Success Story Of IAS Topper Navneet Mann: नवनीत मान उन कैंडिडेट्स में से हैं जो हमेशा से इस क्षेत्र में नहीं आना चाहते थे. यूपीएससी परीक्षा देने का निर्णय उन्होंने ग्रेजुएशन लास्ट ईयर में किया और पहले ही प्रयास में सफलता भी हासिल कर ली. हालांकि पहले अटेम्पट में मिली रैंक और उससे मिले पद से नवनीत संतुष्ट नहीं हुईं और उन्होंने ट्रेनिंग पर रहते हुए दूसरा अटेम्पट दिया. इस बार नवनीत को मन-माफिक सफलता मिली जब 33वीं रैंक के साथ उन्होंने यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास की. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में नवनीत ने अपनी स्ट्रेटजी की कुछ मुख्य बातें शेयर की. जानते हैं विस्तार से.


इंजीनियर हैं नवनीत –


नवनीत के पिता दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर हैं. पब्लिक सर्विस में परिवार के किसी मेम्बर के होने के बावजूद उनका रुझान इस तरफ नहीं रहा और उन्होंने क्लास बारहवीं के बाद इंजीनियरिंग परीक्षा दी. नवनीत का सेलेक्शन हो गया और उन्होंने दिल्ली से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. मुख्य रूप से अमृतसर, पंजाब की नवनीत की पढ़ाई-लिखाई दिल्ली में ही हुई है क्योंकि पिताजी की नौकरी यही थी.


नवनीत को उनके पिता ने सिविल सेवा की तरफ रुख करने के लिए प्रेरित किया. कुछ महीने सोच-विचार करने के बाद नवनीत ने यूपीएससी सीएसई परीक्षा देने का मन बनाया और ग्रेजुएशन थर्ड ईयर से तैयारी शुरू कर दी.


 यहां देखें नवनीत मान द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू देख सकते हैं



पहले अटेम्पट में हुईं सेलेक्ट –


नवनीत ने ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद एक साल तैयारी करके साल 2018 में अपना पहला अटेम्पट दिया. पहली ही बार में वे चयनित भी हो गईं और उन्हें रैंक मिली 501. इस रैंक के साथ नवनीत को डिफेंस एकाउंट सर्विस एलॉट हुई. नवनीत ने ज्वॉइन तो कर लिया पर वे खुश नहीं थी क्योंकि उन्हें आईएएस ही बनना था. ट्रेनिंग पर रहते हुए नवनीत ने दूसरा अटेम्पट दिया और साल 2019 की परीक्षा में मन-मुताबिक रैंक और पद पाया. नवनीत अपने पिता को प्रेरणास्त्रोत मानती हैं, जिन्होंने उन्हें इस फील्ड में आने के लिए न केवल प्रेरित किया बल्कि समय-समय पर उन्हें मोटिवेट भी करते रहे.


सोर्स रखें लिमिटेड –


नवनीत कहती हैं कि मेन्स परीक्षा की तैयारी के लिए खासतौर पर जरूरी है कि कैंडिडेट अपने सोर्स लिमिटेड रखे. इतनी किताबें इकट्ठी न कर लें जिनसे रिवाइज ही न कर पाएं. कम किताबों को बार-बार पढ़ें, इतनी बार की जब आपसे एग्जाम में आंसर लिखने को कहा जाए तो आंसर को सोचने, फ्रेम करने और सीमित समय में लिखने में आपको परेशानी न हो. वे कहती हैं कि मुख्य परीक्षा के समय इतना कम टाइम होता है कि अगर आपने बहुत समय सोचने पर खर्च कर दिया तो लिखने का समय नहीं बचेगा.


कुछ विषयों की नहीं मिलती किताबें –


नवनीत आगे कहती हैं कि जहां सीमित किताबें रखना जरूरी है, वहीं कुछ ऐसे विषय भी होते हैं जिनकी किताबें तलाशने पर भी नहीं मिलती. इनके लिए आपको यूपीएससी के सिलेबस पर रिलाय करना होगा. इसे अपने सामने रखें और देखें कि यूपीएससी ने उसके लिए कौन-कौन से कीवर्ड यूज किए हैं. उन्हीं का इस्तेमाल करके आप ये टॉपिक्स इंटरनेट पर ढूंढ़ सकते हैं. इसके साथ ही टॉपर्स की कॉपीज, वीडियोज आदि से भी इनके बारे में पता चल जाता है. इनके लिए किताबें तलाशने में समय बर्बाद न करें. आप चाहें तो कुछ कोचिंग्स के नोट्स भी ले सकते हैं. सिलेबस के हिसाब से नोट्स प्रिपेयर कीजिए.


टाइम टेस्टेड एनवायरमेंट में टेस्ट सीरीज दें –


नवनीत कहती हैं कि टेस्ट सीरीज देना केवल प्रैक्टिस के लिए ही जरूरी नहीं होता बल्कि इससे आप अपनी बात को समय के अंदर लिखना भी सीखते हैं. वे कहती हैं कि अभी तक आप किसी विषय पर मान लीजिए पांच या छ सोर्सेस से तैयारी कर रहे हैं और उसी का प्रश्न आता है तो आपको उन सभी सोर्सेस को एक जगह जॉट डाउन करना है, वो भी समय के अंदर और एग्जाम के प्रेशर में. यहां टेस्ट सीरीज आपकी मदद करती हैं. आप उसी प्रेशर में समय सीमा के अंदर बढ़िया उत्तर लिखना सीख जाते हो.


दूसरी जरूरी बात नवनीत मानती हैं नोट्स को. वे कहती हैं कि नोट्स से रिवाइज करना आसान होता है. वे अपने पहले अटेम्पट की गलती भी यही मानती हैं कि वे एंड में रिवाइज नहीं कर पाई थी. इसलिए नोट्स जरूर बनाएं और छोटे रखें ताकि आसानी से रिवाइज कर सकें. रिवीजन करना इस परीक्षा में सफल होने के लिए बहुत जरूरी है.


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