Success Story Of IAS Topper Mayank Mittal: मयंक मित्तल ने दो बार यूपीएससी सीएसई परीक्षा दी और दोनों बार सफल हुए. साल 2018 में उन्होंने पहला प्रयास किया था जिसमें उनकी रैंक थी 105. मयंक को अपनी यह रैंक पसंद नहीं आयी इसलिए उन्होंने दोबारा कोशिश की. साल 2019 की दूसरी कोशिश में मयंक को 29वीं रैंक प्राप्त हुई. जैसा कि हम देख सकते हैं कि मयंक ने पहले प्रयास से ही सफलता पानी शुरू कर दी थी. साथ ही लगातार दो साल उनका चयन हुआ. यही नहीं उनकी रैंक भी सुधरी. आज जानते हैं मयंक से कि जो कैंडिडेट परीक्षा की तैयारी आरंभ कर रहे हैं, वे सही राह कैसे चुनें और कैसे पहले या दूसरे प्रयास में इस एग्जाम को पास किया जाए. दरअसल परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले थोड़ा समय देकर यह जरूर तय कर लेना चाहिए कि किस राह जाना है. कई बार कैंडिडेट्स शुरुआत में हड़बड़ी दिखाते हैं, जिसका नतीजा यह होता है कि आधा साल निकलने के बाद या कई बार एक प्रयास तक कर लेने के बाद उन्हें समझ आता है कि कभी उनकी स्ट्रेटजी गलत है या कभी गलत ऑप्शनल चुन लिया गया है. बेहतर होगा कि राह चुनने में भले समय लग जाए पर रास्ता न भटकें.


आप यहां मयंक मित्तल द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू का वीडियो भी देख सकते हैं



पहला कदम है सिलेबस ठीक से देखना –


दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में मयंक कहते हैं कि उन्होंने अपने अनुभव से पाया है कि कैंडिडेट्स को कई बार तैयारी शुरू करने की इतनी जल्दी होती है कि वे सिलेबस भी ठीक से नहीं देखते. यह बहुत बड़ी गलती है जो किसी भी कैंडिडेट को नहीं करनी चाहिए. वे कहते हैं कि मैंने ऐसे भी कैंडिडेट्स देखें हैं जो दो-दो बार अटेम्पट दे चुके होते हैं तो भी उन्हें सिलेबस के बारे में ठीक से जानकारी नहीं होती. इसलिए जल्दबाजी न करें और यूपीएससी की वेबसाइट पर जाकर प्री और मेन्स दोनों परीक्षाओं का सिलेबस भली प्रकार देख लें उसके बाद ही तैयारी आरंभ करें. अगर वेबसाइट पर सिलेबस देखने के बाद भी कुछ कंफ्यूजन हो तो पिछले साल के क्वेश्चन पेपर देख सकते हैं. इनके बारे में मयंक का कहना है कि बाजार में दो तरह के प्रश्न-पत्र मिलते हैं एक में ईयर्स के हिसाब से जानकारी दी होती है और एक में टॉपिक के हिसाब से. वे कहते हैं कि टॉपिक वाला क्वेश्चन बैंक खरीदें. इसे आपको आगे भी आराम रहेगा. जब कोई टॉपिक खत्म करें तो किताब में जाकर देख लें कि इससे कैसे और किस प्रकार के प्रश्न आए थे.


प्री और मेन्स दोनों की तैयारी करें साथ –


मयंक साक्षात्कार में आगे कहते हैं कि डे वन से प्री और मेन्स दोनों की तैयारी साथ शुरू करें. ऐसी योजना न बनाएं कि पहले प्री कर लेंगे फिर मेन्स देखेंगे. इस हिसाब से चलेंगे तो कभी समय से सिलेबस खत्म नहीं हो पाएगा. प्री के बाद मेन्स परीक्षा के लिए जितना समय बचता है, उतना काफी नहीं होता. अगर आप एक साल के समय को दिमाग में लेकर चल रहे हैं और पहले ही मेन्स की तैयारी आरंभ नहीं कर चुके हैं तो इसे कभी समय से खत्म नहीं कर पाएंगे. क्योंकि यह समय रिवीजन, आंसर राइटिंग प्रैक्टिस, मॉक टेस्ट्स देने और डाउट्स क्लियर करने का होता है. न कि इनीशियल लेवल पर प्रिपरेशन शुरू करने का.


बहुत टेस्ट सीरीज के पीछे न भागें –


सिलेबस देखने और बुक लिस्ट तैयार करने के बाद जब आपको लगे कि मतलब भर की तैयारी हो गयी है तो मॉक टेस्ट्स देना शुरू करें. इससे आपकी प्रैक्टिस भी होगी और कमियां भी पता चलेंगी. यहां एक बात का ध्यान और रखें कि बाकी पेपरों के अलावा ऐस्से और एथिक्स के पेपर को भी बराबर महत्व दें. अक्सर कैंडिडेट्स इन्हें इग्नोर कर देते हैं या अंत के लिए छोड़ देते हैं. ज्यादा नहीं पर थोड़ी बहुत प्रैक्टिस इनकी करते रहें. अब आते हैं आंसर राइटिंग पर, बाकी कैंडिडेट्स से अलग मयंक कहते हैं कि, बहुत ज्यादा अभ्यास की जरूरत नहीं है लेकिन एक दिन में एक आंसर भी लिखेंगे तो काफी है. इसके साथ ही केवल एक टेस्ट सीरीज ज्वॉइन करें बहुत के पीछे न भागें. इतना तैयारी के लिए काफी है. अपनी गलतियों को एनालाइज करते हुए चलें और जहां सुधार की गुंजाइश हो उसे समय रहते पूरा कर लें. इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो जरूर सफल होंगे.


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