Success Story Of IAS Topper Koushik HR: यूपीएससी जर्नी सभी के लिए अलग होती है लेकिन कुछ कैंडिडेट्स ऐसे मोड़ पर आकर बार-बार असफल होते हैं कि यकीन करना नामुमकिन लगता है. उदाहरण के लिए कौशिक एचआर को ही ले लें. कौशिक ने यूपीएससी सीएसई परीक्षा के पांच अटेम्प्ट्स दिए और विडंबना देखिए कि पांचों बार उनका सेलेक्शन मेन्स परीक्षा पर आकर रुक गया. पांच प्रयासों में पांच बार मेन्स लिखने वाले कौशिक को दो बार सफलता मिली. साल 2018 और 2019 दोनों में उनका अंतिम चयन हुआ और साल 2019 के चयन ने उन्हें आईएस बनाया. इस प्रकार कौशिक का सफल काफी कठिन और लंबा रहा लेकिन परिणाम सुकून देने वाला मिला. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में कौशिक ने अपने इस सफर के विभिन्न अनुभव साझा किए.
प्री में एनालिसेस है आवश्यक –
प्री, मेन्स और पर्सेनेलिटी टेस्ट के बारे में अलग-अलग बात करते हुए कौशिक कहते हैं कि प्री परीक्षा में सफल होने के लिए मॉक टेस्ट्स बहुत जरूरी हैं. जब तैयारी एक स्तर पर पहुंच जाए तो मॉक टेस्ट जरूर दें. यहां भी कैंडिडेट्स अक्सर एक गलती करते हैं कि वे पेपर देते तो हैं पर पेपर मे जो गलतियां करते हैं उन्हें एनालाइज नहीं करते. यानी अपनी कमियों पर काम नहीं करते. पेपर देने के बाद जो उत्तर आपको आते थे उन्हें तो एक तरफ कर दें पर जो आंसर आप नहीं कर पाएं उन्हें जरूर एनालाइज करें कि कहां गलती थी. इसक बाद करेक्ट आंसर देखकर उसे बार-बार रिवाइज करें.
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्री में हर कोई बहुत कम उत्तरों के लिए ही श्योर होता है इसलिए कैंडिडेट्स को एलिमिनेशन टेक्नीक सीखनी पड़ती है. जो आंसर थोड़ा भी गलत लग रहा हो या जिस आंसर की सबसे ज्यादा सही होने की संभावना दिख रही हो, उसे मार्क करें. यह प्रैक्टिस से ही आएगा.
दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में कौशिक एचआर ने विस्तार से बात की –
मेन्स के लिए प्रेजेंटेशन है बेहद जरूरी –
कौशिक आगे कहते हैं कि पढ़ता तो हर कोई है लेकिन जो उस पढ़े हुए को ठीक से लिख पाता है उसे ही परीक्षा में सफलता हासिल होती है. इसलिए जब स्टैंडर्ड बुक्स से तैयारी हो जाए तो आंसर राइटिंग प्रैक्टिस आरंभ कर दें और यहां भी प्री की ही तरह अपने आंसर्स की कमियों को देखें और उन्हें दूर करें. उत्तरों में करेंट अफेयर्स का मैटर डालें, जिससे आपकी बात का वजन बढ़े. जिस प्रश्न में वर्तमान में चल रही किसी बात या योजना वगैरह का संदर्भ देने की गुंजाइश हो उसे जरूर प्रयोग करें.
इसके अलावा साधारण लेकिन जरूरी चीजें ध्यान में रखें जैसे जो पूछा गया है वही बताना, विषय से न भटकना, आंसर्स को सब-हेडिंग्स देना, प्वॉइंट्स लिखना, डेटा, फैक्ट्स, रिपोर्ट्स ग्राफ्स आदि डालना. संभव हो तो डायग्राम्स में कलर्स का प्रयोग करना आदि. कुल मिलाकर आपके उत्तर का प्रेजेंटेशन अच्छा होना चाहिए और आप समय पर पेपर खत्म कर पाएं ये भी देख लें.
पर्सेनेलिटी टेस्ट में डैफ का है बहुत महत्व –
कौशिक अंत में साक्षात्कार पर आते हैं और कहते हैं कि डिटेल्ड एप्लीकेशन फॉर्म में जो भी भरें उसे बहुत अच्छी तरह तैयार करके ही साक्षात्कार के लिए जाएं. उसमें लिखा एक-एक शब्द आपको पता होना चाहिए. इसके साथ ही आपकी पढ़ाई, शहर, नौकरी, यूपीएससी क्षेत्र चुनने का कारण, हॉबीज वगैरह सब ठीक से तैयार होने चाहिए. प्रश्नों के अगर दो प्रकार कहें जाएं तो एक वे होते हैं जिनमें आपको नहीं पता कि क्या पूछा जाएगा आप केवल करेंट अफेयर्स से लेकर अपने ग्रेजुएशन के विषय तक की तैयारी कर सकते हैं. दूसरा सेक्शन होता है ऐसे प्रश्नों का जिन्हें अपनी तरफ से तैयार किया जा सकता है. जैसे यह फील्ड क्यों चुनी, जॉब क्यों नहीं की, यूपीएससी ही क्यों, नाम का अर्थ, कोई हॉबी है तो उसके बारे में पूरी जानकारी.
इस प्रकार जो हिस्सा आप तैयार कर सकते हैं उस जरूर तैयार करके जाएं. साक्षात्कार के समय सहज रहें और ऑनेस्टी इज द बेस्ट पॉलिसी के आधार पर बातचीत करें. जो नहीं आता उसे धीरे से मना कर दें, इसमें कुछ भी गलत नहीं. कुछ छोटी लेकिन जरूरी बातों का तीनों स्टेजेस पर ध्यान रखकर आप इस परीक्षा में सफलता पा सकते हैं.
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