Success Story Of IAS Topper Megha Arora: मेघा अरोड़ा ने यूपीएससी सीएसई परीक्षा के पहले चरण में ही बार-बार असफलता का मुंह देखा लेकिन निराश नहीं हुईं. हर बार उठ खड़ी हुईं और दोगुनी तैयारी से कोशिश की और तब तक नहीं रुकीं जब तक उनका चयन फाइनल नहीं हो गया. चूंकि मेघा दो बार प्री परीक्षा में फेल हुईं थी इसलिए वे यूपीएससी के तीनों चरणों में से इसे सबसे कठिन मानती हैं और कैंडिडेट्स को सबसे ज्यादा ध्यान इस स्टेज पर देने के लिए कहती हैं. क्या गलतियां की मेघा ने और कैसे पार पाया उनसे, ये सब कुछ शेयर किया उन्होंने दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में. जानें विस्तार से.


माता-पिता दोनों हैं सिविल सर्वेंट –


मेघा के पिताजी उनके सेलेक्शन के टाइम पर पंजाब के डीजीपी थे और अपने समय में सिविल सेवा परीक्षा में आईपीएस के पद पर चयनित हुए थे. इसी प्रकार मेघा की मां आईआरएस सेवा के लिए चयनित हुईं थी. यानी मेघा बचपन से ही सिविल सर्वेंट्स के बीच रही हैं और इस काम की बारीकियों को उन्होंने बहुत नजदीक से देखा है. जाहिर सी बात है उनका झुकाव इस तरफ हुआ लेकिन पहले उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की.


स्कूली शिक्षा के बाद मेघा का ग्रेजुएशन और पोस्टग्रेजुएशन दोनों ही विदेश से हुए. यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से उन्होंने इंटरनेशनल रिलेशंस में मास्टर्स किया है. इसके बाद मेघा यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए इंडिया आ गईं. उनका विजन हमेशा से साफ था कि वे इंडियन फॉरेन सर्विसेस चुनकर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिप्रेजेंट करना चाहती थी. चयन होने के बाद उन्होंने ऐसा ही किया और 108वीं रैंक के बावजूद इंडियन फॉरेन सर्विसेस का चुनाव किया.


दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में मेघा अरोड़ा ने विस्तार से बात की 



पहले दो प्रयासों में प्री में ही अटक गईं –


मेघा ने भारत आकर फुल-फ्लेज्ड परीक्षा की तैयारी पर ध्यान केंद्रित किया और एक कोचिंग भी ज्वॉइन कर ली. हालांकि दो महीने में ही उन्होंने कोचिंग छोड़ दी और पूरा ध्यान सेल्फ स्टडी पर लगा लिया. उन्हें लगा कि कोचिंग में बहुत भीड़ होती है और कोई आप पर पर्सनल ध्यान नहीं देता. इसलिए अगर आप खुद को मोटिवेटेड रखकर सेल्फ स्टडी से पढ़ाई कर सकते हैं और आप उस कैटेगरी में नहीं आते जिसे बात-बात पर एक पुश चाहिए होता है तो सेल्फ स्टडी परीक्षा पास करने का ज्यादा बढ़िया ऑप्शन है. हालांकि यह किसी का भी व्यक्तिगत चुनाव होता है कि वह कोचिंग करना चाहता है या नहीं.


मेघा ने साल 2014 और 2015 के अटेम्प्ट्स दिए और प्री परीक्षा ही पास नहीं कर पाईं. हालांकि इससे वे निराश नहीं हुईं और उन्होंने एक साल का ब्रेक लिया. साल 2017 में उन्होंने तीसरा अटेम्प्ट दिया और तीनों स्टेजेस क्लियर करके सीधे टॉपर बनीं.


क्या कहता है मेघा का अनुभव –


मेघा कहती हैं कि उनकी गलती यह थी कि उन्होंने रिवीजन ठीक से नहीं किया था, उनका टाइम मैनेजमेंट ठीक नहीं था और कई जगहों पर वे डिस्ट्रैक्ट हुईं थीं जिससे बचा जा सकता था. उन्होंने खुद को आंका और अपनी गलतियों को पकड़कर उन्हें दूर किया. ये जानना बड़ी बात है कि आखिर आप कहां कमी कर रहे हैं. प्री के लिए मेघा ने कम किताबों से बार-बार रिवाइज किया और परीक्षा पास आने पर खूब मॉक टेस्ट दिए. इन टेस्ट्स की गलती को भी दूर किया और टाइम मैनेजमेंट पर खासा फोकस किया. वे कहती हैं यह स्टेज सबसे डाइसी होती है इसलिए इस पर भरपूर ध्यान दें.


जहां तक मेन्स की बात है तो मेघा को ऐस्से और एथिक्स अपने स्ट्रांग एरियाज लगते थे इसलिए उन्होंने इसमें वैल्यू एडिशन किया ताकी और नंबर पा सकें. इसी प्रकार ज्योग्राफी में वो अच्छी नहीं थी तो इस विषय की कमी दूसरे विषयों में और अच्छे अंक पाकर दूर करने की कोशिश की. पिछले साल के पेपर देखें कि कैसे प्रश्न पूछे जाते हैं और एक बैलेंस्ड अपरोच के साथ आगे बढ़ीं. शुरुआत में दिन के 6  से 7 घंटे पढ़ाई की और फिर जैसे-जैसे परीक्षा पास आई इन घंटों को बढ़ाया.


अंत में मेघा यही कहती हैं कि पूरी तैयारी के दौरान उनके कमरे में एक भी गैजेट नहीं रहता था जिससे उनका मन भटके इसलिए जो चीजें आपको डिस्ट्रैक्ट करें उन्हें खुद ही हटा दें. पढ़ाई के गोल रिएलिस्टिक बनाएं क्योंकि ये एक लंबी जर्नी है, जहां पढ़ाई के घंटों से ज्यादा कंसिसटेंसी जरूरी है. बाकी निगेटिव लोगों से दूर रहें यानी ऐसे लोग जो आपसे ये कहें कि तुमसे नहीं होगा और पॉजिटिव एटीट्यूट के साथ तैयारी करें सफलता जरूर मिलेगी.


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