Success Story Of IAS Topper Ankush Kothari: हमारे आज के टॉपर अंकुश कोठारी कई मायनों में खास हैं. सफर जिंदगी का हो या पढ़ाई का उन्होंने लगभग हर जगह बहुत संघर्ष किया है. इसी का नतीजा है कि अंकुश ने एक के बाद एक कई सफलताएं हासिल की. यूपीएससी परीक्षा में चयनित होने के पहले अंकुश आईआईटी से ग्रेजुएशन कर चुके हैं और कैट परीक्षा में भी बहुत अच्छे नंबरों से सेलेक्ट हो चुके हैं. यूपीएससी सीएसई परीक्षा भी उन्होंने तीन बार दी और तीनों बार मेन्स लिखा. दो बार इंटरव्यू राउंड तक पहुंचकर अंततः तीसरी बार में फाइनली सेलेक्ट हुए. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में अंकुश ने अपने सफर के विभिन्न पहलुओं पर बात की.
अंकुश का संघर्ष –
अंकुश कोठारी को उनकी मां ने ही पाला है. छोटी उम्र में ही उनके पैरेंट्स अलग हो गए थे. वे अपनी मां के साथ ही रहे और अपनी जिंदगी की पूरी जर्नी का सबसे बड़ा प्रेरणास्त्रोत वे अपनी मां को ही मानते हैं. अंकुश के बचपन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि क्लास दसवीं के बाद उनके यहां कभी टीवी नहीं रहा. उनकी मां को लगता था कि ये चीजें पढ़ाई से ध्यान बांटती हैं और अंकुश के लिए फिजिकल एक्टिविटी ज्यादा जरूरी हैं. कुछ समय बाद अंकुश भी समझ गए कि यही उनका जीवन है जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया. आज वे मानते हैं कि जीवन में सुविधाएं जितनी कम रहें उतना ही लक्ष्य प्राप्ति आसान होती है.
छोड़ा लाखों का पैकेज –
क्लास दस के बाद बिना कोटा या कहीं कोचिंग लिए अंकुश आईआईटी की तैयारी करने लगे और सेलेक्ट होकर उन्होंने कानपुर आईआईटी से ग्रेजुएशन पूरा किया. ग्रेजुएशन के आखिरी साल से ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी और इसके लिए भी कोई कोचिंग नहीं ली. दरअसल ग्रेजुएशन में इंटर्नशिप के दौरान अंकुश का साबका कुछ अधिकारियों से पड़ा और उनसे प्रभावित हो उन्होंने यूपीएससी के क्षेत्र में आने का फैसला लिया.
इस फैसले को लेकर अंकुश इतने क्लियर थे कि कॉलेज के बाद उन्हें करीब 19 लाख रुपए सालाना की जॉब ऑफर हुई और एक लंबे समय से पैसे की तंगी झेल रहे अंकुश ने इस जॉब को लेने से मना कर दिया. उनके दिमाग में केवल यूपीएससी था.
मां ने किया मोटिवेट –
अंकुश अपने दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि कैसे वे अप्रैल-मई के महीने में साइकिल से घर तलाशने निकलते थे और पिता के साथ न रहने से अक्सर लोग बहुत से सवाल पूछकर न कह देते थे. हालांकि हालात चाहे जो भी हों अंकुश की मां ने न कभी हिम्मत हारी और न कभी बेटे को निराश होने दिया. वे हमेशा अंकुश का मोटिवेशन बनी रहीं. जब अंकुश मेन्स परीक्षा देने जाते थे तो पूरे समय उनकी मां बाहर पार्क में उनका इंतजार करती थी. इससे अंकुश को इमोशनल सपोर्ट भी बहुत मिला. अंकुश की जर्नी पर अगर नजर डालें तो जहां इसमें कई अचीवमेंट्स हैं, वहीं कई निराशा भरे क्षण भी हैं. बार-बार मेन्स तक पहुंचना और एक बार तो इंटरव्यू राउंड तक पहुंचने के बाद सेलेक्शन न होना काफी कठिन पल था लेकिन अंकुश ने कभी हिम्मत नहीं हारी और बार-बार अटेम्प्ट्स देते रहे.
अंकुश की सलाह –
अंकुश कहते हैं कि वर्तमान समय में इतनी सुविधाएं हैं कि बिना कोचिंग के भी यह परीक्षा पास की जा सकती है. उन्होंने कभी कोचिंग नहीं ली और बजाय इसके इस क्षेत्र के दूसरे कैंडिडेट्स, सीनियर्स, टॉपर्स, टीचर्स वगैरह से बात की और उनसे गाइडेंस लिया. उन्हें कभी यह भी महसूस नहीं हुआ कि अकेले तैयारी करन से कहीं वे पीछे न रह जाएं. जहां और जब जैसी जरूरत पड़ी अंकुश ने वैसे एक्ट किया. प्री के लिए खूब मॉक दिए, संसाधन सीमित रखकर जमकर रिवीजन किया तो मेन्स में आंसर राइटिंग पर फोकस किया. इसी प्रकार इंटरव्यू में डैफ पर पूरा ध्यान केंद्रित किया. जब दो बार सेलेक्शन नहीं हुआ तो ऑप्शन के तौर पर कैट परीक्षा दी और एमबीए करने का सोचा ताकि करियर कहीं तो जाए.
इस प्रकार स्मार्ट वर्क, हार्डवर्क और पेशेंस के साथ अंकुश ने अपनी यूपीएससी जर्नी पूरी की. वे दूसरे कैंडिडेट्स को भी यही सलाह देते हैं कि सही दिशा में सही प्लानिंग के साथ बढ़ें तो आप जरूर सफल होंगे.
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