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IAS Success Story: सोशल मीडिया और घर दोनों से दूर रहकर, पानीपत की मधुमिता बनीं UPSC टॉपर

साल 2019 की टॉपर मधुमिता ने यहां तक पहुंचने के लिए न केवल सोशल मीडिया से दूरी बनाई बल्कि अपने घर से भी दूर होकर सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई की. यहां तक कि अपने भाई की शादी में भी शामिल नहीं हुईं. जानते हैं मधुमिता के इस सफर के बारे में.

Success Story Of IAS Topper Madhumita: समालखा, पानीपत की मधुमिता ने तीसरे प्रयास में यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 86वीं रैंक के साथ टॉप किया है. इसके पहले साल 2017 और 2018 में भी उन्होंने अटेम्पट्स दिए लेकिन सफल नहीं हुईं. अंततः अपनी कमियों को भांपकर तीसरे अटेम्पट में वे दिल्ली चली गईं और खुद को घर-परिवार, सोशल मीडिया सबसे काटकर केवल पढ़ाई पर फोकस करने लगी. नतीजा यह हुआ कि तीसरे प्रयास में न केवल मधुमिता सेलेक्ट हुईं बल्कि उनकी रैंक भी टॉप 100 के अंदर आई. आज जानते हैं मधुमिता से कैसे करें इस परीक्षा की प्रभावी तैयारी.

आप यहां मधुमिता द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए गए इंटरव्यू का वीडियो भी देख सकते हैं

पिता का सपना था –

मधुमिता के पिता चाहते थे कि उनकी बेटी आईएएस बने, जो कभी उनका सपना था पर वे पूरा नहीं कर सके. पिता के इस सपने को इस कदर मधुमिता ने अपना मान लिया था कि उन्होंने कैरियर के दूसरे ऑप्शंस के बारे में सोचा ही नहीं. इसमें उनके परिवार का भी पूरा सहयोग रहा. कभी किसी ने शादी करने या लड़की को बाहर भेजने जैसे मुद्दों पर कोई नकारात्मक बात नहीं कही. मधुमिता बाकी सभी चिंताओं और दबावों से मुक्त अपनी पढ़ाई पर फोकस करती थी. अगर शिक्षा की बात करें तो उनकी शुरुआती पढ़ाई पानीपत से ही हुई. इसके बाद उन्होंने बीबीए किया और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए भी किया. मधुमिता के घर में माता-पिता के अलावा दो भाई हैं.

दो प्रयासों में हुईं असफल –

मधुमिता दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में बताती हैं कि इसके पहले के दो प्रयासों में उनका सेलेक्शन नहीं हुआ था. साल 2017 में वे मेंस तक पहुंची लेकिन इंटरव्यू पास नहीं कर पाईं. इसके बाद 2018 में उनका प्री भी क्लियर नहीं हुआ. इस असफलता ने मधुमिता को एक बड़ा निर्णय लेने का हौसला दिया और वे तीसरे अटेम्पट के पहले दिल्ली चली गईं ताकि टेस्ट सीरीज ज्वॉइन कर पाएं. अपने पिछले अनुभवों का लाभ उठाते हुए और पिछले प्रयासों की गलतियों से सीखते हुए मधुमिता ने इस बार तैयारियों को और धार दी. सोशल मीडिया से वे पहले ही दूर थीं, अब परिवार से भी दूर हो गई थी. उनकी निगाह अर्जुन की तरह केवल अपने लक्ष्य पर थी. यही नहीं इस दौरान उनके चचेरे भाई की शादी भी हुई पर मधुमिता ने विवाह समारोह में शामिल होने के बजाय तैयारी जारी रखने का फैसला लिया. अंततः उनकी मेहनत रंग लाई और वे 86वीं रैंक के साथ साल 2019 में सेलेक्ट हो गईं.

टेस्ट सीरीज पर देती हैं जबरदस्त जोर –

बात प्री, मेन्स, ऐस्से, एथिक्स किसी की भी हो, मधुमिता टेस्ट सीरीज पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की बात कहती हैं. उनका मानना है कि प्री के पहले कम से कम 50 टेस्ट आपको दे देने चाहिए वो भी बिलकुल परीक्षा वाले माहौल में. टेस्ट सेंटर जाकर एग्जाम दें ताकि परीक्षा वाले माहौल का फील आए और दिमाग उसके लिए तैयार हो पाए. ये टेस्ट, बेस्ट तरीका होते हैं आपको बताने कि लिए कि आपमें कहां क्या कमी है. आप समय से पेपर पूरा नहीं कर पाते, आप प्रेशर हैंडल नहीं कर पाते, आपको आता हुआ कंटेंट भी सोचने में बहुत समय लगता है, आप आंसर फ्रेम नहीं कर पाते या कुछ और. जो भी समस्या आपको होगी, वह इन टेस्ट पेपर्स से सामने आ जाएगी. इन्हें पता करें और समय से दूर करें. जैसे अपने केस में मधुमिता कहती हैं कि वे कभी समय से पेपर पूरा नहीं कर पाती थी, इस कमी को उन्होंने धीरे-धीरे दूर किया.

मधुमिता की सलाह –

मधुमिता दूसरे कैंडिडेट्स को यही सलाह देती हैं कि सबसे पहले तो यूपीएससी का पूरा सिलेबस ठीक से देखें ताकि आपकी तैयारी कि दिशा न भटके. इसके बाद तैयारी आरंभ करें और जैसे ही कोर्स खत्म हो जाए, आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस करें और खूब टेस्ट दें. अपनी कॉपियां चेक कराएं और देखें कि एक्सपर्ट क्या फीडबैक दे रहे हैं. उसी अनुसार कमियों को दूर करते चलें. मल्टीपल रिवीजन और मैक्सिम टेस्ट सीरीज ही आपको परीक्षा में सफल बनाएंगे. ऐस्से और एथिक्स के पेपर को भी कम न आंके और संभव हो तो इनकी टेस्ट सीरीज अलग से ज्वॉइन करें. ये आपका स्कोर बढ़ाने और रैंक अच्छी कराने में अहम भूमिका निभाते हैं. केस स्टडी अच्छे से तैयार करें यह भी स्कोरिंग होती है. प्रिवियस ईयर के पेपर देखें ताकि प्रश्नों का अंदाजा हो और टॉपर्स की कॉपियां पढ़ें और उनसे सीखें की उत्तर लिखने की प्रभावी तकनीक क्या होती है और कैसे उत्तर लिखने से आप अधिक अंक पा सकते हैं. कड़ी मेहनत के साथ इतना करके आप अपनी सफलता निश्चित कर सकते हैं.

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