Success Story Of IAS Topper: जब हम आपसे यह कहते हैं कि पहले ही अटेम्प्ट में सेलेक्ट मुदित ने क्यों पांच बार यूपीएससी परीक्षा दी तो शायद आपका सीधा सा जवाब होगा, रैंक सुधारने के लिए. लेकिन अगर हम कहें कि मुदित की रैंक पहले ही अच्छी थी फिर भी उन्होंने ये अटेम्प्ट्स दिए तो शायद आप चौंक जाएंगे. लेकिन यह सच है, मुदित पहले आईपीएस सेवा के लिए सेलेक्ट हुए थे और अंततः साल 2017 में अपने पांचवें प्रयास में वे आईआरएस ऑफिसर बने. लोग सामान्यतः किसी भी सर्विस में प्रमोशन की बात करते हैं लेकिन मुदित ने डिमोशन चुना क्योंकि उनकी कहानी कुछ और ही मोड़ ले चुकी थी. जानते हैं क्यों हुआ ऐसा.


इसके साथ ही दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में मुदित ने जीएस आंसर राइटिंग टिप्स शेयर किए, उनके बारे में भी जानते हैं.


आईपीएस से आरएएस क्यों –


मुदित जब अपने पहले ही अटेम्प्ट में सेलेक्ट हुए तो रैंक के अनुसार उन्हें आईपीएस सेवा एलॉट हुई. मुदित ने ज्वॉइन भी कर लिया और ट्रेनिंग के लिए चले गए. यहां ट्रेनिंग के दौरान उन्हें चोट लगी और उनके एक पैर के घुटने का लिगामेंट बुरी तरह टूट गया. मुदित तब भी नहीं रुके जिससे उनके इस पैर की समस्या तो बढ़ी ही साथ ही कुछ दिन बाद उनका दोबारा एक्सीडेंट हुआ जिससे इसी जगह के दूसरे पैर के लिगामेंट भी टूट गए. मजबूरी में मुदित को एक्सट्राऑर्डिनेरी लीव लेनी पड़ी. इस दौरान बहुत कोशिश करने के बावजूद वे रिकवर नहीं कर पा रहे थे. कुल मिलाकर मुदित की मेडिकल कंडीशन ऐसी हो गई की बहुत कोशिशों के बाद भी वे आईपीएस सेवा जिसमें दोबारा भी उनका चयन हुआ, वे ज्वॉइन नहीं कर पाए. अंततः उनका आखिरी सहारा बस ये बचा था कि वे फिर से सेलेक्ट हों और कोई और सेवा चुनें. इस बीच एक बार मुदित का प्री में नहीं हुआ तो एक बार मेन्स में. अंततः उन्होंने साल 2017 में सफलता हासिल की और इंडियन रेवेन्यू सर्विस को चुना.


यहां देखें मुदित जैन द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू –



ऐसे करें शुरुआत –


मुदित कहते हैं कि परीक्षा की तैयारी की शुरुआत के लिए सबसे पहले सिलेबस को भली प्रकार देखें. इसे देखने के बाद अगले स्टेप पर जाएं यानी किताबें कलेक्ट करने पर. यहां भी मुदित कम से कम किताबें रखने पर बहुत जोर देते हैं. वे कहते हैं कि बहुत किताबें केवल आपका समय बर्बाद करती हैं. अगली जरूरी चीज है इन किताबों से नोट्स बनाना. वे मानते हैं कि अगर आपने बुक्स से नोट्स नहीं बनाएं हैं तो आप कभी ठीक से रिवीजन नहीं कर सकते. नोट्स कंसाइज होते हैं जिन्हें दोहराना आसान होता है और प्री परीक्षा के लिए जितनी बार रिवीजन करेंगे उतना सेलेक्शन होने के चांसेस बढ़ेंगे.


 


कैसे लिखें उत्तर –


मुदित कहते हैं कि उत्तर लिखने के भी कुछ तरीके होते हैं जो आपको अधिक अंक दिला सकते हैं. कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप एग्जामिनर को इंप्रेस कर सकते हैं. जैसे उत्तर लिखने की शुरुआत करते समय प्रश्न में दिए गए सभी कीवर्ड्स को एक्सप्लेन करें. एक-एक परिभाषा दें उसके बाद आगे बढ़ें. नेक्स्ट स्टेप में अपनी बात का बैकग्राउंड दें और किसी तगड़े सपोर्ट के साथ अपनी बात कहें. इससे ये नहीं लगता कि आप खाली अपना व्यू दे रहे हों, बल्कि ये साफ होता है कि आपको विषय की नॉलेज है.


अगली जरूरी बात मुदित मानते हैं प्वॉइंट्स में उत्तर लिखने हो. वे कहते हैं कि प्वॉइंट्स में उत्तर लिखना आपके लिए हमेशा फायदेमंद साबित होगा क्योंकि इससे आप विभिन्न डायमेनसंश कवर कर सकते हैं. वे कहते हैं कि जहां ऑप्शनल में डेप्थ कवर करना जरूरी है वहीं जीएस के सभी पेपर्स में डायमेंशंस कवर करना. इसलिए अंक के हिसाब से डायमेनशन कवर करें.


मुदित की सलाह –


मुदित आगे बताते हैं कि जब आप उत्तर लिखते हैं तो अंकों के हिसाब से नंबर ऑफ प्वॉइंट्स लिखें जैसे दस अंक का प्रश्न है तो दस प्वॉइंट तो बनते हैं लेकिन ये भी ध्यान रहे कि अगर आप उत्तर में इंट्रो दे रहे हैं, डायग्राम बना रहे हैं और कॉन्क्लूजन भी लिख रहे हैं तो ये सब प्वॉइंट्स में ही काउंट होते हैं. ऐसा नहीं है कि आपको गिनकर दस प्वॉइंट लिखने होंगे.


अगली जरूरी बात है प्रेजेंटेशन की. अपने उत्तरों को अट्रैक्टिव बनाएं और जहां जरूरी हो वहां अंडरलाइन करें और रिपोर्ट, डेटा आदि जरूर डालें. आखिरी जरूरी बात कि उत्तर लिखने की खूब प्रैक्टिस करें. यह ही एक चीज है जो आपको सफलता दिला सकती है. और प्रैक्टिस तभी होगी जब आपकी तैयारी अच्छी होगी और उसके लिए खूब रिवीजन करें और अंततः रिवीजन के लिए नोट्स बनाएं. इन कुछ छोटी लेकिन जरूरी बातों का ध्यान रखकर आप सफलता पा सकते हैं.


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