Success Story Of IAS Topper Md. Jawed Hussain: झारखंड के मोहम्मद जावेद हुसैन साल 2019 बैच के आईएएस हैं. उनका यहां तक का सफर काफी कठिनाइयों भरा रहा. यूं तो बहुत से ऐसे कैंडिडेट होते हैं जो यूपीएससी परीक्षा निकालने के पहले कई बार असफल होते हैं पर जहां तक बात जावेद की है तो उनके साथ किस्मत ज्यादा ही खेल खेल रही थी. कोई कैंडिडेट एक नहीं दो-दो बार इंटरव्यू राउंड तक पहुंच जाएं और सेलेक्ट न हो और उसके अगले ही साल प्री भी पास न कर पाए तो यह स्थिति बहुत ही दुखदायी होती है. जावेद के केस में ऐसा दो बार हुआ. कई बार जीते के बहुत करीब पहुंचकर भी सफल न होने वाले जावेद से आज जानते हैं उनके संर्घष के बारे में. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए साक्षात्कार में जावेद ने अपनी यूपीएससी जर्नी की खास बातें शेयर की.
आप यहां मोहम्मद जावेद हुसैन द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए गए इंटरव्यू का वीडियो भी देख सकते हैं
जावेद शुरू से थे पढ़ाई में अच्छे –
जावेद का जन्म और शुरुआती पढ़ाई झारखंड के एक छोटे से कस्बे से ही हुई. क्लास दसवीं में उन्होंने पूरे जिले में टॉप किया और बाहरवीं के लिए बोकारो गए और बारहवीं भी अच्छे अंकों से पास की. इसके बाद भोपाल के एक इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में उनका सेलेक्शन हो गया, जहां से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. जावेद कुल चार भाई-बहन हैं और एक लोअर मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं.
नहीं मिला ग्रेजुएशन के बाद प्लेसमेंट –
जावेद के साथ जिंदगी तब से कुछ सख्त थी जब अच्छे अंकों से ग्रेजुएशन करने के बाद भी उनका प्लेसमेंट नहीं हुआ. सब लोग उम्मीदें लगाए बैठे थे पर जावेद को नौकरी नहीं मिली. निराश जावेद गेट परीक्षा की तैयारी करने दिल्ली चले गए और वहीं से इंजीनियरिंग सर्विस की परीक्षा भी दी. जावेद ने तीन बार गेट एग्जाम दिया और तीनों बार उनकी रैंक में सुधार हुआ. अंततः तीसरे प्रयास में उन्हें गेट परीक्षा में 123 और इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेस में 24वीं रैंक मिली. यह साल 2013 की बात है.
सिविल सर्विस की शुरू की तैयारी –
अपने एक सीनियर से इंस्पायर होकर जावेद ने नौकरी ज्वॉइन करने के पहले के समय को यूपीएससी सीएसई परीक्षा की तैयारी के लिए इस्तेमाल करने की योजना बनाई. करीब आठ से दस महीने का समय जावेद के पास था. पहले ही प्रयास में जावेद साक्षात्कार राउंड तक पहुंचे लेकिन कुछ नंबरों से चूक गए. इस प्रयास में सफल होने में बहुत बड़ी भूमिका उनके ऑप्शनल की भी थी जो इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग था और पहले से तैयार था. इस साल वे ऑप्शनल और ऐस्से के अंकों के दम पर यहां तक पहुंचे थे.
लगातार असफलता का दौर –
पहले प्रयास के बाद जावेद में कांफिडेंस आया कि थोड़ी मेहनत और करके अच्छे अंकों से यह परीक्षा पास की जा सकती है. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. नौकरी के साथ जावेद ठीक से तैयारी नहीं कर पा रहे थे और दूसरे प्रयास में उनका प्री भी नहीं हुआ. वे बहुत निराश हुए लेकिन फिर उठ खड़े हुए और अपनी कमियों को दूर करते हुए आगे बढ़े. अगले साल फिर वे साक्षात्कार राउंड तक पहुंचे लेकिन सेलेक्ट नहीं हुए और अगले साल चौथे प्रयास में फिर प्री भी नहीं निकाल पाए. जावेद इसे अपने जीवन का सबसे लो प्वॉइंट मानते हैं.
अंततः मिली सफलता –
लगातार चार साल असफल होने के बाद और लोगों के ताने सुनने के बाद भी जावेद ने हिम्मत नहीं हारी और कुछ दोस्तों के संबल बंधाने से फिर परीक्षा दी. आखिरकार साल 2018 में वे सफल हुए और 2019 बैच के आईएएस अधिकारी बने. उनकी सालों की तपस्या का फल उन्हें पांच प्रयासों के बाद मिला. हालांकि इस बारे में बात करते हुए जावेद कहते हैं कि अगर उनके पास इंजीनियरिंग सर्विस का सहारा नहीं होता तो शायद वे इतना धैर्य नहीं रख पाते. जब कैरियर को पहले से एक दिशा मिल चुकी होती है तो रिस्क लेना तुलनात्मक रूप से आसान हो जाता है.
जावेद की सलाह –
जावेद कहते हैं कि अपने सफर से उन्होंने यही सीखा कि लाइफ में जो भी होता है, उसके पीछे कोई न कोई वजह जरूर होती है. कितना भी बुरा हो अपने ऊपर भरोसा रखिए और यह मानकर आगे बढ़िये कि इसके पीछे कोई न कोई कारण होगा, जिसमें आपका ही फायदा छिपा है. जिन सालों में उन्हें सफलता नहीं मिली उन सालों ने जावेद को इतना कुछ सिखाया कि वे आम दिनों में कभी नहीं सीख पाते. इस बीच लोगों ने उन पर तंज भी कसे, उन्हें खुद भी लगा कि यह फील्ड उनके लिए बनी ही नहीं है और कई बार सेल्फ डाउट भी हुआ लेकिन जावेद पीछे नहीं हटे. उन्हें डेस्टिनी पर पूरा भरोसा था और नतीजा यह हुआ कि देर से ही सही पर उन्हें मन-माफिक सफलता मिली.
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