Success Story Of IAS Topper Farman Ahmad Khan: यूपीएससी सीएसई परीक्षा देने वालों में से कुछ को जहां जल्दी सफलता मिल जाती है, वहीं कुछ के लिए यह जर्नी कुछ ज्यादा ही लंबी हो जाती है. इस दौरान धैर्य बनाए रखना और बार-बार असफलता का मुंह देखकर भी निराश न होना आसान नहीं होता. अधिकतर केसेस में कैंडिडेट इस बात के लिए प्रिपेयर होता है कि जल्दी सफलता नहीं मिलेगी तो भी वह प्रयास जारी रखेंगे पर सवाल है कि कितने समय तक कोई भी हिम्मत बनाए रख सकता है. एक या दो बार असफल होने पर व्यक्ति मैनेज कर लेता है पर इसके बाद धीरज जवाब दे ही जाता है. हालांकि फरमान उन कुछ चुनिंदा कैंडिडेट्स में से हैं जिन्होंने एक दो बार नहीं पूरे पांच बार असफल होने के बावजूद कोशिशें बंद नहीं की. अंततः उनकी सालों की मेहनत रंग लाई और वे अपने छठवें प्रयास में सेलेक्ट हो गए. दिल्ली नॉलेज ट्रैक से फरमान ने शेयर की वे गलतियां जो उन्होंने की और वे नहीं चाहते कि कोई और कैंडिडेट करे.


ग्रेजुएशन के बाद शुरू कर दी थी तैयारी –


फरमान ने ग्रेजुएशन के बाद ही तय कर लिया था कि उन्हें यूपीएससी परीक्षा देनी है इसलिए वे तैयारी के लिए दिल्ली के जामिया कोचिंग चले गए थे. इस रेजिडेंशियल कोचिंग से उन्होंने साल 2014 से 2019 तक के अटेम्पट दिए. यहां फाइनेंशियल बर्डन न होने से उन्हें बहुत राहत मिली थी.


परीक्षा को लेकर फरमान कैंडिडेट्स की पहली गलती मानते हैं कि वे प्री परीक्षा के लिए बिना तैयारी के चले जाते हैं. वे कहते हैं कि आधी तैयारी के साथ पेपर देने जाना कोई अक्लमंदी नहीं है. यह सोचिए कि इससे आपके कीमती अटेम्पट्स बर्बाद हो रहे हैं, इसलिए ऐसा कतई न करें. जब तैयारी पक्की हो जाए तभी परीक्षा देने जाएं.


देखें  फरमान द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू



टेस्ट पेपर से करें खुद को टेस्ट –


फरमान अगली जरूरी बात मानते हैं टेस्ट पेपर्स को. वे कहते हैं कि टेस्ट पेपर देकर आप खुद को परख पाते हैं कि आपका कौन सा एरिया कमजोर है और उसी अनुसार उसकी कमी दूर कर पाते हैं. जैसे आपने पेपर दिया और देखा कि हिस्ट्री में आप स्कोर नहीं कर पाए तो आपकी आगे की रणनीति कुछ इस प्रकार बनेगी कि आप इस विषय पर बाकी की तुलना में ज्यादा ध्यान देंगे. इसी तरह खुद को टेस्ट करते चलें और जरूरत के मुताबिक वीक एरियारज पर काम करें.


फरमान कहते हैं कि रही गलती की बात तो गलती हर कोई करता है पर जरूरी यह है कि आप उन गलतियों से सीखें. उन्होंने भी अपनी सात साल की जर्नी में इतना कुछ गलत किया पर उससे सीख ली और आगे बढ़े.


कोचिंग को लेकर असमंजस –


फरमान बातचीत को आगे बढ़ाते हुए कोचिंग पर आते हैं. वे कहते हैं कभी कैंडिडेट्स को लगता है कि कोचिंग नहीं की तो गलती की और कभी लगता है कि करके भी सब बेकार ही हुआ. इस बारे में उनकी राय यह है कि अगर आपके पास गाइडेंस है और आप अनुशासित हैं तो बिना कोचिंग के भी काम चल सकता है. पर आपके पास कोई कुछ बताने वाला नहीं है या आपका कोई मेंटर नहीं है तो बेहतर होगा कि कोचिंग लेकर सही दिशा की ओर बढ़ें.


अगली जरूरी बात है बुक लिस्ट की. फरमान कहते हैं कि सफलता के लिए सही किताबों का चुनाव बहुत जरूरी है. इसके लिए पहला कदम है एनसीईआरटी की किताबें. फरमान ने शुरू में इन्हें स्किप किया था पर असफल होने पर वापस इन पर आ गए और जीरो से शुरुआत की. इसलिए सीधे बड़ी किताबों पर न कूदें और बेसिक्स क्लियर करते हुए ही आगे बढ़ें.


फरमान की सलाह –


फरमान अंत में यही कहते हैं कि प्री, मेन्स और इंटरव्यू की तैयारी इंटीग्रेटेड होती है, इन्हें साथ ही तैयार करें. चौबीस घंटे केवल पढ़ाई ही न करते रहें और अपनी एक्टिविटीज को भी टाइम दें. पहली बार या दूसरी बार में भी सेलेक्शन न हो तो हिम्मत न हारें. अपनी क्षमता के हिसाब से अपने लिए पढ़ाई के घंटे तय करें, किसी की कॉपी न करें भले ही वह टॉपर क्यों न हो. अपने हिसाब से अपने लिए शेड्यूल बनाएं पर जरूर बनाएं, यह सफलता के लिए आवश्यक है. बाकी यूपीएससी में पास होने के लिए कैंडिडेट के अंदर जज्बा, मोटिवेशन और कभी हार न मानने वाला एटिट्यूड होना चाहिए तो सफलता जरूर मिलती है. फरमान खुद तीन बार इंटरव्यू स्टेज तक पहुंचने के बाद अगली बार प्री भी पास नहीं कर पाए थे. यह मौका बहुत द्रवित कर देने वाला था पर उन्होंने खुद को संभाला और अंततः मंजिल तक पहुंचे.


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