IAS Success Story: जहां पिछले चालीस सालों से नहीं बना कोई IAS, वहां की बेटी ने कर दिया यह कारनामा
पंजाब के एक छोटे से गांव भदौड़ की खुशबू गुप्ता जिस जगह से हैं, वहां जल्दी कोई आईएएस बनने का सपना भी नहीं देखता, पर खुशबू ने न सिर्फ यह सपना देखा बल्कि उसे दूसरे अटेम्पट में पूरा भी करके दिखाया.
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Success Story Of IAS Khushboo Gupta: यूपीएससी जैसी परीक्षा देने का ख्याल करने के लिए भी हिम्मत चाहिए. अगर आप अपने इरादे को लेकर थोड़ा भी सीरियस हैं तो आपको पता होता है कि यह परीक्षा पास करने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं. ऐसे में अगर आप किसी छोटी जगह के हों तो मुकाम और मुश्किल लगने लगता है. पंजाब की खुशबू गुप्ता के साथ भी स्थिति कुछ ऐसी ही थी. यूं तो खुशबू का एकेडमिक बैकग्राउंड काफी अच्छा है पर अपने ग्रेजुएशन के दिनों में उन्होंने कुछ ऐसा बनने का सपना देखा जो पिछले तीस-चालीस सालों में उनके गांव से किसी ने नहीं सोचा था. जी हां, खुशबू, पंजाब के एक छोटे से गांव भदौड़ की है, जहां से पिछले चालीस सालों में कोई आईएएस अधिकारी नहीं बना. खुशबू इन आंकड़ों से घबरायी नहीं और उन्होंने वही किया जो उनका दिल चाहता था. उन्होंने यूपीएससी को चुनते समय भी कभी यह नहीं सोचा कि लाखों कैंडिडेट्स हर साल इस परीक्षा में बैठेते हैं तो उनका चयन कैसे होगा. वे केवल पूरी तन्मयता से अपनी तैयारियों में जुटी रहीं. परिणाम सबके सामने है, साल 2018 में खुशबू गुप्ता ने 80वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास की और अपने परिवार के साथ-साथ अपने गांव का नाम भी रोशन करके दिखाया.
लोकल स्कूल से हुयी थी स्कूलिंग –
खुशबू गुप्ता की स्कूलिंग लोकल ही हुयी और उन्होंने एक साधारण से स्कूल बाबा गांधा से अपनी शिक्षा पूरी की. खुशबू पढ़ाई में अच्छी थी इसलिये परिवार के सहयोग से खुशबू ने कक्षा 12 के बाद दिल्ली का रुख किया और दिल्ली आईआईटी में चयनित हुयी. यहां से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. ग्रेजुएशन के अंतिम साल में ही खुशबू को ख्याल आया कि वे आगे क्या करना चाहती हैं. एक साक्षात्कार में खुशबू ने बताया कि उस समय उनके दिमाग में तीन कैरियर विकल्प घूम रहे थे और वो कंफ्यूज़ थी कि क्या चुनें.
पिता की सलाह से साफ हुआ रास्ता –
खुशबू ने तीनों कैरियर विकल्पों के बारे में अपने पिता से चर्चा की जिसका बहुत ही अच्छा जवाब उनके पिता ने सुझाया. उन्होंने खुशबू से कहा कि तीनों विकल्पों को कहीं लिखो और फिर ये लिखो की तीनों के क्या अच्छे और बुरे पहलू हैं. तुम खुद तय कर लोगी कि तुम्हें क्या करना है. खुशबू ने एक जगह अपने तीनों विकल्प लिखें और उनके प्लस, माइनस लिखे. ऐसा करते ही खुशबू के मन में साफ हो गया कि वे सिविल सर्विसेस ही करना चाहती हैं और खुशबू निकल पड़ी मंजिल की ओर. यूपीएससी के अलावा खुशबू के बाकी दो ऑप्शन थे, विदेश जाकर पीएचडी करना अथवा किसी एमएनसी में नौकरी करना. खुशबू ने सिविल सर्वेंट बनने का फैसला लिया.
संविधान सभा क्या होती है, यह तक नहीं पता था –
खुशबू अपने साक्षात्कार में आगे बताती हैं कि कई बार लोगों को लगता है कि चूंकि वे पढ़ायी में अच्छी थी इसलिए उनके लिये यह सफर ज्यादा कठिन नहीं रहा होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. खुशबू का ग्रेजुएशन बैकग्राउंड एकदम डिफरेंट था. उन्हें हिस्ट्री, पॉलिटी जैसे विषयों के बारे में कुछ भी नहीं पता था. खुशबू एक घटना को याद करके कहती हैं कि शुरुआती दिनों में एक बार मैंने अपनी दोस्त से पूछा कि ये संविधान सभा किसे कहते हैं. उनकी खूब हंसी हुयी थी. खुशबू इस घटना को इसलिये शेयर करती हैं ताकि कैंडिडेट्स को पता चल सके कि बैकग्राउंड का इस परीक्षा में खास रोल नहीं होता. आप जिस दिन से तैयारी शुरू करते हैं बस वही काउंट होता है. उन्हें खुद अपने विषयों की तैयारी के लिये जीरो से शुरुआत करनी पड़ी थी. पिछला कुछ भी काम नहीं आया था. हां बस ऑप्शनल के रूप में आप वह विषय ले सकते हैं जो आपने पहले पढ़ा हो.
सही गाइडेंस बहुत काम आता है –
खुशबू यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के विषय में टिप्स देते हुये कहती हैं कि परीक्षा की तैयारी के लिये सही गाइडेंस बहुत जरूरी है. आप कोचिंग ले न लें यह आपका व्यक्तिगत निर्णय है पर कोर्स को समझ नहीं पा रहे हैं तो उसके संबंध में गाइडेंस जरूर ले लें ताकि आपको पता हो कि क्या पढ़ना है, कहां से पढ़ना है. ज्यादा किताबों के चक्कर में न पड़ें. चुनिंदा और अच्छा स्टडी मैटीरियल इकट्ठा करें और अंत तक उसी से पढ़ें. स्टडी के लिये स्ट्रेटजी बनायें और जो इस क्षेत्र में सफल हो चुके हों, उनसे बात करें. उनका मार्गदर्शन आपके काम आ सकता है. न्यूज पेपर लगातार पढ़ें और टेस्ट सीरीज़ में जरूर इनरोल करायें ताकि अपनी रियल कंडीशन पता चल सके जिसे समय पर सुधारा जा सके. खुशबू ने इस परीक्षा की तैयारी को दो साल दिये. 2016 से उन्होंने तैयारी आरंभ की थी और उनका चयन हुआ 2018 में. इस बारे में भी खुशबू एक पते की बात कहती हैं, वे बताती है कि इस परीक्षा की तैयारी में लंबा समय लगता है इसलिये अपने लिये रियलिस्टिक गोल बनायें और रोज़ के रोज़ पढ़ायी करें. आपको दिन में आठ घंटे पढ़ना है, दस घंटे पढ़ना है यह आपका निर्णय है पर जितना भी तय करें उतना रोज़ पढ़ें. न कोई संडे और न कोई हॉलिडे, तब जाकर यह परीक्षा पास होती है.
खुशबू के सफर से हमें यह इंस्पिरेशन मिलती है कि भले आपका पिछला एजुकेशनल बैकग्राउंड यूपीएससी फ्रेंडली न रहा हो पर फिर भी आप इस परीक्षा को चुन सकते हैं. जीरो से शुरुआत इतनी भी कठिन नहीं अगर आप जरूरी समर्पण के लिये तैयार हैं.
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