बार परीक्षा देते हैं तो तीनों बार सेलेक्ट होते हैं. अगर दूसरे ऐसा कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं. अंकित उन कैंडिडेट्स के इस माइंडसेट को ठीक नहीं मानते जिसमें वे कहते हैं कि पहला अटेम्पट तो केवल एक्सपीरियंस के लिए दिए था. वे कहते हैं ऐसा सोचोगे तो पहला अटेम्पट सच में अनुभव ही बनकर रह जाएगा. हम जैसा सोचते हैं वैसा ही परफॉर्म करते हैं. इसलिए सही माइंडसेट बहुत जरूरी है. सही माइंडसेट के साथ खूब मेहनत करें सफलता जरूर मिलेगी.
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