Success Story Of IAS Topper Arpit Upadhay: अर्पित आईएएस बनने से पहले इंजीनियर थे. इंजीनियरिंग पूरी होने के बाद उन्होंने करीब दो साल एक कंपनी में नौकरी भी की. इस नौकरी के दौरान उनकी मुलाकात एक अधिकारी से हुई जिनसे मिलकर अर्पित इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने भी उनके जैसा बनने के लिए यूपीएससी के क्षेत्र में आने का मन बनाया. अर्पित को एक बात और अट्रैक्ट करती थी कि कैसे इन पदों पर आसीन अधिकारी जनता की कई मायनों में मदद कर सकते हैं और कैसे लोग इनकी तरफ आस भरी निगाह से देखते हैं. कुल मिलाकर अर्पित ने भी इस क्षेत्र में किस्मत आजमाने की सोची. इसी के साथ उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी. इस परीक्षा में सफल होने में उन्हें करीब पांच साल का समय लग गया जिस दौरान उन्होंने चार अटेम्पट दिए. अंततः चौथे अटेम्पट में अर्पित को सफलता मिली और वे आईएएस बने.


अर्पित ने दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में यूपीएससी सीएसई परीक्षा में ऐस्से पेपर की तैयारी पर बात की. जानते हैं ऐस्से पेपर की प्रिपरेशन के लिए अर्पित का व्यू.


ऐस्से पेपर है खास


अर्पित कहते हैं कि सिविल सेवा परीक्षा में ऐस्से पेपर इसलिए भी खास होता है कि यह सीधा आपकी रैंक पर असर डालता है. इस पेपर में अच्छा करके आप अपनी रैंक बढ़ा सकते हैं जो बदले में आपको मिलने वाली सर्विस पर असर डालती है. इसलिए इस पेपर को पूरी गंभीरता से लेने के साथ ही अवसर के तौर पर देखें, जिसमें कम तैयारी से भी अच्छे अंक पाए जा सकते हैं. बस जरूरत है तो अभ्यास की. रोज एक ऐस्से या हफ्ते में एक ऐस्से जैसा भी आपको सूट करें या आपकी जरूरत हो, उस हिसाब से तैयार करें.


सिंपल ऐस्से होते हैं बेस्ट


अर्पित कहते हैं ऐस्से लिखते समय सबसे जरूरी होता है उसे सिंपल रखना. उनका अनुभव कहता है कि निबंध जितना साफ, सटीक और टू द प्वॉइंट लिखा गया होगा, उतने अच्छे अंक दिलाता है. यह याद रखें कि निबंध के माध्यम से कोई आपकी भाषा की नॉलेज नहीं देखता इसलिए बहुत सजावटी या क्लिष्ट भाषा का प्रयोग न करें. अपनी बात को जितना सीधे और साफ तौर पर कह सकते हैं कहें. ऐस्से के स्ट्रक्चर पर ध्यान दें और प्रैक्टिस के दौरान ऐस्से का स्ट्रक्चर बनाने का अभ्यास कर लें. सिस्टेमेटिक तरीके से अपनी बात कहें और एक बात के बाद दूसरी वही बात उठाएं जो पहले को आगे ले जाए.


यहां देखें अर्पित उपाध्याय द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू



जनरल टॉपिक भी दिलाता है अंक


अर्पित कहते हैं कई बार कैंडिडेट्स को ऐसा लगता है कि वे अलग सा टॉपिक न चुनकर अगर जनरल टॉपिक चुनेंगे तो उन्हें अंक नहीं मिलेंगे. जबकि ऐसा नहीं है, टॉपिक कॉमन है या डिफरेंट इससे फर्क नहीं पड़ता. आपने उसके अंदर क्या कंटेंट डाला है उससे फर्क पड़ता है. इसलिए जिस विषय पर कहने के लिए आपके पास बहुत कुछ हो उस विषय का चयन करें. जिसमें आप अधिक से अधिक डेटा, फैक्ट्स, रिपोर्ट्स, कोट्स आदि डाल पाएं उसे चुनें. ऐस्से को इंट्रोडक्शन, बॉडी, कॉन्क्लूजन जैसे भागों में बांटकर लिखें और हर भाग को बराबर इंपॉर्टेंस दें. ऐस्से की शुरुआत दमदार करेंग तो एग्जामिनर पर अच्छा प्रभाव पड़ता है. कुछ कोट्स पहले से तैयार कर लें ताकि जरूर पड़ने पर उनसे ऐस्से शुरू कर सकें.


अर्पित की सलाह


अर्पित कहते हैं कि ऐस्से की प्रैक्टिस के बाद दूसरा अहम पहलू होता है उनको इवैल्युएट कराना. यह काम आप किसी और से भी करा सकते हैं और खुद भी कर सकते हैं. शुरू शुरू में आपको समझ नहीं आएगा पर कुछ दिनों की प्रैक्टिस के बाद जब आप अपना ऐस्से खुद इवैल्युएट करेंगे तो समझ जाएंगे कि कहां क्या कमी है. अगले चरण में इसे दूर करने का काम करें. विषय जो भी चुनें कोशिश करें उसके हर आस्पेक्ट को कवर करते हुए लिखें. कुछ बातें पक्ष में कहें, कुछ विपक्ष में लेकिन ओवरऑल एक बैलेंस्ड अपरोच के साथ आगे बढ़ें. यही नहीं ऐस्से को कभी समस्या या सवाल के साथ खत्म न करें. आपके विषय के अनुसार उसका जो भी पॉसिबल आंसर या सॉल्वयूशन हो वह लिखें. लिखने के पहले एक पेज पर वे सभी प्वॉइंट्स लिख लें जो आप कवर करना चाहते हैं ताकि एंड में आपसे कुछ न छूटे. थोड़ी सी मेहनत और अभ्यास से इस पेपर में काफी अच्छे अंक लाए जा सकते हैं.


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