IAS Success Story: IIT से IAS तक चार साल में पूरा हुआ दीपेश का यह संघर्ष भरा सफर
IIT दिल्ली से ग्रेजुएट दीपेश केडिया ने साल 2018 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 36वीं रैंक के साथ टॉप किया. इसके पहले के प्रयास में वे IPS पद के लिए चयनित हुए थे. जानते हैं उनसे उनकी सफलता का सीक्रेट.
Success Story Of IAS Topper Deepesh Kedia: दीपेश ने साल 2018 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 36वीं रैंक के साथ टॉप किया था. उन्हें यह सफलता चौथे प्रयास में मिली. हालांकि इसके पहले साल 2017 के प्रयास में भी वे चयनित हुए थे पर उनकी रैंक आयी थी 221. इस रैंक के अंतर्गत उन्हें आईपीएस सेवा एलॉट हुई थी. जिस समय 2018 परीक्षा का रिजल्ट आया उस समय वे आईपीएस की ट्रेनिंग ले रहे थे. दीपेश ने तीसरे प्रयास में सफलता हासिल कर ली थी लेकिन उनके मन में हमेशा से आईएएस पद था इसलिए उन्होंने फिर से प्रयास किया जब तक उन्हें मनमाफिक आईएएस पद नहीं मिल गया.
दीपेश का यूपीएससी सफर -
दीपेश ने 2013 में ग्रेजुएशन करने के बाद एक कंपनी में करीब डेढ़ साल तक काम किया. इसी दौरान कुछ कारणों से उन्होंने यूपीएससी के क्षेत्र में जाने का मन बनाया और 2015 फरवरी में तैयारी शुरू कर दी. इस साल दिसंबर में प्री था. दीपेश का प्रदर्शन अच्छा रहा और उन्होंने साल 2015 और 2016 में इंटरव्यू दिया पर चयनित नहीं हुए. साल 2017 में उन्हें पहली सफलता मिली जब 221 रैंक के साथ उनका चयन हुआ. इस साल उन्हें मिला आईपीएस पद पर दीपेश को संतुष्टि नहीं हुई और उन्होंने फिर से अटेम्पट दिया. आज जानते हैं दीपेश से यूपीएससी की परीक्षा में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन गलतियों से बचना चाहिए.
ऑप्शलन को लेकर रहें सजग –
दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में दीपेश कहते हैं कि यूपीएससी सीएसई परीक्षा में सफल होने के लिए ऑप्शनल का विशेष महत्व है इसलिए इसे सोच-समझकर चुनें. आपको साइंस ऑप्शनल चुनना है या आर्ट्स यह आपके ऊपर है पर विषय वही चुनें जिसमें आपको रुचि हो और जिसमें आपके स्कोर करने के अच्छे चांसेस हों. कौन सा विषय ट्रेंड में है, इससे ज्यादा जरूरी है कि आपकी पकड़ किस विषय में है. चुनाव का आधार इसे बनाएं और चूंकि यह बहुत ही अहम हिस्सा है तैयारी का इसलिए इसे बराबर महत्व दें. अपने चार साल के यूपीएससी के सफर में दीपेश ने हमेशा केमिस्ट्री को ही ऑप्शनल के रूप में चुना क्योंकि उन्हें लगता था कि उनकी केमिस्ट्री पर अच्छी पकड़ है.
जो भी पढ़ें लिखकर पढ़ें –
साक्षात्कार में दीपेश आगे कहते हैं कि जिस भी स्ट्रेटजी से आप तैयारी करें पर राइटिंग प्रैक्टिस को उसमें जरूर शामिल करें. केवल रीडिंग कर लेने से भले ही रीडिंग कितनी ही बार की जा रही हो, बात नहीं बनती. चाहें तो नोट्स बनाएं या आंसर लिख-लिखकर देखें पर किसी भी फॉर्म में राइटिंग प्रैक्टिस बहुत जरूरी है. दीपेश ने पहले मेन्स की तैयारी शुरू की थी और उनका मानना है कि पहले मेन्स और ऑप्शनल की तैयारी करें और जब प्री परीक्षा के लिए दो या तीन महीने रह जाएं तो केवल प्री पर फोकस करें. क्योंकि प्री के बाद मेन्स के लिए समय नहीं मिलता.
यहां देखें दीपेश द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू
दीपेश की सलाह –
अपने अटेम्पट की गलतियों के बारे में दीपेश का मानना है कि उनकी पिछले प्रयासों की सबसे बड़ी गलती यह थी कि उन्होंने टेस्ट सीरीज ज्वॉइन नहीं की. इससे वे जान ही नहीं पाते थे कि उनके आंसर्स में क्या कमी है. उन्हें लगता था कि वे बेस्ट आंसर लिखते हैं जबकि ऐसा नहीं था. उनकी प्रिपरेशन एक प्रकार से आइसोलेटेड हो गई थी जोकि बहुत गलत है. दीपेश कहते हैं कि टेस्ट सीरीज ज्वॉइन करें और लिखकर देखें कि आपके आंसर्स में कहां कमी है. उन्हें समय रहते दूर करें. वे इस तैयारी के समय किसी न किसी ग्रुप को ज्वॉइन करने की भी सलाह देते हैं. वे कहते हैं इससे आप दूसरों से अपने आंसर्स डिस्कस कर पाएंगे और उनका व्यू भी जान पाएंगे. इसलिए अपनी तैयारी के दौरान दुनिया से बिलकुल कटे न रहें. दूसरे जब आपको देखते हैं तो बेहतर तरीके से आपकी कमियां बता पाते हैं, इसलिए दूसरे कैंडिडेट्स के टच में रहें.
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