(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
IAS Success Story: दो बार हुए असफल पर नहीं मानी हार, ऐसे बने फज़लुल हसीब UPSC टॉपर
साल 2017 में अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में टॉप करने वाले फज़लुल मानते हैं कि आईएएस जैसा बड़ा पद पाने के लिए उतना ही बड़ा त्याग भी करना पड़ता है.
Success Story Of IAS Topper Fazlul Haseeb: यूपीएससी परीक्षा का नेचर कुछ ऐसा होता है कि इसके बारे में कुछ भी प्रिडिक्ट नहीं किया जा सकता. जो कैंडिडेट पहले परीक्षा के अंतिम चरण तक पहुंच चुके हैं हो सकता है अगली बार प्री भी पास न कर पाएं. कई बार कैंडिडेट पीआई राउंड तक पहुंचकर भी सेलेक्ट नहीं होते. कुल मिलाकर इस परीक्षा के विषय में कुछ भी जोरदारी से नहीं कहा जा सकता. परीक्षा देने वाले कैंडिडेट्स को हर रिजल्ट के लिए तैयार रहना होता है. इस बारे में फज़लुल का मत एकदम साफ है. वे कहते हैं यह परीक्षा इतनी बड़ी है और इसका परिणाम इतना कीमती है कि जो मेहनत या त्याग आप इसे पास करने के लिए करते हैं उसे ज्यादा नहीं कहा जा सकता. दो या तीन साल की मेहनत से अगर आपको इतनी बड़ी सेवा मिल जाती है तो अपने दो-तीन साल देने में हर्ज कैसा. वे कहते हैं अगर आप शुरू से अपने दिमाग में गोल को लेकर क्लियर रहेंगे तो परीक्षा की तैयारी के दौरान डिमोटिवेटेड फील नहीं करेंगे. या कभी ऐसे पल आते भी हैं तो आप उनसे उबर जाएंगे. आज जानते हैं फज़लुल से की कैसे करें परीक्षा की तैयारी.
सबकी अपनी स्ट्रेटजी होनी चाहिए –
फज़लुल कहते हैं हर कोई तैयारी के लिए अपना तरीका अपनाता है और स्ट्रटजी कभी दूसरों के अनुभवों पर आधारित होनी भी नहीं चाहिए. आपको जैसे ठीक लगे वैसे तैयारी करिए. वे अपना उदाहरण देते हुए कहते हैं कि मैंने कभी किसी विषय की बहुत किताबें नहीं पढ़ी. अपने रिसोर्स हमेशा सीमित रखे और कभी दूसरों की नकल नहीं की. कुछ प्रचलित और बढ़िया किताबें उठाईं और अंत तक उन्हीं से तैयारी की. बार-बार उनको रिवाइज किया और जितना संभव हुआ मॉक टेस्ट दिए. किताबें चुनने के मामले में किसी को कॉपी न करें. हो सकता है कोई बहुत सी किताबों को पढ़कर संतुष्ट होता हो तो उन्हें वैसा करने दें आप अपनी जरूरत के अनुसार ही सेलेक्शन करें.
पिछले अटेम्पट की गलती –
फज़लुल का सेलेक्शन तीसरी बार में हुआ. पहले दो अटेम्पट में वे सेलेक्ट नहीं हुए थे. अपने 2016 के दूसरे अटेम्पट के बारे में फज़लुल मानते हैं कि उनकी सबसे बड़ी गलती थी राइटिंग प्रैक्टिस न करना. उन्होंने बताया की दूसरे अटेम्पट में मेंस में उनका पेपर छूट गया था. अगर कैंडिडेट प्रैक्टिस नहीं करते हैं तो पेपर वाले दिन उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. अपने दूसरे अटेम्पट से शिक्षा लेकर फज़लुल ने रोज पांच आंसर्स लिखने का अभ्यास किया. इससे उनकी स्पीड भी बढ़ी.
जहां तक बात मॉक टेस्ट्स की है तो फज़लुल इन्हें बहुत ही जरूरी मानते हैं. वे कहते हैं इससे कैंडिडेट परीक्षा जैसे माहौल में पेपर सॉल्व करता है और उसके मन से एग्जाम का डर निकल जाता है. साथ ही उसे अपनी कमियां भी पता चल जाती हैं. फज़लुल एक बात पर और ध्यान देने के लिए कहते हैं कि केवल मॉक टेस्ट्स ही न दें उनके आंसर्स एनालाइज भी करें. कुछ समय निकालकर देखें कि जो आपने गलत उत्तर लिखे हैं उनके सही आंसर क्या हैं. ऑनलाइन बहुत से सोर्स हैं उनकी मदद लें और शुरू से लेकर अंत तक एक ही सोर्स पर टिके रहें. फज़लुल कहते हैं कौन सी किताब, कौन सी कोचिंग, कौन सी वेबसाइट या ब्लॉग आपको सेलेक्ट करना है, यह आपका निर्णय है लेकिन एक बार चुनने के बाद उस पर भरोसा करें, इधर-उधर न भागें. सभी प्रचलित सोर्स अच्छे हैं और आपका सेलेक्शन केवल इन पर निर्भर नहीं करता.
अंत में फज़लुल केवल इतना कहते हैं कि अगर जीवन के दो या तीन साल देकर बाकी की लाइफ बन सकती है तो इस त्याग को करने में कोई बुराई नहीं. बार-बार हार मिलने के बावजूद रुकें नहीं, अच्छी चीजें आराम से नहीं मिलती. प्रयास करते रहें, सफलता देर से सही पर मिलेगी जरूर.
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