Success Story Of IAS Topper Namami Bansal: कहते हैं जब किसी को सफलता हासिल करनी होती है और वह अपने निर्णय को लेकर दृढ़ होता है तो कोई बात उसे अपने रास्ते से टिका नहीं सकती. फिर चाहे बात उसके बैकग्राउंड की हो, एकेडमिक रिकॉर्ड की या परिवेश एवं संसाधनों की. उदाहरण के लिए उत्तराखंड ऋषिकेश की नमामि बंसल को ही ले सकते हैं. नमामि के घर में न ऐसा खास माहौल था न ही ऐसी प्रेरणा कि वे सिविल सेवा के क्षेत्र में जाएं लेकिन नमामि हमेशा से पढ़ाई को लेकर गंभीर थी. बचपन से ही वे लगभग हर क्लास में अच्छे अंक ला रही थी. इसी प्रकार जब उन्होंने सिविल सेवा का मन बनाया तो तीन बार असफल होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और चौथी बार में 17वीं रैंक के साथ टॉप किया. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में नमामि ने इस परीक्षा की तैयारी की शुरुआत करने जा रहे कैंडिडेट्स को कुछ टिप्स दिए.
इकोनॉमिक्स बैकग्राउंड है नमामि का –
नमामि का जन्म और शुरुआती पढ़ाई-लिखाई ऋषिकेश में हुई है. इसके बाद वे ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली चली गईं और यहां के लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स ऑनर्स में ग्रेजुएशन किया. स्नातक के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए नौकरी भी की और तभी कुछ वजहों से उन्हें यूपीएससी का ख्याल आया और वे तैयारियों में जुट गईं. नमामि का यूपीएससी सफर आसान नहीं रहा और उन्हें सफलता मिलने में कई साल लगे पर उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. अंततः अपने चौथे प्रयास में वे सीधे आईएएस पद के लिए सेलेक्ट हुईं.
दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में नमामि बंसल ने विस्तार से बात की –
जो कर रहे हैं परीक्षा की तैयारी की शुरुआत –
स्टेप बाय स्टेप बात करें तो नमामि कहती हैं कि सबसे पहले तो यह बात अपने मन में न लाएं कि तैयारी का सही समय और सही स्थिति क्या होती है. वे कहती हैं कि आप जब तैयारी शुरू करना चाहते हैं और जिस भी स्थिति में हैं, जैसे नौकरीपेशा हैं, शादीशुदी हैं वगैरह तो वही समय और वही स्थिति आपके लिए बेस्ट होती है. ये सब कंडीशंस आपका दिमाग पैदा करता है और इस जाल में न फंसें. आप जो हैं, जहां हैं बेस्ट है यह मानकर तैयारी शुरू करें.
एनसीईआरटी से बनाएं बेस –
सबसे पहले सिलेबस देखने के बाद एनसीईआरटी की किताबें उठाएं और उन्हें ठीक से पढ़ लें. इसका कारण यह है कि जितने सरल शब्दों में यहां आपको चीजें समझायी जाएंगी, उतना कहीं और नहीं मिलेगा. जब ये किताबें हो जाएं तो एडवांस बुक्स पर आएं और हर विषय के लिए कुछ प्रचलित किताबें हैं उन्हें पढ़ें. इस यूनिवर्सिल फंडे को ध्यान में रखें कि एक विषय की दस किताबें पढ़ने के बजाय संभव हो तो एक किताब को दस बार पढ़ें.
कोचिंग भी ले सकते हैं –
नमामि ने खुद तो कोचिंग नहीं ली थी पर वे कहती हैं कि अगर आपको जरूरत लगती है तो आप कोचिंग ले सकते हैं. यहां आपको गाइडेंस तो मिलता ही है साथ ही पढ़ाई का माहौल भी मिलता है. अगर आप खासकर उस श्रेणी में आते हैं जिनके लिए सेल्फ डिस्प्लिन मेंटेन करना आसान नहीं तो कोचिंग आपके लिए फायदेमंद है. यहां एक ग्रुप भी आपको मिल जाएगा जिसके साथ मिलकर आप अपनी तैयारियों को आगे बढ़ा सकते हैं.
खुद को रखें मोटिवेट –
सारी बातें करने के बाद नमामि कहती हैं कि इस परीक्षा के दौरान खुद को मोटिवेटेड जरूर रखें. तरीका क्या होगा यह अपने अनुसार तय करें लेकिन आशावादी नजरिया अपनाएं तभी सफर पूरा होगा. वे कहती हैं कि यह जर्नी कई बार बहुत उतार-चढ़ाव भरी हो जाती है ऐसे में हिम्मत न हारें और प्रयास जारी रखें. अगर पहले-दूसरे प्रयास में आप सफल नहीं हो रहे तो उसे पर्सनल फेल्योर न मानते हुए एक सीख के तौर पर लें और अपनी कमियों को दूर करते हुए आगे बढ़ें. पॉजिटिव माइंडसेट से आपको सफलता जरूर मिलेगी.
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