बिहार के हैं गौहर –
गौहर हसन मुख्यतः बिहार के रहने वाले हैं और उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई यहीं हुई. क्लास दसवीं पास करने के बाद वे दिल्ली आ गए और यहां जामिया मिलिया इस्लामिया से कंप्यूटर में डिप्लोमा हासिल किया. इसके बाद उन्हें तुरंत एक कंपनी में नौकरी मिल गई और गौहर ने उधर का रुख कर लिया. नौकरी के साथ ही उन्होंने जामिया में ही ईवनिंग क्लासेस में बीई में दाखिला लिया और ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने लगे. इसी दौरान उन्हें कुछ वजहों से सीएसई परीक्षा देने का ख्याल आया और वे ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष से तैयारी में जुट गए. कुछ समय उन्होंने नौकरी के साथ तैयारी की लेकिन टाइम मैनेजमेंट न हो पाने के कारण जॉब छोड़ दी और पूरी तरह से तैयारी करने लगे.
एक के बाद एक असफलता मिली –
गौहर का यूपीएससी सफर आसान नहीं था. अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करने के बावजूद वे बार-बार इस परीक्षा में असफल हो रहे थे. अगर उनके असफलता के सफर के बारे में बताना हो तो वह कुछ ऐसा रहा. पहले प्रयास में गौहर का प्री में भी नहीं हुआ लेकिन इसके बाद के चारों अटेम्प्ट्स में वे प्री परीक्षा पास कर गए. अगले दो प्रयासों में वे मेन्स पास नहीं कर पाए. चौथे प्रयास में इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे लेकिन सूची में नाम नहीं आया. हालांकि गौहर ने बार-बार मिल रही असफलताओं से हिम्मत नहीं हारी और अंततः पांचवें प्रयास में 137वीं रैंक के साथ सेलेक्ट हुए और आईपीएस पद से नवाजे गए. गौहर की यह जर्नी काफी लंबी रही और उन्होंने इस दौरान बहुत कुछ सीखा.
दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में गौहर हसन ने अपनी इस जर्नी के बारे में खुलकर बात की
सीमित सोर्स और मल्टीपल रिवीजन –
गौहर सबसे जरूरी सलाह कैंडिडेट्स को यही देते हैं कि अपने सोर्स सीमित रखें. एक विषय को सात किताबों से पढ़ने के बजाय एक किताब से सात बार पढ़ेंगे तो लाभ मिलेगा. वे कहते हैं कि इतनी नॉलेज इकट्ठी करके आप करेंगे भी क्या आपको किसी एक विषय पर बहुत भी लिखना है तो दो या ढ़ाई पन्ने. उतना मैटीरियल एक सोर्स से मिल जाता है. गौहर आगे कहते हैं कि इन्हीं किताबों को बार-बार पढ़ें और सिलेबस के हिसाब से जरूरी विषय एकदम रट लें. वे यहां तक कहते हैं कि सिलेबस के हिसाब से ही तैयारी करें और अतिरिक्त हिस्से को छोड़ दें.
न्यूज पेपर पर पूरा फोकस करें और इसे नियम से जरूर रोज़ पढ़ें. पेपर से लेकर बुक्स तक के जहां तक संभव हो नोट्स बना लें ताकि अंत में रिवीजन में आसानी रहे. जहां तक किताबों की बात है तो गौहर ने परीक्षा की तैयारी के लिए स्टैंडर्ड बुक्स ही पढ़ी थी.
आंसर राइटिंग और टेस्ट सीरीज पर करें फोकस –
अंत में गौहर यही कहते हैं कि प्री परीक्षा के लिए जहां खूब मॉक टेस्ट देना फायदेमंद रहता है वहीं मेन्स की तैयारी के लिए आंसर राइटिंग बहुत जरूरी मानी जाती है. इसलिए प्री परीक्षा के पहले खूब टेस्ट दें और अपनी गलतियों को समय रहते पकड़ें और दूर करें. इसी प्रकार जब तैयारी एक लेवल पर पहुंच जाए तो आंसर लिखना शुरू करें. ये आंसर ही आपको अंच्छे नंबर दिलाएंगे. दरअसल परीक्षा के लिए पढ़ाई तो हर कोई करता है पर उस पढ़े हुए को लिख पाना हर किसी के वश की बात नहीं होती. इसलिए खूब आंसर लिखें और उन्हें अपने टीचर्स से चेक भी कराएं. ताकि गलतियां समय रहते पकड़ी जा सकें. दोस्तों से उत्तरों की चर्चा करें और उनमें क्वालिटी एडिशन करें. सही सोर्सेस के साथ, कड़ी मेहनत और प्रॉपर स्ट्रेटजी के दम पर आप भी इस परीक्षा में सफलता हासिल कर सकते हैं.
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