Success Story Of IAS Topper Himanshu Jain: हरियाणा के हिमांशु जैन ने साल 2019 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक चार के साथ टॉप किया था. यह उनका दूसरा प्रयास था. पहले प्रयास में हिमांशु प्री परीक्षा भी क्लियर नहीं कर पाए थे. हिमांशु हरियाणा के एक छोटे से गांव के हैं और यह साबित करते हैं कि यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए आपका किसी विशेष बैकग्राउंड से होना जरूरी नहीं. एक साधारण पृष्ठभूमि वाला कैंडिडेट भी मेहनत करने पर सफल हो सकता है.


दरअसल यूपीएससी को आपके बैकग्राउंड, पिछली परीक्षाओं के नंबर, आपकी आर्थिक स्थिति आदि किसी से मतलब नहीं होता. आप जो लिखते हैं उसके आधार पर अंक पाते हैं और जो बोलते हैं उसके आधार पर मेरिट बनती है. कोई भी कैंडिडेट किसी भी बैकग्राउंड का हो, इस एग्जाम को क्लियर कर सकता है. हिमांशु जैन ने कैसे दूसरे प्रयास में परीक्षा क्लियर की, इस बारे में बात की उन्होंने दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में.


बचपन का सपना नहीं था आईएएस बनना


हिमांशु कहते हैं कि वे उन कैंडिडेट्स में से नहीं आते जो हमेशा से आईएएस बनने का सपना देखते हैं. इस सेवा के बारे में पहली बार ख्याल उन्हें ग्रेजुएशन के दिनों में आया. हालांकि धुन के पक्के हिमांशु एक बार यह तय करने के बाद दिन-रात तैयारियों में जुट गए. अगर हिमांशु के एजुकेशनल बैकग्राउंड की बात करें तो उनकी 8वीं तक की पढ़ाई गांव में ही हुई. कक्षा नौ से बारह तक वे दिल्ली में पढ़े और यहीं से उन्होंने हंसराज कॉलेज से बीए इकोनॉमिक्स ऑनर्स की डिग्री ली. स्नातक के बाद ही वे यूपीएससी की तैयारी के लिए आगे आए.


जहां तक पहले प्रयास की असफलता की बात है तो हिमांशु कहते हैं कि यह अटेम्प्ट उन्होंने जल्दबाजी में दे दिया था. इस समय वे पूरी तरह तैयार नहीं थे. नतीजा यह हुआ कि उनका सेलेक्शन नहीं हुआ और वे पहली स्टेज पर ही बाहर हो गए. हालांकि इस नाकामी से हिमांशु ने हिम्मत नहीं हारी और दोबारा दोगुनी ताकत से तैयारी की. नतीजा सबके सामने हैं जब हिमांशु न केवल सेलेक्ट हुए बल्कि सिंग्ल डिजिट रैंक के साथ टॉपर भी बनें.


यहां देखें हिमांशु जैन द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू -  



 


हिमांशु की सलाह –


हिमांशु दूसरे यूपीएससी कैंडिडेट्स को यही सलाह देते हैं कि एग्जाम क्रैक करने के लिए सबकी स्ट्रेटजी अलग होती है. एक की स्ट्रेटजी दूसरे के लिए कभी काम नहीं आती. इसलिए अपनी स्ट्रेंथ और वीकनेस के अनुसार अपने लिए प्लानिंग करें. अगर हिमांशु की खुद की बात करें तो वे दिन-रात पढ़ाई करने में यकीन नहीं करते. उनके हिसाब से बाकी चीजों को भी समय दें और बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें. हिमांशु खुद सुबह उठकर पढ़ने बैठ जाते थे और भूख लगने पर ही उठते थे. इसके बाद उन्हें पढ़ना है या नहीं यह उनकी च्वॉइस होती थी पर कोई कंपल्सन वे खुद पर नहीं लादते थे.


हिमांशु पढ़ाई के साथ ही अपनी हेल्थ पर भी बहुत ध्यान देने की सलाह देते हैं. इसके लिए दिनभर में अलग से समय जरूर निकालें. एक्सरसाइज के साथ ही डाइट का भी ध्यान रखें और ऐसा भोजन न खाएं जिससे सुस्ती आए और दिमाग काम न करें, जैसे जंक फूड.


अंत में हिमांशु यही कहते हैं कि इस सफर के दौरान आपको बहुत तरह के लोग मिलेंगे जो बहुत प्रकार से आपको डिमोटिवेट करेंगे. ऐसे लोगों की बातों से दुखी न हों और अपनी निगाह लक्ष्य पर रखें. सीमित सोर्सेस से अनगिनत बार रिवाइज करें, हिमांशु के हिसाब से सफलता का यही मूलमंत्र है.


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