Success Story Of IAS Ankita Chaudhary: रोहतक, हरियाणा में एक छोटा सा कस्बा है महम. साल 2018 की टॉपर अंकिता यहीं की हैं. इस साल के पहले इस छोटी सी जगह को इतने लोग नहीं जानते थे लेकिन अपने कस्बे की पहली आईएएस अधिकारी अंकिता चौधरी ने यूपीएससी परीक्षा में सफल होकर न केवल अपने परिवार का बल्कि अपने कस्बे का भी नाम रोशन कर दिया. अंकिता बचपन से ही इस क्षेत्र में आना चाहती थी और काफी पहले से उन्होंने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए थे. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में अंकिता ने परीक्षा के विषय में विस्तार से बात की. किस स्ट्रेटजी के साथ इस कठिन परीक्षा को पास किया अंकिता ने आइये जानते हैं.


अंकिता का एजुकेशनल बैकग्राउंड -


अंकिता की शुरुआती पढ़ाई अपने होमटाउन में ही हुई और वे हमेशा से पढ़ाई में अच्छी थी. बारहवीं के बाद उन्होंने दिल्ली का रुख किया और यहीं से ग्रेजुएशन और पोस्टग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. दोनों ही क्लासेस में उन्होंने केमिस्ट्री विषय चुना था और इसी में महारथ हासिल की थी. लेकिन इसके बावजूद अंकिता ने यूपीएससी में ऑप्शनल विषय के रूप में केमिस्ट्री की जगह पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन को चुना. चूंकि यूपीएससी अंकिता का बहुत पुराना ख्वाब था इसलिए पीजी के बाद उन्होंने सिर्फ इस ओर फोकस किया और पूरी तरह से तैयारियों में जुट गईं. साल 2017 में उन्होंने अपना पहला अटेम्प्ट दिया लेकिन अपनी तरफ से कोई कसर न छोड़ने के बावजूद उनका सेलेक्शन नहीं हुआ. अंकिता ने हिम्मत नहीं हारी और दोबारा कोशिश की. इस कोशिश में वे न केवल सफल रही बल्कि टॉपर भी बनीं.


यहां देखें अंकिता चौधरी द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू - 


 


प्री के लिए रिवीजन और मॉक टेस्ट्स पर करें फोकस –


अंकिता यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के विषय में बात करते हुए कहती हैं कि प्री परीक्षा के लिए सबसे पहले तो बेसिक्स मजबूत करें और उसके लिए एनसीईआरटी की किताबें पढ़ें खासकर क्लास 9 से 12 की. इसके बाद स्टैंडर्ड बुक्स सेलेक्ट करें लेकिन ध्यान रहे कि किताबों की भीड़ न लगाएं, वरना एंड में रिवीजन नहीं कर पाएंगे. अंकिता के अनुसार दूसरा अहम बिंदु है नोट्स बनाना. वे कहती हैं कि अगर नोट्स बनाएंगे तो रिवीजन आसान हो जाएगा. परीक्षा पास आने पर कम से कम तीन बार पूरे नोट्स रिवाइज हो जाएं इस बात का ध्यान रखें. उसके बाद जब तैयारी एक स्तर पर पहुंच जाए तो मॉक टेस्ट दें. इनसे बहुत फायदा मिलता है. समय से कैंडिडेट को अपनी कमियां पता चलती हैं जिन पर काम करके वह अपने अंक बढ़ा सकता है. इसलिए खूब मॉक टेस्ट दें और उन्हें एनालाइज जरूर करें.


मेन्स के लिए जरूरी है आंसर राइटिंग -


अंकिता कहती हैं कि मेन्स के लिए बहुत पढ़ना पड़ता है और बहुत आंसर राइटिंग भी करनी होती है. जब तक आप अच्छे आंसर लिखना नहीं सीखते आपको अंक नहीं मिलते भले कितना भी ज्ञान आपके पास हो. इसलिए सीमित किताबों से जमकर पढ़ने के बाद खूब उत्तर लिखें. ऑप्शनल पर खास ध्यान दें क्योंकि यह विषय आपकी रैंक बना या बिगाड़ सकता है. इसी प्रकार इसके चयन के समय भी सावधान रहें और वहीं सब्जेक्ट चुनें जिसमें आपको रुचि हो. अंकिता ने खुद केमिस्ट्री बैकग्राउंड होने के बावजूद पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन चुना था लेकिन यह एक सोचा-समझा फैसला था, जो बाद में सही भी साबित हुआ जब अंकिता के इसमें बहुत अच्छे अंक आए.


पढ़ाई के अलावा अंकिता कैंडिडेट्स को अपनी हॉबीज को भी टाइम देने की सलाह देती हैं. वे कहती हैं कि हमेशा पढ़ते रहना जरूरी नहीं इससे एक समय बाद आप सैचुरेटेड महसूस करने लगते हैं. बेहतर होगा बीच-बीच में अपनी रुचि के भी काम करें ताकि दिमाग फ्रेश रहे. अंत में बस इतना ही की जमकर रिवीजन करें, पेपर के एक दिन पहले अच्छी नींद लें और चिंता मुक्त होकर इस सफर का आनंद लेते हुए आगे बढ़ें. जब हम कोई काम बोझ की तरह न करके इंज्वॉय करते हुए करते हैं तो सफलता मिलने के चांसेस बढ़ जाते हैं.


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