IAS Success Story: उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव के अरविंद हिंदी माध्यम से कैसे बने UPSC टॉपर? जानते हैं उनकी स्ट्रेटजी
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के अरविंद प्रताप सिंह ने हिंदी माध्यम से साल 2017 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास की. आइये जानते हैं उनसे उनके इस सफर की खास बातें.
Success Story Of IAS Topper Arvind Pratap Singh: अरविंद, फतेहपुर उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. उनकी शुरुआती पढ़ाई यहीं हुई. क्लास 12वीं के बाद ग्रेजुएशन के लिए वे इलाहाबाद चले गए और वहीं से अपनी स्नातक की डिग्री ली. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के बाद एमए और एमफिल के लिए अरविंद ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) दिल्ली का रुख किया और ये दोनों डिग्रियां वहीं से ली. इसके बाद अरविंद का चयन नायाब तहसीलदार के पद पर हो गया, जिस पर काम करते हुए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की, अटेम्पट दिए और सेलेक्ट भी हुए. अरविंद की इस पूरी जर्नी की खास बात यह है कि उन्होंने स्नातक से लेकर परास्नातक तक पूरी पढ़ाई हिंदी विषय में ही की. यानी हिंदी भाषा पर उन्हें महारत हासिल है. यही कारण रहा कि यूपीएससी में भी अरविंद ने हिंदी साहित्य को ही अपना ऑप्शनल विषय बनाया.
सामने रखें अनसॉल्वड या सॉल्वड पेपर्स –
अरविंद कहते हैं कि इस परीक्षा की तैयारी की शुरुआत में सबसे पहले सिलेबस देखें और अपनी स्टडी टेबल पर कुछ सॉल्वड या अनसॉल्वड पेपर्स रख लें. इससे आपको यह पता चलता रहेगा कि किस विषय से किस तरह के प्रश्न बनते हैं. इससे तैयारी में मदद होगी. इससे आप यह भी तय कर सकते हैं कि किस विषय का कौन सा हिस्सा महत्वपूर्ण है और किस हिस्से को थोड़ा कम महत्व दिया जा सकता है. इससे आप सेलेक्टिव स्टडी का थोड़ा सा रिस्क ले सकते हैं.
रिवीजन है बहुत जरूरी –
अरविंद कहते हैं कि इस परीक्षा को पास करने के लिए जरूरी यह है कि आप किताबें सीमित रखें और उन्हीं से बार-बार रिवाइज करें. बहुत किताबों को पढ़ना इसलिए लाभ नहीं देता है क्योंकि कि जब आप अंत में पहुंचते हैं और रिवीजन करने का समय आता है तो इतनी ढ़ेर सारी किताबों को फिर से नहीं पढ़ पाते और पिछली सारी मेहनत बेकार हो जाती है. इसलिए उतना ही पढ़ें जो काफी होने के साथ-साथ रिवाइज भी आसानी से हो सके.
आंसर राइटिंग की करें प्रैक्टिस –
अरविंद जहां प्री परीक्षा के लिए रिवीजन और मॉक टेस्ट्स को जरूरी मानते हैं, वहीं मुख्य परीक्षा के लिए उनका मेन फोकस आंसर राइटिंग पर है. वह कहते हैं कि जब तक आप एक प्रभावशाली उत्तर नहीं लिखेंगे तब तक सारा पढ़ा हुआ बेकार है और यह प्रैक्टिस से ही आता है. इसके अलावा वह यह भी कहते हैं कि मुख्य परीक्षा में जितना ज्यादा लिखना पड़ता है उतना बिना प्रैक्टिस के नहीं आ सकता. कुछ भी कर लें अंत में प्रश्न छूटते ही हैं या उतने अच्छे से नहीं पूरे हो पाते जितने अच्छे से पहले होते हैं. इसलिए खूब उत्तर लिखें.
अरविंद की सलाह –
अरविंद कहते हैं कि अपने माध्यम को लेकर कभी मन में शंका न लाएं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस माध्यम के हैं और आपका बैकग्राउंड कैसा रहा है या आपके पहले कैसे मार्क्स आते थे. यहां सीधा संबंध मेहनत से है. जितनी और जैसी मेहनत आप करते हैं वैसा ही परिणाम आता है. इसलिए अगर मेहनत की है तो आज नहीं तो कल रिजल्ट जरूर मिलेगा. हिम्मत न हारें और अंत तक कोशिश करते रहें. खुद को किसी से कम न समझें और अपने ऊपर अंत तक विश्वास बनाए रखें.
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