Success Story Of IAS Topper Ankush Bhati: अंकुश भाटी जेवर के रहने वाले हैं. यहां के एक छोटे से गांव रामपुर बांगर में उनका जन्म हुआ. अंकुश के पिताजी एयरफोर्स में थे और मुख्यतः उनके घर में खेती-किसानी का काम होता था. जहां तक अंकुश की शिक्षा की बात है तो उनकी स्कूलिंग केवी से हुई है और पढ़ाई में हमेशा से अच्छे अंकुश ने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से ग्रेजुएशन किया है. इसके बाद एक साल नौकरी करने के बाद अंकुश ने यूपीएससी के क्षेत्र में आने का मन बनाया और पहले प्रयास में असफल रहे. कमियों को दूर कर अंकुश ने फिर परीक्षा दी और दूसरे प्रयास में 238वीं रैंक के साथ सेलेक्ट हुए. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में अंकुश ने सोशियोलॉजी ऑप्शनल विषय की तैयारी के बारे में बात की.


पा चुके हैं राष्ट्रपति से पुरस्कार –


अंकुश के एजुकेशनल बैकग्राउंड के बारे में जब बात करते हैं तो पता चलता है कि वे हमेशा से पढ़ाई को लेकर गंभीर थे साथ ही लगभग हर कक्षा में उनके अच्छे अंक आते थे. रांची के बिड़ला इंस्टीट्यूट से ग्रेजुएशन करने वाले अंकुश ने यूनिवर्सिटी टॉप की थी और उस समय अपने इस अचीवमेंट के लिए राष्ट्रपति से पुरस्कृत भी हुए थे. उन्हें भारत के प्रेसिडेंट ने गोल्ड मेडल दिया था. इसके बाद पुणे के एक इंस्टीट्यूट में अंकुश ने एक साल जॉब की लेकिन कुछ कारणों से उनका जॉब में मन नहीं लगा और अपने घर वापस आकर वे यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में जुट गए. सभी कोशिशों के बावजूद उनका सेलेक्शन पहली बार में नहीं हुआ. अंततः दूसरी बार में अंकुश ने फाइनल लिस्ट में जगह बनाई.



सोशियोलॉजी ऑप्शनल की तैयारी –


अंकुश कहते हैं कि यूं तो यूपीएससी का सिलेबस बहुत बड़ा है लेकिन जब सोशियोलॉजी के सिलेबस की बात आती है तो यह बहुत बड़ा नहीं है. इसलिए कैंडिडेट्स को पहले स्टेप में सिलेबस लगभग रट लेना है. इसका एक फायदा यह होता है कि जब वे रिसोर्स चुनते हैं तो यह देख पाते हैं कि जो टॉपिक उन्हें चाहि वे किस किताब में हैं और किसमें नहीं. इस प्रकार सही किताबों का चयन हो पाता है. सीमित रिसोर्स रखना जरूरी है इसलिए सिलेबस के मुताबिक जो विषय आपके काम के हों, केवल वही किताबें इकट्ठी करें. कम किताबों से रिवीजन भली प्रकार हो पाता है इसलिए ध्यान से इनका चुनाव करें, भीड़ इकट्ठी न करें.


पिछले साल के पेपर देखें –


अंकुश कहते हैं कि अगला जरूरी बिंदु है पिछले साल के पेपर देखना. इससे यह पता चलता है कि किसी विषय से किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं. कोई विषय पता होना और उसे पढ़ना अलग बात है पर उससे प्रश्न कैसे बनते हैं यह अलग बात. इसलिए पिछले साल के पेपर जरूर देखें. इनमें मार्क्स का डिस्ट्रीब्यूशन कैसा रहता है यह भी देख लें.


इसके बाद बारी आती है मॉक देने की. मॉक देने से आपको अपनी वास्तविक स्थिति और किस एरिया में समस्या है, यह पता चलता है. इसलिए तैयारी एक स्तर पर पहुंच जाने के बाद मॉक टेस्ट जरूर दें. इनसे आपका अभ्यास भी होता है.


कुछ छोड़ें न और करेंट अफेयर्स जरूर पढ़ें –


अंकुश आगे कहते हैं कि सिलेबस का कोई भी हिस्सा न छोड़े क्योंकि कई बार यूपीएससी टॉपिक्स की इंटरमिक्सिंग कर देता है. आप सोचते हैं कि यह विषय रहने देते हैं और इससे प्रश्न आएगा तो छोड़ देंगे जबकि यूपीएससी कई बार तीन-चार विषयों को मिलाकर प्रश्न बना देता है. इससे आपको कई प्रश्न छोड़ने पड़ सकते हैं. बेहतर होगा जितना सिलेबस में है वह सब पढ़ें. इसके साथ ही अखबार रोज देखें और करेंट अफेयर्स पर नजर रखें. कोई नया डेवलेपमेंट आपके विषय से जुड़ा हो तो उसे एग्जाम्पल के तौर पर अपने उत्तरों में जरूर कोट करें.


आंसर राइटिंग टिप्स –


अंत में अंकुश आंसर राइटिंग पर फोकस करने के लिए कहते हैं. वे कहते हैं उत्तरों को नरेटिव वे में लिखें यानी इंट्रोडक्शन, बॉडी, कॉन्क्लूजन फॉरमेट में. उनमें लाइव करेंट अफेयर्स के एग्जाम्पल डालें और रटी-रटायी किताबीं चीजें लिखने के बजाय किसी विषय पर आपके क्या विचार हैं, वे लिखें.


प्रश्न चुनने का समय आए तो डायनमिक प्रश्न चुनें ताकि एग्जामिनर को कुछ नया दिखे कॉपियों में. अपने उत्तरों को फैक्ट्स, फिगर्स, कोट्स से न भर दें बल्कि कुछ ओरिजिनल हो तो वह लिखें. इस डेटा फैक्ट्स में किसी को रुचि नहीं होती. इन छोटी लेकिन जरूरी बातों का ध्यान रखकर आप भी सोशियोलॉजी ऑप्शनल में अच्छे अंक पा सकते हैं.


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