Success Story Of IAS Topper Kanchan: कहते हैं कि जीवन में सीखने के दो तरीके होते हैं. एक खुद के अनुभवों से सीखना और दूसरा, दूसरों की गलतियों से सीख लेना. सलाह भी यही दी जाती है कि अगर हमेशा खुद से सीखने की कोशिश करेंगे तो समय कम पड़ जाएगा. इसलिए दूसरों के अनुभवों से शिक्षा लेकर आगे बढ़ें. हरियाणा के सिरसा की कंचन ने भी यही तकनीक अपनायी और बहुत कम उम्र में पहले ही प्रयास में यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास कल ली. हालांकि, इस साल मिली रैंक से कंचन को संतोष नहीं हुआ और उन्होंने फिर से अटेम्प्ट दिया. अंततः अपने दूसरे प्रयास में कंचन ने 35वीं रैंक के साथ यूपीएससी सीएसई परीक्षा में टॉप किया. इसी के साथ उन्हें मिला उनका मन-माफिक आईएएस पद, जिसके लिए वे बचपन से लालायित थी. कंचन हमेशा से आईएएस ही बनना चाह रही थी. केवल इस परीक्षा को देने के पहले वे जरूरी शिक्षा पूरा कर लेना चाहती थी. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में कंचन ने अपने यूपीएससी सफर के बारे में बात की.


 बचपन का सपना था आईएएस बनना –


कंचन बचपन से ही आईएएस बनना चाहती थी. इसलिए जब पहले प्रयास में यह रैंक नहीं मिली तो उन्होंने दोबारा कोशिश की. अगर कंचन के एजुकेशनल बैकग्राउंड की बात करें तो कंचन छोटी उम्र से ही पढ़ाई में अच्छी थी. उनकी शुरुआती शिक्षा सिरसा में ही हुई और बाद की पढ़ाई के लिए वे चंडीगढ़ आ गईं. 12वीं के बाद कंचन ने दिल्ली का रुख किया और वहां की लॉ यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएशन किया. ग्रेजुएशन पूरा होने के तुरंत बाद से ही कंचन ने यूपीएससी सीएसई परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी.


चूंकि कंचन ने स्नातक लॉ विषय से किया था और यह उनका फेवरेट सब्जेक्ट भी था इसलिए उन्होंने यूपीएससी में अपना ऑप्शनल भी लॉ को ही बनाया. इससे उन्हें काफी मदद मिली क्योंकि वे पहले भी यह विषय पढ़ चुकी थी साथ ही यह उनका पसंदीदा विषय भी था.


यहां देखें कंचन द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू - 



 


सिलेबस और स्ट्रेटजी पर दें खास ध्यान –


कंचन तैयारी के विषय में बात करते हुए कहती हैं कि सबसे पहले तो सिलेबस पर भरपूर ध्यान दें. वे सिलेबस को इतना जरूरी मानती हैं कि सलाह देती हैं कि हो सके तो इसे याद कर लें. इसके बाद आएं दूसरे अहम बिंदु पर और वह है स्ट्रेटजी बनाना. इसके लिए कंचन की राय है कि इंटरनेट से या जहां से भी आपको दूसरों की स्ट्रेटजी देखनी है या गाइडेंस लेना है, ले लें लेकिन अपनी तैयारी अपने आधार पर ही करें यानी खुद की स्ट्रेटजी को केवल अपने हिसाब से बनाएं दूसरों के हिसाब से नहीं.


अगली जरूरी बात है सीमित सोर्स रखना. कंचन कहती हैं सिलेबस देखने के बाद किताबें सीमित ही रखें वरना कभी कोर्स नहीं खत्म होगा और अगले जरूरी चरण यानी रिवीजन पर नहीं आ पाएंगे. कम किताबों को बार-बार पढ़ें.


जब तैयारी एक स्तर पर पहुंच जाए तो मॉक टेस्ट दें. यह बहुत से मायनों में लाभ देते हैं. इनसे आप जान पाएंगे कि आपके लिए कौन सी स्ट्रेटजी वर्क करती है. इसे अपनाएं और टेस्ट के दौरान जो गलतियां कर रहे हों, उन्हें समय रहते दूर करें.


कंचन अंत में यही कहती हैं कि पढ़ाई का टाइम-टेबल बनाएं और उसी के अनुसार तैयारी करें ताकि कोई जरूरी हिस्सा आपसे न छूटे. किस समय में क्या खत्म करना है सब कहीं लिख लें और उसी के एकॉर्डिंग चलें. पढ़ाई के साथ ही ऐसी एक्टिविटीज में भी इंगेज रहें जो आपको फ्रेश रखती हैं.


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