IAS Success Story: डेंटिस्ट से IAS ऑफिसर तक, आज जानते हैं कैसा रहा UPSC में डॉ. नेहा का सफर
साल 2018 में डॉ. नेहा ने महिलाओं में चौथी और ऑल इंडिया रैंक चौदहवीं के साथ यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाई थी. जानते हैं डॉ. नेहा से सफलता के टिप्स.
Success Story Of IAS Topper Dr. Neha Jain: पहले डेंटिस्ट और बाद में आईएएस परीक्षा, नेहा ने जिस भी क्षेत्र में कदम रखा वहां अपना परचम फहराया. हालांकि नेहा या कहें डॉ. नेहा के लिए यह सफर आसान नहीं था. उन्होंने अपनी इस जर्नी में बहुत से उतार-चढ़ाव देखे पर कभी हार नहीं मानी. खासकर यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के समय उन पर दोहरी जिम्मेदारी थी क्योंकि वे साथ ही में सरकारी अस्पताल में डेंटिस्ट्री की प्रैक्टिस भी कर रही थी और उनका बहुत सा समय नौकरी पर ही निकल जाता था. लेकिन नेहा कभी इस बात से नहीं घबरायी कि उनके पास और कैंडिडेट्स की तुलना में टाइम कम होता है या नहीं होता. जितना भी समय उन्हें मिलता था वे उसका भरपूर प्रयोग करती थीं और उपलब्ध समय में पूरा फोकस स्टडीज पर करती रहीं. आज जानते हैं नेहा से उनके इस सफर के बारे में.
सिविल सेवा से था एक अलग सा आकर्षण –
हालांकि नेहा ने डेंटिस्ट्री की फील्ड ज्वॉइन कर ली थी पर सिविल सेवा का आकर्षण उनके मन में हमेशा से था. वे कहती हैं इस सेवा में छोटी सी उम्र में लीडरशिप मिलना और इस सर्विस की डाइवर्सिटी और प्रेस्टीज कुछ ऐसे पार्ट हैं जो मुझे हमेशा इस ओर खींचते थे. डेंटिस्ट की पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी के दौरान नेहा ने सोचा कि उन्हें सिविल सेवा में भाग्य आजमाना चाहिए. नेहा के कई सारे फ्रेंड्स पहले से ही सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे थे इसलिए नेहा को शुरुआती दौर में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. किताबें चुनना हो या सही कोचिंग या कौन सी वेबसाइट, उन्होंने आसानी से सब सेलेक्ट कर लिया. नेहा को इस बात का अंदाजा हमेशा से था कि इस परीक्षा में कुछ भी सर्टेन नहीं होता शायद इसिलिए उन्होंने अपना पहला कैरियर यानी डेंटिस्ट का काम और नौकरी कभी नहीं छोड़ी. नेहा का पहली बार में सेलेक्शन नहीं हुआ पर दोबारा में उन्होंने और मेहनत की और न केवल सेलेक्ट हुईं बल्कि टॉपर भी बनीं.
ऐस्से, जनरल स्टडीज और ऑप्शनल पर किया फोकस –
नेहा बताती हैं कि वे परीक्षा की तैयारी की शुरुआत में ही एक बात समझ चुकी थी कि इस परीक्षा में सफल होने के लिए उन्हें ऐस्से, जनरल स्टडीज और ऑप्शनल पर अतिरिक्त ध्यान देना होगा. इनके लिए उन्होंने शुरू से ही कमर कसी हुई थी. इसके साथ ही उन्होंने ऑनलाइन सोर्सेस का भी खूब इस्तेमाल किया साथ ही अपने ऑप्शनल लॉ के लिए कुछ समय कोचिंग भी की. नेहा के पिताजी और मामा जी लॉ के क्षेत्र से ही थे इसलिए उन्हें उन दोनों की ही खूब मदद मिली. यहां नेहा एक बात पर ध्यान देने के लिए कहती हैं कि चुनाव से पहले खूब सोच लें कि कौन सी वेबसाइट या किसका स्टडी मैटीरियल चुनना है पर एक बार सेलेक्शन करने के बाद अपनी उस साइट या कोचिंग पर अंत तक पूरा विश्वास रखें. न तो किसी के बहकावे में आएं न ही मन में यह ख्याल लायें कि आपके पास कम अच्छा मैटीरियल है औरों के पास इससे अच्छा है. नेहा ने शुरू से अंत तक एक जानी-मानी वेबसाइट को चुना और उसी से करेंट अफेयर्स जोकि रोज के रोज आते थे, पढ़े. ऐसा ही उन्होंने बाकी स्टडी मैटीरियल जो बाहर से अरेंज होता था के साथ किया.
कम किताबें, ज्यादा रिवीजन –
दूसरी जरूरी सलाह नेहा देती हैं कि किताबें एक या दो ही रखें पर उन्हें कम से कम चार या पांच बार पढ़ें. उस किताब के अंदर क्या है आपको सब पता होना चाहिए. जब तैयारी पूरी हो जाए तो ऑनलाइन मॉक टेस्ट दें ताकि अपनी गलतियों के साथ ही यह भी जान पाएं कि कांपटीशन में आप कहां स्टैंड कर रहे हैं क्योंकि वहां बहुत से स्टूडेंट्स टेस्ट देते हैं, जिनके बीच आपको आंका जाता है. नेहा कहती हैं जिस फोरम के अंतर्गत वे उत्तर लिखती थी उन्होंने पहले नेहा के आंसर्स को सबसे खराब की श्रेणी में रखा फिर नेहा ने उसमें सुधार किया और एक महीने के अभ्यास के बाद उनके उत्तर श्रेष्ठ उत्तरों की श्रेणी में आ गए. नेहा आंसर राइटिंग को भी बहुत महत्व देती हैं. वे कहती हैं मेन्स के पहले खूब आंसर राइटिंग प्रैक्टिस करें. मॉक टेस्ट दोनों ही परीक्षाओं के पहले जरूर दें.
नेहा की सलाह –
नेहा कहती हैं अक्सर कैंडिडेट्स उनसे पूछते हैं कि वे नौकरी के साथ समय कैसे मैनेज करती थी. इसके जवाब में नेहा कहती हैं कि मुझे लगता है हर किसी की जरूरत अलग होती है पर चार से पांच घंटे भी अगर फोकस्ड होकर पढ़ा जाए तो काफी होता है. वे नौकरी से जो समय बचता था उसी में पढ़ती थी लेकिन वीकेंड्स पर आठ से दस घंटे का समय पढ़ाई पर ही खर्च करती थी. साथ ही सुबह काम पर जाने के पहले जब उनका माइंड फ्रेश होता है उस समय में कठिन हिस्सों को तैयार करती थी और कम्यूट करने के समय को न्यूज पेपर या ऑनलाइन स्टडी मैटीरियल पढ़ने में निकालती थी. इससे वे समय का भरपूर प्रयोग कर पाती थी. नेहा कहती हैं कि अगर ठान लो तो मुश्किल कुछ भी नहीं. अपने पूरे सफर में पॉजिटिव रहें और सबसे जरूरी बात खुद पर विश्वास रखें भले हर कोई कहे कि आपसे नहीं होगा.
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