Success Story Of IAS Topper Kollabathula Karthik: विशाखापट्नम, आंध्र प्रदेश के कोलाबतला कार्तिक ने यूपीएससी सीएसई परीक्षा में सफलता हासिल करने के पहले आईआईटी से ग्रेजुएशन किया है. कार्तिक का शुरू से इस क्षेत्र में आने का कोई इरादा नहीं था. हालांकि कुछ कारणों से उन्होंने इस तरफ रुख किया और प्रॉपर प्लानिंग और स्ट्रेटजी से पहली ही बार में यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास की. इस प्रकार उनका आईएएस बनने का सपना भी पूरा हुआ.
आईआईटी बॉम्बे से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने वाले कार्तिक ने साल 2018 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा देने का मन बनाया और कोचिंग ज्वॉइन कर ली. जी हां कार्तिक उन कैंडिडेट्स में से हैं जो कोचिंग के माध्यम से मार्गदर्शन लेते हैं. यही नहीं कार्तिक अपनी सफलता का श्रेय भी ईश्वर और अभिभावकों के बाद अपने शिक्षकों को देते हैं. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में कार्तिक ने अपनी स्ट्रेटजी शेयर की. जानते हैं विस्तार से.
इंटीग्रेटेड अपरोच के साथ शुरू करें तैयारी –
कार्तिक कहते हैं इस परीक्षा की तैयारी इंटीग्रेटेड वे में करने में ही समझदारी है. दो विषयों को अलग-अलग न मानकर एक-दूसरे से मिलाकर देखेंगे तो फायदे में रहेंगे. वे खासतौर पर इस फंडे को जीएस के चारों पेपर्स और करेंट अफेयर्स पर लागू करते हैं. जैसे एक के उदाहरण दूसरे में भी डालना या ऐस्से की नॉलेज को ऑप्शनल के लिए इस्तेमाल करना.
इसी प्रकार तीनों परीक्षाओं की तैयारी को भी कार्तिक ने ऐसे ही लिया. प्री की तैयारी के कुछ दिन बाद ही वे मेन्स के लिए आंसर राइटिंग करने लग गए थे. हालांकि यह उनका पहला अटेम्पट था तो गलतियां होती थी पर वे घबराते नहीं थे. अपने आंसर फैकल्टी को दिखाते थे और कमियों को दूर करते थे. इससे प्री के बाद जब मेन्स परीक्षा में दो-ढ़ाई महीने ही रह गए तो वे मैनेज कर पाए क्योंकि वे पहले से ही तैयारी आरंभ कर चुके थे. इसीलिए वे कहते हैं कि तीनों परीक्षाओं को अलग-अलग करके न देखें.
स्पीड और प्रेजेंटेशन को मानते हैं जरूरी –
कार्तिक कहते हैं कि आंसर राइटिंग इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे आपकी स्पीड बढ़ती है और आप कम समय में अच्छे उत्तर लिख पाते हैं. वे कहते हैं कि मुख्य परीक्षा के समय इतना टाइम नहीं होता कि बिना अभ्यास के समय के अंदर उत्तर लिख पाएं. इसलिए स्पीड बढ़ाने पर फोकस करें.
दूसरी जरूरी बात कार्तिक प्रेजेंटेशन को मानते हैं. वे कहते हैं आपको कितना भी अच्छे से आंसर लिखना आता हो पर उसे ठीक से प्रेजेंट नहीं कर पाएंगे तो सब बेकार है. आंसर को कैसे फ्रेम करना है, कैसे स्ट्रक्चर करना है, कहां डायग्राम्स बनाने हैं, कहां फ्लोचार्ट्स यह सब आपको पता होना चाहिए. आंसर पैरा में लिखना है या प्वॉइंट्स में यह भी तय करना आना जरूरी है.
कंटेंट पर भी दें ध्यान –
कार्तिक कहते हैं कि मेन्स परीक्षा में तीसरी जरूरी बात आती है कंटेंट की. लिखने का नंबर भी तभी आएगा जब आपके पास कंटेंट होगा. इसलिए इसे भी अच्छे से प्रिपेयर करें. जैसे आंसर में डालने के लिए कोट्स, एग्जाम्पल्स वगैरह तैयार रखें, जिनको डालने से आंसर में वजन पड़ता है. इस प्रकार मेन्स परीक्षा के लिए तीन चीजें बहुत जरूरी हैं, स्पीड, प्रेजेंटेशन और कंटेंट. ये तीनों ही अभ्यास से आएंगे इसलिए मुख्य परीक्षा के पहले जितना हो सके प्रैक्टिस करें.
देखें कोलाबतला कार्तिक द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू
अगली जरूरी चीज कार्तिक के हिसाब से है एथिक्स का पेपर, जिसमें आपको अपने विचार प्रकट करने का मौका मिलता है. वे कहते हैं कि इसमें भी जितना हो सके कोटेशंस, एग्जाम्पल्स आदि डालें और हो सके तो अपनी बात को प्रूफ करने के लिए रियल लाइफ और करेंट अफेयर्स के उदाहरण डालें. यह अच्छा प्रभाव डालते हैं, कार्तिक ने यही किया था.
कार्तिक की सलाह –
दूसरे कैंडिडेट्स से अलग कार्तिक सिविल सर्विस परीक्षा के लिए सोशल मीडिया को हेल्पफुल मानते हैं. वे कहते हैं कि उन्होंने बहुत से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से मदद ली. जैसे वे एक ग्रुप में थे जहां परीक्षा को लेकर हर तरह की चर्चा होती थी. कोई भी नया कांसेप्ट या टॉपिक वहां समझा जा सकता था. ऐसे ही कुछ खास पेजेस भी बने हैं जिन पर जाकर आप अपनी नॉलेज को बढ़ा सकते हैं.
इसके बाद वे आते हैं कोचिंग पर. कार्तिक कहते हैं कि कोचिंग गाइडेंस के लिए तो ठीक है पर इस पर पूरी तरह रिलाय न करें. मानकर चलिए की कोचिंग 40 प्रतिशत रोल ही निभाती है बाकी 60 प्रतिशत एफर्ट आपके होते हैं. वहां से चीजें समझ लें, मोटी-मोटी बातें पता कर लें लेकिन अपनी स्ट्रेटजी अपने अनुसार बनाएं और उसी पर चलें. पिछले साल के पेपर्स और टॉपर्स के इंटरव्यू और कॉपियां भी बहुत मदद करती हैं. अंत में यही कि यह एक बड़ी परीक्षा है जिसके लिए प्रयास भी बड़े करने पड़ते हैं लेकिन इरादा नेक और मोटिवेशन तगड़ा होगा तो आपको कोई सफल होने से नहीं रोक सकता.
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