IAS Success Story: कभी नहीं रोया संसाधनों की कमी का रोना और एक छोटे से गांव के नागार्जुन ऐसे बने IAS ऑफिसर
कर्नाटक के एक छोटे से गांव के नागार्जुन बी गौड़ा ने साल 2018 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा दूसरे अटेम्पट में पास की और आईएएस पद के लिए सेलेक्ट हुए. बिना कोचिंग और फुल टाइम जॉब के साथ कैसे हासिल की उन्होंने यह सफलता, आइये जानते हैं.
Success Story of IAS Topper Nagarjun B Gowda: जब हौसले बुलंद हों तो कितनी भी बड़ी परेशानी क्यों न आ जाए वह आपका रास्ता नहीं रोक सकती. उदाहरण के लिए साल 2019 बैच के आईएएस नागार्जुन बी गौड़ा को ही ले सकते हैं. उनके पास हमेशा पैसे और बाकी संसाधनों की कमी रही पर उन्होंने कभी इन चीजों को अपनी सफलता के आड़े नहीं आने दिया. जो प्राप्त है वही पर्याप्त है कि तर्ज पर हमेशा लगे रहे और एक के बाद एक सफलता हासिल करते गए. यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास करने से पहले वे डॉक्टरी भी कर चुके हैं. आज जानते हैं नागार्जुन से उनकी तैयारी की स्ट्रेटजी जिसके बारे में उन्होंने दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में बताया.
आईएस बनने के पहले डॉक्टर थे नागार्जुन -
नागार्जुन, कर्नाटक के एक छोटे से गांव के हैं और उनके परिवार में हमेशा से पैसों की किल्लत थी. गांव में खास सुविधाएं भी नहीं थी लेकिन नागार्जुन इन्हीं के बीच सफलता दर सफलता हासिल करते गए. उन्होंने स्कूल खत्म होने के बाद मेडिकल एंट्रेंस दिया और चयनित होकर एमबीबीएस की डिग्री ली. एक हॉस्पिटल में रेसिडेंट के पद पर काम करने के दौरान उन्होंने यूपीएससी का मन बनाया और इस बाबत तैयारी शुरू कर दी. चूंकि पैसों की समस्या थी इसलिए नागार्जुन कभी भी नौकरी छोड़कर काम नहीं कर सकते थे और उन्हें अपने डॉक्टरी के पेशे के साथ तालमेल बैठाकर ही परीक्षा की तैयारी करनी थी.
देखें नागार्जुन बी गौड़ा द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू
बिना कोचिंग के नौकरी के साथ की तैयारी –
नागार्जुन ने कभी नौकरी या संसाधनों की कमी को आड़े नहीं आने दिया और जैसे-जैसे समय निकालकर परीक्षा की तैयारी की. वे कहते हैं कि कम से कम 6 से 8 घंटे का समय आपको तैयारी के लिए देना ही है. आप काम पर जाने के पहले कितना पढ़ते हैं और कितना आने के बाद यह आप पर है लेकिन आपको पढ़ाई का शेड्यूल बनाकर चलना चाहिए. वे तो पूरे साल का शेड्यूल बनाने पर विश्वास करते हैं कि आपको कब और क्या पढ़ना है. कौन सी किताब का रिवीजन कितनी बार करना है या किस विषय पर ज्यादा समय खर्च करना है. नागार्जुन का मानना है कि इससे आप समय से अपने टारगेट पूरे कर पाएंगे और एक प्रोफेशनल के लिए यह बहुत जरूरी है.
स्मार्ट वर्क करें –
दूसरे कैंडिडेट्स की तुलना में नागार्जुन के विचार थोड़ा अलग हैं. वे कहते हैं कि जब आप जॉब पर होते हैं तो सारा कुछ मैनेज नहीं कर सकते इसलिए सबकुछ पढ़ने के फेर में न पड़कर स्मार्ट स्टडी करें. पिछले साल के पेपर देखें, सिलेबस देखें और तय करें कि कौन सा एरिया आपके लिए जरूरी है और किस किताब में क्या छोड़ना है. यह छोड़ना भी ऐसा होना चाहिए कि आप कैलकुलेटेड रिस्क लें उससे ज्यादा नहीं. यह अभ्यास से ही पता चलेगा.
कोचिंग को नहीं मानते जरूरी –
नागार्जुन कहते हैं कि कोचिंग लेना या न लेना आपका अपना निर्णय है. अगर आप बिना कोचिंग के खुद से विषय समझ लेते हैं तो बढ़िया है, जैसा कि उन्होंने किया था. लेकिन आपको चीजें समझ नहीं आती और आपको किसी की मदद लेनी है तो उसमें भी कोई बुराई नहीं है. ऐसे में आप कोचिंग ज्वॉइन करें. हालांकि अंत में काम सेल्फ स्टडी ही आती है और इस पर सबसे ज्यादा फोकस करना पड़ता है.
टाइम निकालने की जहां तक बात है तो ऑफिस के बीच में भी जब नागार्जुन को समय मिलता था तो वे पढ़ते थे. जैसे ब्रेक्स में न्यूज पेपर पढ़ लेना और कम्यूट में लगने वाले समय में कुछ रिवाइज कर लेना.
नागार्जुन की सलाह –
नागार्जुन कहते हैं कि इस परीक्षा में सफलता के लिए हार्डवर्क और डेडिकेशन मैटर करता है. आप पहले क्या थे या आपके अंक पहले कैसे आते थे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. यानी अपने पास्ट को कभी भी खुद पर हावी न होने दें. वर्तमान में जिएं. अगर आप मेहनत करेंगे तो सफल जरूर होंगे. कई बार सफलता मिलने में समय लग सकता है और आपको कई अटेम्पट्स देने पड़ सकते हैं पर इस बात से निराश न हों और न ही अपना कांफिडेंस लूज करें. अगर आपके इरादे दृढ़ हैं और आप कड़ी मेहनत कर रहे हैं तो सफलता आपसे बहुत दिन दूर नहीं रह सकती.
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