Success Story Of IAS Topper Gunjan Singh: उत्तर प्रदेश, कानपुर की गुंजन सिंह हमेशा से इस क्षेत्र में नहीं आना चाहती थीं लेकिन अपनी इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने ग्राउंड लेवल पर कुछ ऐसी समस्याएं देखी कि उनका मन किया सिविल सर्विस के क्षेत्र को ज्वॉइन करके अगर समाज के जरूरतमंद तबके के लिए कुछ भी कर सकें तो करने का. इसी ख्याल के साथ गुंजन ने अपनी लगी लगाई बढ़िया सैलरी की नौकरी छोड़ी और लग गईं सिविल सेवा की तैयारी में. अपने इस सफर में उन्होंने प्रेरणा ली अपनी मां से जोकि एक शिक्षिका हैं. गुंजन को यह सफलता तीसरी बार में मिली. यूपीएससी परीक्षा के पहले उन्होंने आईआईटी रुड़की से ग्रेजुएशन भी किया है. इंजीनियरिंग के दौरान वे एनएसएस के लिए भी काम करती थी. उस बीच कई बार पास के भंगेरी गांव में बच्चों को पढ़ाने गईं. यहां उन्होंने कई सारी समस्याएं देखी और उनका मन किया इन्हें किसी प्रकार दूर करने का. यहीं से उन्हें सिविल सेवा का ख्याल आया. गुंजन ने इसके बाद एक साल सॉफ्टवेयर डेवलेपर के रूप में काम भी किया फिर नौकरी छोड़ परीक्षा की तैयारी करने लगी.
तीसरे अटेम्पट में हुआ चयन –
गुंजन का सेलेक्शन तीसरे प्रयास में हुआ है. पहले में वे प्री में भी सेलेक्ट नहीं हुईं थी. दूसरे में इंटरव्यू तक पहुंची पर कुछ नंबरों से रह गईं. तीसरे में न केवल उनका सेलेक्शन हुआ बल्कि उन्होंने टॉप भी किया. अपनी तैयारी के विषय में बात करते हुए गुंजन कहती हैं कि सबसे जरूरी है अपने लिए अपने हिसाब से स्ट्रेटजी बनाना. टॉपर्स के इंटरव्यू देखें, ब्लॉग देखें सबकी राय लें पर प्लानिंग अपनी क्षमताओं के अनुसार करें. वे कहती हैं यूपीएससी जैसी परीक्षा में मोटिवेशन बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है कि आपके अंदर अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण हो. आपको पता हो कि आप रियल में क्या पाना चाहते हैं और वह मकसद इतना खास होना चाहिए कि भले कितनी भी मेहनत, कितना भी समय लगे पर आप हिम्मत न हारें. यह प्रक्रिया बहुत लंबी है, लगभग हर कोई डिमोटिवेट हो ही जाता है. ऐसे में अपने लक्ष्य पर निगाह रखकर तैयारी करते जाएं सफलता जरूर मिलेगी.
अपने रिर्सोस पर रखें भरोसा –
गुंजन तैयारी के विषय में बात करते हुए कहती हैं कि आप जो भी किताबें या ऑनलाइन रिर्सोस अपने लिए चूज करें उन्हीं पर अंत तक निर्भर रहें. कभी यह न सोचें कि किसी और के पास जो किताबें हैं, वे ज्यादा अच्छी हैं. इसके साथ ही दसूरा अहम पहलू है कि एक ही किताब को दस बार पढ़ना ज्यादा फायदेमंद है बजाय चार किताबों को दो या तीन बार पढ़ना. गुंजन कहती हैं प्रश्न वही होते हैं बस अपरोच बदल जाती है. आपको किसी भी प्रश्न को हल करने के पहले समझना पड़ेगा कि आखिर वह पूछ क्या रहा है. कभी सेम प्रश्न रिपीट नहीं होते, कुछ न कुछ बदलता रहता है. आपको अभ्यास से यह सीखना पड़ेगा कि अगर प्रश्न को उन्नीस-बीस बदल दिया जाए तो कैसे उसका जवाब लिखना है. इसके लिए खूब मॉक टेस्ट दें. जब तैयारी कुछ हद तक पूरी हो जाए तो टेस्ट सीरीज ज्वॉइन कर लें. इससे आपकी आंसर राइटिंग की भी प्रैक्टिस होगी. आंसर राइटिंग को भी गुंजन बहुत अहम मानती हैं. वे कहती हैं उनके दूसरे अटेम्पट में उन्होंने यह गलती की थी और देर से आंसर राइटिंग शुरू की. गुंजन की अगली सलाह है कि टॉपर्स से शिक्षा लें पर अपना टाइम-टेबल आदि अपनी क्षमताओं के अनुसार बनाएं. अंत में वे यही कहती हैं कि अगर प्रयास ठीक से करेंगे और रास्ते में आने वाली अड़चनों से घबराएंगे नहीं तो एक दिन जरूर सफल होंगे.
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