IAS Success Story: दूसरे अटेम्प्ट में UPSC एग्जाम क्रैक करने वाली मणि की स्ट्रेटजी है सबसे अलग, जानें विस्तार से
साल 2016 की टॉपर मणि अग्रवाल का यह दूसरा प्रयास था. इसके पहले के अटेम्प्ट में भी वे तीनों चरण पास कर गईं थी लेकिन फाइनल लिस्ट में नाम नहीं आया था. जानते हैं मणि से परीक्षा क्रैक करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
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Success Story Of IAS Topper Mani Agarwal: मणि अग्रवाल ने साल 2016 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास की थी. यह उनका दूसरा प्रयास था. पहले अटेम्प्ट में भी मणि ने प्री, मेन्स और इंटरव्यू तीनों चरण पार कर लिए थे लेकिन पीडीएफ में उनका नाम नहीं आया था. मणि थोड़ा निराश तो हुईं पर इस निराशा को उन्होंने अधिक समय तक खुद पर हावी नहीं होने दिया और जल्दी ही आगे बढ़ गईं.
नतीजा यह हुआ कि अपने दूसरे ही अटेम्प्ट में मणि ने 126वीं रैंक के साथ एग्जाम क्लियर कर लिया. इसके तहत उन्हें एलॉट हुई इंडियन फॉरेन सर्विसेस. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में मणि ने विभिन्न मुद्दों पर बात की जिनको सुनकर पता चलता है कि उनकी स्ट्रेटजी दूसरे कैंडिडेट्स से काफी अलग है.
हमेशा से साफ था लक्ष्य –
मणि उन कैंडिडेट्स में से आती हैं जो हमेशा से अपने लक्ष्य को लेकर साफ रहते हैं. वे बहुत पहले तय कर चुकी थी कि उन्हें यूपीएससी सीएसई परीक्षा ही देनी है और इस बाबत उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी थी. ग्रेजुएशन सेकेंड ईयर से ही मणि ने न्यूज पेपर आदि परीक्षा के लिहाज से पढ़ना शुरू कर दिया था ताकि परीक्षा के समय परेशानी न हो.
अगर मणि के एजुकेशनल बैकग्राउंड की बात करें तो वे हमेशा से पढ़ाई में काफी होशियार थी. स्कूल हो या कॉलेज उन्होंने हर जगह अच्छे अंक ही पाए. मणि ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से मैथ्स में बीएससी ऑनर्स की डिग्री ली और फिर इसी विषय से आईआईटी बॉम्बे से पीजी किया. यहां से मणि ने एमएमससी की डिग्री ली.
चूंकि मणि का बैकग्राउंड मैथ्स का था इसलिए यूपीएससी में उन्होंने अपना ऑप्शनल भी मैथ्स ही चुना. इस प्रकार हम देख सकते हैं कि कड़ी मेहनत के बल पर मणि ने हमेशा बढ़िया संस्थान में सेलेक्शन सुनिश्चित करते हुए पढ़ाई की.
यहां देखें मणि अग्रवाल द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू -
मणि का अनुभव –
मणि कहती हैं कि उन्होंने हमेशा स्टैंडर्ड बुक्स से ही तैयारी की. शुरुआत में ही वे बेसिक बुक्स और एनसीईआरटी की किताबें ले आयीं और पहले चरण की तैयारी की शुरुआत कर दी थी. उनका मानना है कि तैयारी के लिए अलग स्टडी मैटीरियल के चक्कर में न पड़ें और जो किताबें लोग सालों से पढ़ते आ रहे हैं उन्हीं का चुनाव करें.
बात करें कोचिंग की तो मणि कोचिंग को खराब नहीं मानती और उनके अनुसार इससे अच्छा गाइडेंस मिलता है पर उन्होंने अपने लिए कभी कोचिंग पर भरोसा नहीं किया और सेल्फ स्टडी को ही महत्व दिया. मणि का मानना है कि बिना सेल्फ स्टडी के नैय्या पार नहीं होती.
दूसरों से अलग मणि की सोच है कि प्री के पहले ही मेन्स की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, प्री खुद-ब-खुद कवर हो जाता है. उनका मानना है कि कोई भी विषय दो-तीन बार पढ़कर आपको इतनी नॉलेज हो जाती है कि आप प्री में खाली टिक करने का काम कर सकते हैं. लेकिन बिना डीप में पढ़ें आप मेन्स के उत्तर नहीं लिख सकते और मेन्स ही वह एग्जाम है जो आपका सेलेक्शन सुनिश्चित करता है. उनके अनुसार मेन्स एग्जाम से सेलेक्शन होता है और इंटरव्यू से रैंक बनती है.
हालांकि ध्यान रहे कि प्री के दो महीने पहले मेन्स का सिलेबस पूरा खत्म हो जाना चाहिए. जब प्री परीक्षा के केवल दो महीने बचें तो सिर्फ इस पर फोकस करने लगें. इन बातों का ध्यान रखकर आप भी सिविल सेवा परीक्षा पास कर सकते हैं.
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