Success Story Of IAS Topper Garima Agrawal: यूपीएससी परीक्षा पास करने वाले कैंडिडेट्स में हर तरह के स्टूडेंट होते हैं. कोई पढ़ाई में एवरेज होता है तो कोई ब्रिलिएंट. हालांकि किसी स्टूडेंट का बैकग्राउंड इस क्षेत्र में उसकी सफलता तय नहीं करता लेकिन जब हम इस क्षेत्र के विभिन्न टॉपर्स पर नजर डालते हैं तो गरिमा अग्रवाल जैसे कुछ कैंडिडेट्स भी सामने आते हैं. गरिमा के बारे में जितना कहा जाए कम है. वे हमेशा से एक बेहतरीन स्टूडेंट रहीं और स्कूल लाइफ से लेकर यूपीएससी टॉपर बनने तक उन्होंने जिस क्षेत्र में कदम रखा, वहां सफलता पायी. यूपीएससी के दो प्रयासों में से दोनों में सफल होने वाली गरिमा इसके पहले आईआईटी से ग्रेजुएशन भी कर चुकी हैं. यानी एक आईआईटी ग्रेजुएट फिर आईपीएस और अंततः आईएएस. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में गरिमा ने यूपीएससी जर्नी का अपना अनुभव शेयर किया.


मिनिमम सोर्सेस, मैक्सिमम रिवीजन –


गरिमा कहती हैं कि सबसे पहले तो इस बात को दिमाग में रख लें कि प्री, मेन्स और इंटरव्यू की तैयारी अलग-अलग न करके इंटीग्रेटेड वे में करें. जब किसी विषय को उठाएं तो देखें कि इससे प्री में अगर ऐसा प्रश्न आता है तो मेन्स में कैसा आएगा. यानी जब एक विषय तैयार करके हटें तो वह प्री और मेन्स दोनों के लिहाज से तैयार होना चाहिए.


प्री में सफलता के लिए मॉक टेस्ट्स का भी बहुत महत्व है. गरिमा का मानना है कि इससे एक तो अभ्यास हो जाता है दूसरा समय के अंदर पेपर हल करने की कोशिश से स्पीड भी बढ़ जाती है. वे अपनी तैयारी के लिए टाइम-टेबल को भी बहुत महत्व देती हैं. हर महीने की शुरुआत में उनके हाथ में टाइम-टेबल होता था जो बताता था कि पूरे महीने उन्हें क्या पढ़ना है. इसके साथ ही बाकी टॉपर्स की तरह ही गरिमा भी मिनिमम सोर्स से मैक्सिमम रिवीजन करने के फंडे पर विश्वास करती हैं. वे कहती हैं कि किताबें सीमित रखें पर उनसे बार-बार रिवाइज करें.


यहां देखें गरिमा अग्रवाल द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू - 




रिवीजन वाया टेस्ट  –


गरिमा बात को आगे बढ़ाते हुए कहती हैं कि पहले तो तैयारी के लिए हॉलिस्टिक अपरोच अपनाएं लेकिन जब प्री परीक्षा पास आ जाए तो केवल उसी पर ध्यान देना शुरू कर दें. चूंकि यह एक ऐसा हर्डल है जो पार नहीं हुआ तो आगे की तैयारी का कोई फायदा नहीं. हालांकि यह भी दिमाग में रखें कि अगर पहले से तैयारी नहीं शुरू की तो प्री पास भी हो गया तो मेन्स के लिए जीरो से तैयारी शुरू करने का समय नहीं मिलता. इसलिए एक बैलेंस्ड वे में तैयारी को आगे बढ़ाएं.


बात रिवीजन की आती है तो गरिमा यह भी कहती हैं कि वे रिवाजन वाया टेस्ट को रिवाइज करने का सही तरीका मानती हैं. वे कहती हैं कि टेस्ट देकर खुद को परखें कि आपकी तैयारी कैसी हुई है और कहां पर कमी रह गई है. फिर उस कमी को समय रहते दूर करें. जैसे गरिमा यह तरीका अपनाती थी कि वे पेपर देने के बाद देखती थी कि किस विषय में अंक नहीं आए हैं, फिर उन्हीं विषयों को अलग से तैयार करके फिर पेपर देती थी. इस प्रकार उनके वीक हिस्से तैयार हो जाते थे.


 


गरिमा का अनुभव –


अंत में गरिमा तीन चीजों पर ध्यान देने की बात कहती हैं. वे बताती हैं कि धैर्य और निरंतरता इस परीक्षा में सफलता पाने के लिए सबसे जरूरी एलिमेंट हैं. जिस दिन लगे कि बिलकुल नहीं कर पाएंगे उसी दिन करके दिखाएं और देखें कि कैसे आपके अंदर एक नये तरह का साहस पैदा होता है. इनके साथ ही जरूरी है सपोर्ट सिस्टम का होना. कोई भी कैंडिडेट कभी न कभी निराश जरूर होता है इसलिए ऐसे लोगों से बात जरूर करें जो आपको मोटिवेट करते हों, फिर चाहे वह फैमिली हो या फ्रेंड्स. इनका साथ इस सफर में बहुत काम आता है. अंत में बस यही कि अगर आप सोचते हैं कि आप कर सकते हैं या आप सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते तो आप दोनों ही तरह से सही हैं. यानी सफलता या असफलता आपके दिमाग में होती है. अगर इंसान ठान लें तो कुछ भी हासिल कर सकता है.


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